न्यायिक कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग अन्य अदालतों में साक्ष्य के रूप में प्रयोग नहीं की जा सकती: बॉम्बे हाईकोर्ट, MERC सुनवाई रिकॉर्ड करने वाली PIL खारिज

Amir Ahmad

11 Nov 2025 5:33 PM IST

  • न्यायिक कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग अन्य अदालतों में साक्ष्य के रूप में प्रयोग नहीं की जा सकती: बॉम्बे हाईकोर्ट, MERC सुनवाई रिकॉर्ड करने वाली PIL खारिज

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र विद्युत विनियामक आयोग (MERC) की कार्यवाही की अनिवार्य ऑडियो–वीडियो रिकॉर्डिंग कराने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि न्यायिक अथवा अर्ध-न्यायिक कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग को किसी अन्य अदालत में 'साक्ष्य' के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता।

    चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंक्हड़ की खंडपीठ ने यह भी रेखांकित किया कि अदालत की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग पर पहले से ही स्पष्ट प्रतिबंध मौजूद है।

    खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने खुले न्यायालयों में सार्वजनिक सुनवाई की अवधारणा को न्याय प्रशासन के लिए अत्यंत आवश्यक बताया ताकि न्याय प्रणाली पर जनता का विश्वास बना रहे। लेकिन इसे आधार बनाकर यह मान लेना कि ऑडियो–वीडियो रिकॉर्डिंग करना ही सार्वजनिक हित में है, एक गलत व्याख्या है।

    चीफ जस्टिस ने आदेश में कहा,

    “याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के अवलोकनों की गलत व्याख्या कर रहे हैं। अदालत की कार्यवाही के वास्तविक रिकॉर्ड को भी किसी मुकदमे में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं है। कार्यवाही की रिकॉर्डिंग तो बिल्कुल ही प्रतिबंधित है। खासकर इसे किसी अन्य अदालत में साक्ष्य के रूप में पेश करना स्पष्ट रूप से वर्जित है।”

    खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि MERC की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग से उसकी खामियां उजागर होंगी। अदालत ने कहा कि यह तर्क स्थापित विधि सिद्धांतों के विपरीत है।

    चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की,

    “ऐसी वीडियो रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति कानून नहीं देता। यह याचिका PIL के नाम पर निजी स्वार्थ की मुकदमेबाजी प्रतीत होती है। इस प्रकार की याचिकाएँ कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं और निंदनीय हैं।”

    खंडपीठ ने आगे कहा कि यह याचिका व्यक्तिगत द्वेष और प्रचार के उद्देश्य से दायर की गई लगती है।

    अदालत ने कारोबारी और सोशल एक्टिविस्ट कमलाकर शेनॉय द्वारा दायर PIL को खारिज कर दिया। शेनॉय ने 4 सितंबर, 2018 के MERC के उस प्रस्ताव को चुनौती दी थी, जिसमें कार्यवाही की ऑडियो–वीडियो रिकॉर्डिंग न करने का निर्णय लिया गया था।

    उनका आरोप था कि MERC की कार्यवाही पारदर्शी ढंग से नहीं हो रही और उसमें कई खामियां हैं, जिन्हें उजागर करने के लिए रिकॉर्डिंग आवश्यक है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ऐसी रिकॉर्डिंग अन्य अदालतों में साक्ष्य के रूप में उपयोग की जा सकती है।

    अदालत ने सभी दलीलें सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट निर्णय दिया कि MERC सहित किसी भी न्यायिक या अर्ध-न्यायिक निकाय की वीडियो रिकॉर्डिंग को किसी अन्य अदालत में साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

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