Rape On Pretext Of Marriage | किराए का घर मुहैया कराना पीड़िता से शादी करने की मंशा नहीं बल्कि उसे आसानी से उपलब्ध रखने की मंशा दर्शाता है: बॉम्बे हाईकोर्ट
Amir Ahmad
3 Aug 2024 12:49 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के लिए किराए का घर मुहैया कराता है तो इससे यह साबित नहीं होता कि उसका उससे शादी करने का इरादा है बल्कि यह दर्शाता है कि उसका इरादा उसे अपनी मौज-मस्ती के लिए आसानी से उपलब्ध रखने का है।
जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने एक व्यक्ति की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार किया कि उसने शिकायतकर्ता महिला के लिए किराए का घर मुहैया कराया था, जिससे यह साबित होता है कि उसका उससे शादी करने का इरादा है।
जजों ने कहा,
"पीड़िता के रहने के लिए विभिन्न परिसर किराए पर लेना ही विवाह करने के इरादे का संकेत नहीं है। बल्कि वास्तव में यह याचिकाकर्ता की मंशा को दर्शाता है कि वह पीड़िता को ऐसी जगह पर रखना चाहता है, जहां वह किसी भी समय उसकी सुविधानुसार आसानी से उपलब्ध हो सके। पीड़िता के लिए किराए के घर की सुविधा प्रदान करना विवाह करने के इरादे को स्थापित नहीं करता। यह याचिकाकर्ता की मंशा को दर्शाता है कि वह पीड़िता को अपनी सुविधानुसार आसानी से उपलब्ध रखना चाहता है।"
खंडपीठ मुंबई के सेवरी निवासी व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें विवाह का वादा करके बलात्कार के आरोपों के तहत उसके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने की मांग की गई। अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार पालघर निवासी पीड़िता याचिकाकर्ता की परिचित थी और तलाकशुदा भी थी। वह अपने नाबालिग बेटे के साथ रहती थी। याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए संदर्भ पर उसे किसी टीवी शो में जूनियर आर्टिस्ट की भूमिका मिली।
वे घनिष्ठ मित्र बन गए और याचिकाकर्ता ने उसके पिछले विवाह से हुए बेटे की देखभाल करने का आश्वासन दिया। इसके बाद उसने पीड़िता के साथ यौन संबंध स्थापित किए। मार्च 2016 से दोनों के बीच संबंध शुरू हो गए। 2018 में याचिकाकर्ता ने ठाणे जिले के भयंदर में याचिकाकर्ता के लिए एक घर किराए पर लिया, जहां वह सप्ताह में 2 से 3 दिन उसके साथ रहता था। संबंध जारी रहा।
हालांकि जब पीड़िता ने याचिकाकर्ता से शादी करने का वादा पूरा करने के लिए कहा तो उसने कथित तौर पर उसके साथ मारपीट की। परिणामस्वरूप वह किराए का घर छोड़कर चली गई। बाद में याचिकाकर्ता ने अपने आचरण के लिए माफ़ी मांगी और फिर से पीड़िता से उसके साथ रहने का अनुरोध किया। उसे आश्वासन दिया कि वह जल्द ही उससे शादी करेगा।
वह उसके साथ दूसरे किराए के घर में रहने लगी, जिसकी व्यवस्था उसने उसके लिए की और दंपति ने अपने अंतरंग संबंध जारी रखे। हालांकि जब पीड़िता गर्भवती हुई तो याचिकाकर्ता ने उससे भ्रूण को गिराने के लिए कहा। उसने उसके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट भी की।
आरोप है कि गर्भावस्था के दौरान भी याचिकाकर्ता ने उसे अपने साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। इसके बाद जब पीड़िता ने बच्चे को जन्म दिया तो याचिकाकर्ता ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया और यहां तक कि बच्चे के पितृत्व से भी इनकार किया। इसलिए अगस्त 2022 में पीड़िता ने याचिकाकर्ता के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कराई।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सना खान ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का हमेशा से पीड़िता से विवाह करने का इरादा था। इसी कारण से उसने उसके लिए किराए के घर की व्यवस्था की थी। हालांकि पीड़िता के पहले विवाह से एक बच्चा होने की जानकारी मिलने के बाद ही वह पीछे हट गया।
खंडपीठ ने कहा,
"यह स्थापित करने का प्रयास किया गया कि यह केवल वादाखिलाफी का मामला है, न कि शादी का झूठा वादा करने का। एफआईआर की विषय-वस्तु से यह स्पष्ट है कि यौन संबंध पूरी तरह से याचिकाकर्ता द्वारा पीड़िता से शादी करने के आश्वासन पर था। याचिकाकर्ता ने उसे यह भी आश्वासन दिया कि वह पहले से हुई उसकी शादी से हुए बेटे की देखभाल करेगा। इसके बावजूद हमसे आग्रह किया जाता है कि हमें याचिकाकर्ता के बचाव को समझना चाहिए कि वह उससे शादी करने का पूरा इरादा रखता था लेकिन उसके बेटे के बारे में तथ्य ने ही उसे अपना मन बदलने पर मजबूर कर दिया। हम इस स्तर पर याचिकाकर्ता के बचाव का विश्लेषण नहीं कर सकते लेकिन हमें केवल एफआईआर में दिए गए कथनों पर गौर करना होगा। प्रथम दृष्टया यह पता लगाना होगा कि कथित अपराध का खुलासा उसके मात्र पढ़ने से होता है या नहीं।"
हम इस स्तर पर इरादे या दुर्भावना को स्थापित करने और मिनी-ट्रायल आयोजित करने के लिए पक्षों के साक्ष्य की सराहना करने के लिए आगे नहीं बढ़ सकते।
कोर्ट ने कहा,
"पक्षकारों के बीच शारीरिक अंतरंग संबंध था। पीड़िता के बयान के अनुसार उसने उससे शादी करने के वादे पर संबंध के लिए सहमति दी। हालांकि शुरू से ही याचिकाकर्ता का उससे शादी करने का कोई इरादा नहीं था।"
जजों ने स्पष्ट किया कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें विवाह करने का इरादा था और फिर जोड़े ने अंतरंग संबंध का आनंद लिया लेकिन बाद में यह वैवाहिक बंधन में परिणत नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि वर्तमान मामला केवल विवाह करने के वादे के उल्लंघन का मामला भी नहीं है।
जजों ने कहा,
"यहां तक कि जब याचिकाकर्ता को पता चला कि पीड़िता उससे गर्भवती हुई तो उसने पीड़िता के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की, जो शुरू से ही इरादे की कमी को दर्शाता है। यौन संबंध के लिए पीड़िता की सहमति भले ही दी गई हो, तथ्य की गलत धारणा से दूषित होती है, जो यह थी कि पीड़िता को विश्वास था कि याचिकाकर्ता उससे विवाह करेगा। इसी आश्वासन और वादे पर उसने यौन क्रिया में शामिल होने का फैसला किया।”
इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल- प्रमोद पुरबिया बनाम महाराष्ट्र राज्य (आपराधिक WP/4399/2022)