सीलबंद संपत्ति से छेड़छाड़ और विलंब के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 लाख का भारी जुर्माना लगाया
Amir Ahmad
6 Oct 2025 3:12 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया कि कोई भी अधिभोगी (Occupant) जो कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त किरायेदार नहीं है। उसे मालिक की अनुमति के बिना परिसर में किसी भी तरह के तीसरे पक्ष के अधिकार बनाने या सौंपने का कोई हक़, शीर्षक या हित नहीं है।
जस्टिस कमल खाता ने ऑटो क्रेडिट कॉर्पोरेशन और रेखा प्रकाश जैन के आचरण पर गंभीर संज्ञान लिया। इन दोनों ने सील की गई संपत्ति में हस्तक्षेप करने और वसीयत संबंधी कार्यवाही में देरी करने की कोशिश की। कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग के लिए उन पर 25 लाख रुपये का अनुकरणीय जुर्माना लगाया और राशि को सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष में जमा करने का निर्देश दिया।
जस्टिस खाता ऑटो क्रेडिट कॉर्पोरेशन और रेखा प्रकाश जैन द्वारा दायर चैंबर समन पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें कार्यवाही में हस्तक्षेप करने और परिसर पर लगी सील को हटाने की अनुमति मांगी गई। कोर्ट ने पाया कि पहले के आदेशों (11 सितंबर 2018 और 15 जनवरी 2020) में यह स्पष्ट रूप से दर्ज किया गया कि आवेदकों का मुकदमे में कोई हित नहीं था और पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद उन्होंने संबंधित कार्यवाही को टैग करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
आवेदकों ने 1991 से किरायेदारी के अधिकारों का दावा किया और आरोप लगाया कि प्रशासक ने परिसर को गलत तरीके से सील कर दिया। हालांकि, प्रशासक ने बताया कि अप्रैल, 2008 के बाद से कोई किराया जमा नहीं किया गया और उनकी नियुक्ति पर परिसर बंद पाया गया। इसके बाद यह पता चला कि सील किए गए परिसर के साथ छेड़छाड़ की गई और बिना अनुमति के अंदर नई सामग्री रखी गई।
कोर्ट ने यह माना कि ऑटो क्रेडिट कॉर्पोरेशन अधिभोगी है, न कि एक वैध किरायेदार। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किरायेदारी के किसी भी दावे को स्मॉल कॉज़ेज़ कोर्ट के समक्ष स्थापित करना होगा, जिसके पास इस संबंध में विशेष अधिकार क्षेत्र है।
अदालत ने कहा,
"एक अधिभोगी के पास उचित कानूनी प्राधिकरण के अभाव में परिसर का उपयोग करने कब्जा करने या वहां से व्यवसाय करने के लिए तीसरे पक्ष के अधिकार सौंपने या बनाने का कोई कानूनी हक़ शीर्षक या हित नहीं होता है।"
कोर्ट ने टिप्पणी की कि आवेदकों के आचरण ने न केवल मुकदमे की प्रगति में देरी की है बल्कि कोर्ट प्रशासक को मृतक की संपत्ति का प्रशासन करने में अनावश्यक कठिनाई और परेशानी भी दी।
कोर्ट ने रेखा प्रकाश जैन को सील किए गए परिसर के साथ छेड़छाड़ करने के लिए अवमानना नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया, क्योंकि यह न्यायिक प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है, जिसके लिए कड़ा निवारक आवश्यक है।

