आत्महत्या का प्रयास करने वाले व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के प्रावधानों के मद्देनजर दंडित नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

Amir Ahmad

26 Aug 2024 12:07 PM IST

  • आत्महत्या का प्रयास करने वाले व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के प्रावधानों के मद्देनजर दंडित नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने हाल ही में महिला कांस्टेबल को राहत दी, जिस पर आत्महत्या करने का मामला दर्ज किया गया था। उक्त कांस्टेबल ने तनाव में आकर यह कदम उठाया था। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के कारण उसके कृत्य पर कार्रवाई नहीं की जा सकती।

    जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस वृषाली जोशी की खंडपीठ ने भंडारा के लाखांदूर पुलिस स्टेशन में शीतल भगत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 309 के तहत दर्ज की गई एफआईआर खारिज कर दी।

    खंडपीठ ने 5 अगस्त को सुनाए गए अपने आदेश में कहा,

    "2017 के अधिनियम में IPC की धारा 309 के तहत दंडनीय आत्महत्या के प्रयास के अपराध का ध्यान रखा गया। इसमें प्रावधान है कि कृत्य की प्रकृति के अनुसार ऐसे व्यक्ति को तनाव में माना जाएगा। इसलिए उस पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और उसे दंडित नहीं किया जाएगा। खुद को चोट पहुंचाने या शायद जीवन को नुकसान पहुंचाने के कृत्य को तनाव में किया गया कृत्य माना जाता है। इसलिए उसे दंडात्मक परिणाम से बाहर रखा गया, जब तक कि अन्यथा साबित न हो जाए। इस प्रकार, अनुमान अभियुक्त के पक्ष में है। अभियोजन पक्ष को इसके विपरीत साबित करना होगा।"

    मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए जजों ने कहा कि आत्महत्या करने का प्रयास करने वाले व्यक्ति के बारे में मानसिक तनाव के बारे में वैधानिक अनुमान है। इस तरह के अनुमान को ध्यान में रखते हुए उसे मुकदमे में शामिल करने से बाहर रखा गया।

    खंडपीठ ने कहा,

    "हालांकि यह प्रस्तुत किया गया कि ट्रायल के दौरान अनुमान को हटाया जा सकता है, लेकिन कानून स्वयं उक्त व्यक्ति पर मुकदमा चलाने से रोकता है। हमने ऐसी सामग्री की जांच की है, जिससे हम यह निष्कर्ष निकालने में सक्षम नहीं हो सके कि आवेदक सामान्य था और तनाव में नहीं था।"

    जजों ने रिकॉर्ड से नोट किया कि आवेदक ने मार्च 2022 में चाकू की मदद से अपने हाथ पर चोट पहुंचाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। हालांकि पुलिस ने उसके प्रयास को विफल कर दिया, जो सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची।

    जजों ने कहा,

    "रिकॉर्ड से पता चलता है कि आवेदक ने अप्रत्याशित रूप से चाकू ले रखा था लेकिन उसने खुद को चोट पहुंचाई। इस प्रकार यह मानसिक तनाव में कृत्य करने का उदाहरण है। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 की धारा 115(1) के मद्देनजर, जो IPC की धारा 309 पर हावी है, आवेदक पर IPC की धारा 309 के अपराध के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।”

    इन टिप्पणियों के साथ खंडपीठ ने आवेदक के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी।

    केस टाइटल- शीतल दिनकर भगत बनाम महाराष्ट्र राज्य (आपराधिक आवेदन 783/2023)

    Next Story