IPL के दौरान पुलिस सुरक्षा के लिए आयोजकों द्वारा बकाया 14.8 करोड़ रुपये क्यों माफ किए: बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा

Amir Ahmad

29 Aug 2024 2:20 PM IST

  • IPL के दौरान पुलिस सुरक्षा के लिए आयोजकों द्वारा बकाया 14.8 करोड़ रुपये क्यों माफ किए: बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की, क्योंकि उसने IPL मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा के लिए इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के आयोजकों द्वारा 2011 से बकाया 14.8 करोड़ रुपये माफ कर दिए।

    चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार को उसके फैसले के लिए फटकार लगाई, जिसमें मौखिक रूप से कहा गया,

    "आप झुग्गीवासियों से पानी का शुल्क बढ़ाते रहेंगे लेकिन इन आयोजकों से शुल्क नहीं लेंगे। BCCI दुनिया भर में सबसे अमीर क्रिकेट संस्था है। इसी तरह वे अमीर बन गए हैं।"

    पीठ IPL मैचों के दौरान प्रदान की जाने वाली पुलिस सुरक्षा की दर को पूर्वव्यापी रूप से कम करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी।

    यह जनहित याचिका RTI कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा दायर की गई। याचिकाकर्ता ने कहा कि 26 जून 2023 को जारी परिपत्र के माध्यम से राज्य सरकार ने 2011 से पूर्वव्यापी प्रभाव से IPL आयोजकों के सुरक्षा शुल्क कम कर दिया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बकाया राशि माफ करने के राज्य के फैसले से सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है।

    न्यायालय ने टिप्पणी की कि उसे राज्य की ओर से न केवल पुलिस सुरक्षा के लिए शुल्क कम करने बल्कि मैच आयोजकों के खिलाफ बकाया राशि माफ करने का कोई तर्क नहीं मिला।

    न्यायाधीशों ने कहा,

    "हमें राज्य सरकार द्वारा न केवल शुल्क कम करने बल्कि आयोजकों के खिलाफ बकाया राशि माफ करने का कोई तर्क नहीं मिला।"

    इस प्रकार एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ को तत्काल मामले में अदालत की सहायता करने का निर्देश दिया। राज्य को बकाया राशि माफ करने के कारणों को बताते हुए विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया।

    इसमें राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 2011 से अब तक क्रिकेट मैच आयोजकों के कुल बकाया का खुलासा करते हुए हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया।

    इसके अलावा आयोजकों से बकाया राशि वसूलने के लिए राज्य द्वारा किए गए प्रयासों की जानकारी भी देने को कहा गया।

    केस टाइटल- अनिल गलगली बनाम पुलिस आयुक्त

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