POCSO Act पर बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला: शादी और बच्चा होने से FIR रद्द नहीं होगी
Amir Ahmad
29 Sept 2025 2:03 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि केवल इसलिए कि नाबालिग लड़की ने शादी कर ली है और उसका एक बच्चा भी है पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत दर्ज FIR रद्द नहीं की जा सकती।
जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के और जस्टिस नंदेश देशपांडे की खंडपीठ ने 29 वर्षीय एक व्यक्ति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार किया। उन पर POCSO Act और बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए।
अदालत ने पाया कि नाबालिग लड़की और आरोपी के बीच प्रेम संबंध था, जिसे उनके परिवारों ने स्वीकार कर लिया था। इसके बाद दोनों की मुस्लिम रीति-रिवाजों से शादी करा दी गई। हालांकि शादी के समय और बाद में जब उसने बच्चे को जन्म दिया तब भी लड़की नाबालिग (18 साल से कम) है।
अदालत ने कहा कि आरोपी जो शादी के समय करीब 27 साल का था, उसे यह समझना चाहिए था कि उसे लड़की के 18 साल के होने तक इंतजार करना चाहिए था। जजों ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि नाबालिग की सहमति का कोई कानूनी महत्व नहीं होता।
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का भी हवाला दिया और कहा कि POCSO Act का मकसद बच्चों की सुरक्षा करना है। यह कानून किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए है। अदालत ने कहा कि केवल बच्चा पैदा होने से आरोपी के कृत्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि न्याय कानून के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
इस आधार पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी और उसके माता-पिता की याचिका खारिज की और FIR रद्द करने से इनकार कर दिया।

