विश्वविद्यालय को पिछले संशोधित वेतन आयोग के तहत पेंशन लाभ जारी करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों से धन जुटाना होगा: बॉम्बे हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

15 May 2024 8:13 AM GMT

  • विश्वविद्यालय को पिछले संशोधित वेतन आयोग के तहत पेंशन लाभ जारी करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों से धन जुटाना होगा: बॉम्बे हाईकोर्ट

    Bombay High Court

    बॉम्बे हाईकोर्ट की एक पीठ ने हाल ही में कहा कि सातवें वेतन आयोग के लागू होने पर श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसे महिला विश्वविद्यालय का यह कर्तव्य है कि वो धन जुटाने और एक कोष स्थापित करने के लिए उपाय करें। पीठ में जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस एमएम साथये शामिल थे।

    कोर्ट ने कहा कि अनुदान की अनुप‌स्थिति के बावजूद, संस्थान पर संशोधित वेतन आयोग के तहत भुगतान से संबंधित अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए धन जुटाने के लिए अभिनव रास्ते तलाशने की जिम्मेदारी होती है।

    हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के कल्याण को सुनिश्चित करने के संदर्भ में, विशेष रूप से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के संबंध में महाराष्ट्र सार्वजनिक विश्वविद्यालय अधिनियम 2016 का उल्लेख किया। कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय, इस अधिनियम के तहत एक वैधानिक निकाय होने के नाते, शिक्षा और शैक्षणिक उत्कृष्टता के कुछ मानकों को बनाए रखने के लिए बाध्य है, जो स्वाभाविक रूप से अपने शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भागीदारी और कल्याण पर निर्भर करता है।

    2016 के अधिनियम में अध्याय 13 के तहत श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसे महिला विश्वविद्यालय पर विशेष ध्यान देते हुए निधि, लेखा और लेखा परीक्षा के प्रावधान शामिल हैं।

    हाईकोर्ट ने माना कि विश्वविद्यालय के अपने कर्मचारियों के प्रति दायित्व प्रतिक्रियात्मक नहीं बल्कि सक्रिय होने चाहिए। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय तैयारी और आवंटन की आवश्यकता है, जिसे आयोग के निर्णयों की घोषणा के समय ही शुरू कर दिया जाना चाहिए था। हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि इस मामले पर कार्रवाई करने से पहले याचिका दायर होने तक इंतजार करना उचित नहीं है। हाईकोर्ट द्वारा कार्रवाई के लिए समयसीमा प्रदान करने के लिए प्रेरित किए जाने पर भी, विश्वविद्यालय निधि प्राप्त करने की दिशा में ठोस प्रयास प्रदर्शित करने में विफल रहा।

    हाईकोर्ट ने महात्मा गांधी मिशन और अन्य बनाम भारतीय कामगार सेना और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया और प्राप्त अनुदानों के अभाव में भी अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए धन जुटाने के अभिनव साधनों की खोज करने की संस्था की जिम्मेदारी पर जोर दिया। हाईकोर्ट ने जून 2025 तक भुगतान पर विचार करने से इनकार करने के विश्वविद्यालय के रुख को अस्वीकार्य माना, खासकर अपने स्वयं के कर्मचारियों के संबंध में।

    परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें विश्वविद्यालय को एक जुलाई, 2024 से 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार याचिकाकर्ताओं को महंगाई भत्ते सहित पेंशन लाभ का भुगतान शुरू करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, बकाया राशि के संबंध में, हाईकोर्ट ने समय पर और चरणबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने के लिए एक संरचित किस्त योजना बताई।

    केस टाइटल: श्रीमती प्राची पी कुलकर्णी बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य और संबंधित मामले

    केस नंबर: (907) रिट पीटिशन (एल) नंबर 3980/2022 और संबंधित मामले


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