डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के परिवार ने उनकी हत्या के मामले में पांच में से तीन आरोपियों को बरी करने के विशेष न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया

Amir Ahmad

22 Aug 2024 12:56 PM IST

  • डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के परिवार ने उनकी हत्या के मामले में पांच में से तीन आरोपियों को बरी करने के विशेष न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया

    मारे गए तर्कवादी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के परिवार के सदस्यों ने 20 अगस्त 2013 को पुणे में उनकी हत्या के लिए पांच आरोपियों में से केवल दो को दोषी ठहराने वाले विशेष न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया।

    जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने अपील स्वीकार की और मामले के मुख्य आरोपी वीरेंद्रसिंह तावड़े, सचिन अंदुरे, शरद कलास्कर, एडवोकेट संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को नोटिस भी जारी किए जो कथित तौर पर दक्षिणपंथी समूहों - सनातन संस्था और हिंदू जनजागृति समिति के सदस्य हैं।

    पीठ ने महाराष्ट्र राज्य और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को भी नोटिस जारी किया और दोनों प्रतिवादियों ने इसे माफ कर दिया। अपील एडवोकेट विवेक पाटिल के माध्यम से दायर की गई।

    विशेष अदालत ने 10 मई, 2024 को दिए गए फैसले में सचिंद अंदुरे और शरद कालस्कर को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 और धारा 34 के आरोपों के तहत दोषी ठहराया था। अदालत ने अन्य सह-आरोपियों को धारा 120 बी के आरोपों से बरी कर दिया था।

    इसने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA Act) की धारा 16 और शस्त्र अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के लिए भी पांचों आरोपियों में से किसी को दोषी नहीं ठहराया था।

    अपनी अपील में परिवार ने स्पेशल कोर्ट द्वारा दिए गए निष्कर्षों की ओर इशारा किया है, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि आरोपियों के पास दाभोलकर की हत्या करने का मकसद था, उनमें से कुछ ने उन्हें खत्म करने की साजिश रची थी आदि, फिर भी अपने अंतिम निष्कर्ष मे आरोपियों को IPC और अन्य क़ानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराने में गलती की।

    अपील में कहा गया,

    “स्पेशल कोर्ट यह विचार करने में विफल रही कि जांच एजेंसियों द्वारा रिकॉर्ड में पर्याप्त सामग्री पेश की गई, जो उचित संदेह से परे यह स्थापित करती है कि सभी आरोपी डॉ. दाभोलकर की हत्या करने के लिए आपराधिक साजिश रचने में शामिल थे।"

    इसके अलावा परिवार ने आरोप लगाया कि स्पेशल कोर्ट मामले में UAPA कानून की प्रयोज्यता के संबंध में सबूतों का उचित मूल्यांकन करने में विफल रही। इसलिए इसने हाईकोर्ट से सभी पांच आरोपियों को हत्या आपराधिक साजिश और UAPA और शस्त्र अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराने का आग्रह किया।

    Next Story