अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ FIR सोशल मीडिया के जरिए जागरूकता अभियान: महाराष्ट्र DGP ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट
Amir Ahmad
23 April 2025 3:24 PM IST

महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक (DGP) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि राज्य में अवैध लाउडस्पीकरों और ध्वनि प्रदूषण को लेकर पुलिस विभाग द्वारा कई अभियान और पहलें चलाई गई हैं।
यह हलफनामा अवमानना याचिका के संदर्भ में दाखिल किया गया, जिसमें राज्य में 2940 अवैध लाउडस्पीकर होने का आरोप लगाया गया था।
यह अवमानना याचिका उन निर्देशों के पालन न किए जाने के आरोप में दायर की गई, जो कोर्ट ने 16 अगस्त, 2016 को एक जनहित याचिका में धार्मिक कार्यक्रमों और त्योहारों के दौरान ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार को दिए।
कोर्ट ने उस समय Noise Pollution (Regulation and Control) Rules, 2000 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए।
जनवरी, 2024 में इस याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि इन निर्देशों के पालन के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए।
22 अप्रैल को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से उपस्थित वकील ने चीफ जस्टिस आलोक आराध्ये और जस्टिस एम.एस. कर्णिक की खंडपीठ को सूचित किया कि पुलिस महानिदेशक और गृह विभाग के प्रमुख सचिव की ओर से हलफनामे दाखिल किए जा चुके हैं।
पुलिस महानिदेशक द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया कि अदालत के निर्देशों का पालन किया गया है।
हलफनामे के अनुसार:
343 लाउडस्पीकर हटाए गए।
831 लाउडस्पीकरों को अनुमति दी गई।
शेष मामलों में CrPC की धारा 149 के तहत नोटिस जारी किए गए।
19 अवैध लाउडस्पीकरों के मामले में FIR दर्ज की गई।
नवी मुंबई पुलिस आयुक्तालय ने अपने क्षेत्र में किसी भी अवैध लाउडस्पीकर की मौजूदगी से इनकार किया।
हलफनामे में उल्लेख किया गया कि 20.09.2016 और 10.11.2016 को डीजीपी कार्यालय से राज्य भर के पुलिस इकाइयों को सर्कुलर जारी किए गए, जिसमें अदालत के निर्देशों को लागू करने और ध्वनि प्रदूषण की समस्या को अखबारों, केबल नेटवर्क और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित करने को कहा गया।
इसके अतिरिक्त पुलिस इकाइयों द्वारा स्कूलों, कॉलेजों, सोसाइटीज और धार्मिक स्थलों पर कार्यक्रम आयोजित कर ध्वनि प्रदूषण उसके दुष्प्रभावों और कानूनी दंडों की जानकारी दी गई।
पुलिस स्टेशन मोहल्ला मीटिंग्स का आयोजन भी कर रहे हैं ताकि आम नागरिकों को कानून की धाराओं और उनके उल्लंघन पर होने वाले परिणामों की जानकारी दी जा सके।
शिकायत निवारण को लेकर हलफनामे में कहा गया कि ध्वनि प्रदूषण की शिकायतें ईमेल, वेबसाइट, निर्धारित मोबाइल नंबर, व्हाट्सएप, ऑनलाइन पोर्टल, ट्विटर आदि के माध्यम से प्राप्त की जाती हैं और उसका रिकॉर्ड पुलिस इकाइयों द्वारा रखा जाता है।
अदालत के आदेश के अनुसार पुलिस को 1853 नॉयस मीटर दिए जाने थे। हलफनामे में कहा गया है कि 2016 में दिए गए कुछ मीटर अब काम नहीं कर रहे हैं और डीजीपी गृह विभाग को नए मीटर खरीदने के लिए प्रस्ताव भेजेंगे।
गृह विभाग के प्रमुख सचिव ने भी एक हलफनामा दाखिल कर कहा कि डीजीपी ने अदालत के निर्देशों का पालन किया और इस विषय में निरंतर उचित कार्रवाई की जाएगी।
टाइटल: संतोष श्रीकृष्ण पचालग बनाम के. पी. बक्षी, अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं अन्य (CP/390/2018)

