संशोधन समिति ने निर्माताओं को कुछ और कट्स का सुझाव दिया: CBFC ने इमरजेंसी की रिलीज पर बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया
Amir Ahmad
26 Sept 2024 1:43 PM IST
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि उसकी संशोधन समिति ने विवादास्पद फिल्म इमरजेंसी के निर्माताओं को कुछ कट्स का सुझाव दिया है। उसके बाद ही BJP सांसद कंगना रनौत की फिल्म रिलीज की जा सकती है।
फिल्म के सह-निर्माता जी स्टूडियोज ने जस्टिस बर्गेस कोलाबावाला और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ से सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया, क्योंकि वह इस बारे में निर्देश लेना चाहेगा कि कट्स किए जा सकते हैं या नहीं।
मामले की सुनवाई शुरू हुई तो जस्टिस कोलाबावाला ने शुरू में ही कहा,
"कृपया हमें कुछ अच्छी खबर दीजिए।"
इस पर CBFC के वकील डॉ. अभिनव चंद्रचूड़ ने जवाब दिया,
"हमारी संशोधन समिति ने फिल्म में कुछ कट लगाने का सुझाव दिया है। अगर ऐसा किया जाता है तो यह (फिल्म) रिलीज हो सकती है।"
जी स्टूडियोज का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर वकील शरण जगतियानी ने सेंसर बोर्ड की संशोधन समिति द्वारा सुझाए गए कट लगाने के बारे में निर्देश लेने के लिए कुछ समय मांगा। इसलिए सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित की गई।
पीठ जी स्टूडियोज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें CBFC को फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
सह-निर्माता ने तर्क दिया कि सेंसर बोर्ड ने शुरू में ई-प्रमाण पत्र दिया और रनौत को ईमेल के माध्यम से इस बारे में सूचित भी किया।
हालांकि, इसने फिल्म पर विभिन्न आपत्तियों, खासकर सिख समुदाय द्वारा उठाई गई आपत्तियों का हवाला देते हुए प्रमाण पत्र की हार्ड कॉपी सौंपने से इनकार कर दिया।
दूसरी ओर CBFC ने कहा कि उसने कभी ई-सर्टिफिकेट जारी नहीं किया और रनौत और ज़ी द्वारा जिन ईमेल पर भरोसा किया जा रहा है, वे ऑटो-जेनरेटेड मेल थे।
हालांकि, पीठ ने CBFC को फिल्म पर आपत्तियों पर विचार करने और 18 सितंबर तक निर्णय लेने का आदेश दिया था।
पिछली सुनवाई में पीठ यह जानकर नाराज हुई कि सीबीएफसी ने अब मामले को अपनी संशोधन समिति को सौंप दिया है।
इस बीच ज़ी स्टूडियो ने पीठ के समक्ष आरोप लगाया कि CBFC केंद्र सरकार की ओर से काम कर रहा है। इस तरह जानबूझकर फिल्म की रिलीज में देरी कर रहा है, क्योंकि सत्ता में बैठी BJP नहीं चाहती कि फिल्म हरियाणा में आगामी चुनावों को प्रभावित करे, क्योंकि इसे सिख विरोधी के रूप में देखा जा रहा है।