सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी की हिरासत में मौत की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी

Shahadat

16 May 2024 6:14 AM GMT

  • सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी की हिरासत में मौत की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मुंबई पुलिस को एक्टर सलमान खान के घर के पास गोलीबारी से संबंधित मामले में आरोपी अनुज थापन की मौत की शुरू की गई जांच पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसकी पुलिस हिरासत के दौरान मौत हो गई थी।

    जस्टिस संदीप वी. मार्ने और जस्टिस नीला केदार गोखले की अवकाश पीठ थापन की मां द्वारा मामले की CBI जांच की मांग को लेकर दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन्होंने थापन के शव का नए सिरे से पोस्टमार्टम करने के निर्देश भी मांगे हैं।

    खान के घर के बाहर गोलीबारी के सिलसिले में अन्य आरोपियों को हथियार मुहैया कराने के आरोप में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने थापन को 26 अप्रैल को तीन अन्य व्यक्तियों के साथ गिरफ्तार किया था।

    उन्हें 30 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। इस बीच, पुलिस ने मामले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत प्रावधान भी लागू किए।

    29 अप्रैल को पुलिस ने मकोका लगाने के बाद थापन समेत आरोपियों को ट्रायल कोर्ट में पेश किया।

    अदालत ने थापन सहित तीन आरोपियों की पुलिस हिरासत 8 मई तक बढ़ा दी, जबकि शेष आरोपियों को चिकित्सा आधार पर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

    1 मई को बताया गया कि थापन की आत्महत्या से मृत्यु हो गई, जिसके बाद उसकी मां ने हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान याचिका दायर की। थापन की मां रीता देवी ने दावा किया कि उनके बेटे की हत्या मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने की थी और पुलिस ने उस पर बेरहमी से हमला किया और उसे प्रताड़ित किया।

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील निशांत राणा राजंज ने दलील दी कि हिरासत में मौत की घटना के बावजूद पुलिस एफआईआर दर्ज करने में विफल रही है। उन्होंने कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला, जिनमें याचिकाकर्ता को पुलिस स्टेशन से सीसीटीवी फुटेज देने से इनकार करना, पोस्टमार्टम परिणाम उपलब्ध न कराना और महज अधिसूचना से परे मौत के बारे में जानकारी का अभाव शामिल है।

    इसके अलावा, उन्होंने यह पता लगाने में विफलता की ओर इशारा किया कि कथित आत्महत्या में इस्तेमाल की गई रस्सी या कपड़े को फोरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रक्रियात्मक खामियां थीं, जैसे मामले में अन्य सह-अभियुक्त व्यक्तियों के लिए न्यायिक हिरासत आदेश के बावजूद पुलिस हिरासत का अनधिकृत विस्तार।

    उन्होंने कहा कि इन कार्रवाइयों ने बॉम्बे पुलिस मैनुअल का उल्लंघन किया, जिसमें बॉम्बे पुलिस अधिनियम, 1951 की धारा 67 भी शामिल है, जो कैदियों की उचित देखभाल और भलाई को अनिवार्य करती है।

    याचिकाकर्ता ने मांग की कि तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए और पूरी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को स्थानांतरित कर दी जाए।

    लोक अभियोजक प्राजक्ता शिंदे ने अदालत को सूचित किया कि जांच पहले ही राज्य-सीआईडी (आपराधिक जांच विभाग) को स्थानांतरित कर दी गई। उन्होंने आगे कहा कि मजिस्ट्रियल जांच भी शुरू की गई, लेकिन वह इसकी वर्तमान स्थिति से अनजान थीं।

    जब उनसे एफआईआर दर्ज करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज कर ली गई। एडीआर के आधार पर मामले की जांच की जा रही है।

    अदालत ने उन्हें सुनवाई की अगली तारीख पर स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और याचिका को 22 मई, 2024 को आगे के विचार के लिए सूचीबद्ध किया। इस बीच अदालत ने संबंधित पुलिस स्टेशन और पुलिस अधिकारी से सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) को संरक्षित करने का आदेश दिया।

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