बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों ने वकील के आरोपों के बाद खुद को मामले से किया अलग, अवमानना नोटिस जारी और जांच के आदेश

Amir Ahmad

21 April 2025 10:56 AM

  • बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों ने वकील के आरोपों के बाद खुद को मामले से किया अलग, अवमानना नोटिस जारी और जांच के आदेश

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वकील द्वारा जजों पर प्रतिवादी के साथ मिलीभगत के आरोप लगाने को गंभीरता से लेते हुए खुद को उस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया। साथ ही संबंधित वकील विजय कुर्ले को आपराधिक अवमानना का शोकॉज नोटिस जारी किया। इसके अलावा, महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल को उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए।

    जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने यह भी आदेश दिया कि भविष्य में यदि किसी भी मामले में वकील विजय कुर्ले उपस्थित हों तो वह मामला इन दो जजों के समक्ष न लाया जाए।

    न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,

    “हम इस मामले को तर्कसंगत अंजाम तक ले जा सकते थे, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि न्याय केवल किया ही नहीं जाए, बल्कि होते हुए दिखे भी हम इस याचिका और इससे जुड़े अन्य मामलों की सुनवाई नहीं करेंगे। इन मामलों को चीफ जस्टिस के निर्देशानुसार उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।"

    मामला

    यह मामला एक पुरुष की मां और बहनोई द्वारा दाखिल की गई याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने पुरुष की पत्नी और उसके वकील के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद चल रहा है और दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई मामले दर्ज किए।

    21 मार्च को पीठ ने बार काउंसिल से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या वादियों द्वारा वकीलों पर झूठे आरोप और अनावश्यक शिकायतें करना एक बढ़ती प्रवृत्ति है।

    15 अप्रैल को जब मामला सूचीबद्ध था और वकील कुर्ले को अपनी दलीलें रखनी थीं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उन्होंने अपने मुवक्किलों को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने खुद को मामले से अलग करने की बात कही है।

    जब जजों ने उस पत्र को देखा, जिसे रजिस्ट्रार जनरल को भी भेजा गया था तो उसमें स्पष्ट रूप से जजों की पक्षपातपूर्ण भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए।

    कोर्ट में उपस्थित होकर वकील कुर्ले ने खुले तौर पर कहा,

    "कोर्ट प्रतिवादियों के साथ मिलीभगत में काम कर रही है।”

    कोर्ट ने इसे गंभीर आरोप मानते हुए कहा कि यह न्याय व्यवस्था में सीधी हस्तक्षेप है और इसका मकसद अदालत की गरिमा को गिराना है।

    कोर्ट ने कहा,

    यह स्पष्ट है कि वकील कुर्ले लगातार न्यायिक प्रक्रिया और न्याय के प्रशासन में व्यवधान डालने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी भाषा, आचरण और दस्तावेजों से यह साबित होता है।”

    कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि कुर्ले अक्सर न केवल अदालत बल्कि विपक्षी वकीलों के प्रति भी शत्रुतापूर्ण रवैया रखते हैं। अदालत में अपनी बात ज़ोर से बोलते हैं दूसरों को बोलने नहीं देते।

    कोर्ट ने कहा,

    “ऐसा लगता है कि कुर्ले यह समझते हैं कि वकील की पोशाक पहनने के बाद वे अदालत पर भी हावी हो सकते हैं। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।”

    कोर्ट ने अंत में यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा Re: Vijay Kurle & Ors. केस में भी कुर्ले के खिलाफ कड़ी टिप्पणियां की गई थीं। हाल ही में जस्टिस माधव जामदार ने भी बार काउंसिल को उनके खिलाफ जांच करने के आदेश दिए, जब उन्होंने एक मामले में बार-बार स्थगन मांगकर अंतिम आदेश को रोकने की कोशिश की थी।

    केस टाइटल: बृजेश बारोट बनाम रजिस्ट्रार जनरल, हाईकोर्ट (रिट याचिका 6700 / 2018)

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