दोषपूर्ण जांच से जनता का विश्वास कमज़ोर होता है: बॉम्बे हाईकोर्ट ने नागपुर राम झूला हिट एंड रन मामले की जांच ट्रांसफर की
Amir Ahmad
31 Aug 2024 1:51 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने शुक्रवार को कुख्यात नागपुर राम झूला हिट एंड रन मामले की जांच स्थानीय पुलिस स्टेशन से राज्य अपराध जांच विभाग (CID) को ट्रांसफर की, जिसमें शराब के नशे में महिला ने अपनी मर्सिडीज बेंज चलाई और दो युवकों को कुचल दिया। प्रारंभिक जांच में कई खामियां पाए जाने के बाद यह मामला राज्य अपराध जांच विभाग (CID) को सौंप दिया गया।
जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस वृषाली जोशी की खंडपीठ ने मामले को ट्रांसफर करते हुए कहा कि दोषपूर्ण जांच से समाज के सदस्यों और पीड़ितों का विश्वास कमजोर होता है।
जजों ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि 25 फरवरी 2024 को राम झूला पुल पर दुर्घटना के तुरंत बाद आरोपी रितिका मालू और उसकी सहेली जो दोनों नशे की हालत में थीं, उसको दुर्घटना के लगभग छह घंटे बाद मेडिकल टेस्ट के अधीन किया गया और उसके बाद मजिस्ट्रेट द्वारा उन्हें जमानत दे दी गई।
उन्होंने आगे कहा कि मालू के परिवार को जानने वाले पुलिस उप-निरीक्षक (PSI) परशुराम बावल ने कार को आरोपी परिवार को सौंप दिया और कार से शराब की बोतलें भी निकाल दीं।
जजों ने आदेश में कहा,
"ऊपर बताई गई चूकें उचित रूप से यह धारणा बनाती हैं कि प्रारंभिक जांच में सच्चाई की कमी थी या इसे दागदार कहा जा सकता है। आपराधिक अपराध हमेशा बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ होता है, जिससे राज्य पर निष्पक्ष जांच करने में अपनी पवित्र जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करने का भारी कर्तव्य होता है।"
कोर्ट ने कहा कि इस आधार पर कि जांच का तरीका एजेंसी का विशेषाधिकार है, कोर्ट इस तरह के सामान्य प्रस्ताव का पालन करके तथ्यात्मक पहलू से आंखें नहीं मूंद सकते। न्यायालयों का यह कर्तव्य है कि वे सत्य को बनाए रखें और सत्य का अर्थ है छल, धोखाधड़ी और दुर्भावना का अभाव।
पीठ ने जोर दिया,
"निष्पक्ष और सत्यनिष्ठ जांच अनिवार्य है। न्याय के लिए आवाज उठाने वाले लोगों को यह भावना नहीं रखनी चाहिए कि वे प्रक्रिया में अनुचितता और ढिलाई दिखाने के बावजूद हताहत हुए हैं।”
न्यायाधीशों ने रेखांकित किया,
पीठ ने स्पष्ट किया कि जांच साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया है, जो अत्यंत महत्वपूर्ण है और विभिन्न मोर्चों पर किसी भी तरह की देरी अभियोजन पक्ष के मामले को बुरी तरह प्रभावित करेगी।
पीठ ने कहा,
"पुलिस को उचित और त्वरित जांच सुनिश्चित करनी होगी, जो आपराधिक मुकदमे की पहचान है। समय बीतने के साथ साक्ष्य या तो मिट जाएंगे या गायब हो जाएंगे जिससे अभियोजन पक्ष का मामला कमजोर हो जाएगा। गंभीर अपराधों में अपराध स्थल को संरक्षित किया जाना चाहिए, जिससे ट्रेस/भौतिक साक्ष्य को नुकसान न पहुंचे या उसके साथ छेड़छाड़ न हो।”
न्यायाधीशों ने इस बात पर जोर दिया कि जांच अधिकारी को सभी आवश्यक परिस्थितिजन्य साक्ष्य एकत्र करके सत्य की खोज में अपनी बुद्धि और विवेक का उपयोग करना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि संज्ञेय अपराध के घटित होने की जानकारी के बावजूद प्राथमिकी (FIR) का देर से रजिस्ट्रेशन आरोपी को बिना मेडिकल जांच के जाने देना, बिना टेस्ट के अपराधी वाहन को छोड़ देना ट्रायल कोर्ट में अभियोजक द्वारा जांच अधिकारी पर अविश्वास जताना, ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जो जांच की निष्पक्षता पर बड़ा सवालिया निशान लगाते हैं।
पीठ ने टिप्पणी की,
"दोषपूर्ण जांच आरोपी और पीड़ित सहित समाज के सदस्यों द्वारा व्यक्त विश्वास को हिला देती है।"
जजों ने तर्क दिया कि वर्तमान मामले की परिस्थितियों ने उन्हें अंततः सत्य तक पहुंचने और नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए जांच एजेंसी में विश्वसनीयता और विश्वास लाने के लिए अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया।
जजों ने स्थानीय पुलिस को मामले के कागजात तत्काल CID को सौंपने का आदेश देते हुए कहा,
"ट्रांसफर का एक कारण पक्षों के बीच न्याय करना और समाज में विश्वास पैदा करना है। निष्कर्ष रूप में हम जांच एजेंसी के काम करने के तरीके से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए असाधारण स्थिति के रूप में हम निष्पक्ष, उचित और सत्य जांच की उम्मीद और विश्वास के साथ जांच को राज्य एजेंसी को ट्रांसफर करना चाहते हैं।"
मामले की पृष्ठभूमि
25 फरवरी, 2024 को आरोपी रितिका मालू ने अपनी मर्सिडीज बेंज को लापरवाही से चलाया और मोहम्मद हुसैन और मोहम्मद अतीक को टक्कर मार दी, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। आरोप है कि दुर्घटना के कुछ ही मिनटों के भीतर PSI बावल ने महिलाओं को मौके से भागने दिया। बाद में उन्हें सुबह 7:30 बजे मेडिकल जांच के लिए लाया गया, जबकि दुर्घटना रात 1:30 बजे हुई। महिलाओं को उसी दिन सुबह 10:30 बजे स्थानीय मजिस्ट्रेट ने जमानत पर रिहा कर दिया।
मृतक युवकों के परिजनों ने आरोप लगाया कि PSI बावल ने महिलाओं को घटनास्थल से भागने में मदद की उन्होंने कार से शराब की बोतलें निकलवाईं, कार को परिवार को सौंप दिया आदि।
आरोप है कि लोगों के शोर मचाने के बाद ही पुलिस हरकत में आई और और सबूत जुटाकर मामले की जांच की। हालांकि इस सब के बीच पुलिस ने उचित मेडिकल जांच, कारों से शराब की बोतलें आदि जैसे महत्वपूर्ण सबूत खो दिए।
इसलिए परिवार ने तत्काल याचिका के माध्यम से मामले की जांच राज्य CID को सौंपने की मांग की। पीठ ने स्थानीय पुलिस की ओर से कई खामियों को देखते हुए प्रार्थनाओं को स्वीकार कर लिया और तदनुसार जांच CID को सौंप दी।
मामले टाइटल- शाहरुख जिया मोहम्मद बनाम महाराष्ट्र राज्य