32,000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश पलटा: कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा- मामूली अनियमितताओं के कारण पूरी व्यवस्था को बर्बाद नहीं किया जा सकता
Amir Ahmad
3 Dec 2025 3:57 PM IST

कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने लगभग 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द करने वाला सिंगल बेंच का विवादास्पद आदेश खारिज करते हुए उन्हें बड़ी राहत दी। यह मामला पश्चिम बंगाल में कैश-फॉर-जॉब्स टीईटी-भर्ती घोटाले से जुड़ा था।
जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस रीतोब्रतो कुमार मित्रा की खंडपीठ ने अपने फैसले में जोर देकर कहा कि प्रणालीगत दुर्भावना साबित नहीं हुई। असफल उम्मीदवारों के एक समूह को पूरी व्यवस्था को नुकसान पहुँचाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
यह आदेश तत्कालीन सिंगल बेंच जज अभिजीत गांगुली (जो अब भाजपा के लोकसभा सदस्य हैं) के 2023 के फैसले को पलटता है। खंडपीठ ने उन शिक्षकों के हितों को ध्यान में रखा, जिन्होंने अपनी सेवा के नौ साल पूरे कर लिए हैं। कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय बाद किसी शिक्षक की नौकरी छीन लेना अतुलनीय कठिनाई पैदा करेगा। खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि डेटा के आकलन से किसी भी तरह की प्रणालीगत दुर्भावना सामने नहीं आती है, जिसके आधार पर पूरी भर्ती प्रक्रिया को अवैध घोषित किया जा सके।
सिंगल जज ने नियुक्तियां मुख्य रूप से इस आधार पर रद्द की थीं कि उम्मीदवारों के लिए कोई माफ़िक़त परीक्षण आयोजित नहीं किया गया और भर्ती प्रक्रिया एक बाहरी एजेंसी को सौंपी गई।
हालांकि, खंडपीठ ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि न्यायालय से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वह सभी स्पष्टीकरणों को खारिज करने के लिए भटकती जांच में शामिल हो जाए। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सामूहिक धोखाधड़ी के सिद्ध मामले और असिद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच एक स्पष्ट अंतर होता है।
न्यायालय ने कहा कि जब भ्रष्टाचार में सहायता के आधार पर सेवा समाप्त की जाती है तो अदालत को अपने रुख से पूरी तरह संतुष्ट होना चाहिए। खंडपीठ ने पाया कि सिंगल बेंच केवल माफ़िक़त परीक्षण न होने के आधार पर नियुक्तियां रद्द करके याचिका की दलीलों से परे चली गई।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि जिन छात्रों ने पैसे दिए उन्हें ही अधिक अंक मिले। इस बात पर भी जोर दिया गया कि सेवा को केवल चल रही आपराधिक कार्यवाही के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह उन अखंडित शिक्षकों को अनावश्यक बदनामी और कलंक झेलने पर मजबूर कर सकता है, जिनका अनियमितताओं में कोई हाथ नहीं है। यह विवाद 2014 की शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) से जुड़ा है, जिसके आधार पर पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (WBBPE) ने 42,500 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की थी। भर्ती प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगने के बाद यह मामला कलकत्ता हाई कोर्ट तक पहुंचा था।

