फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स एक्ट को चुनौती देनी है तो भारत लौटिए: बॉम्बे हाईकोर्ट ने विजय माल्या से कहा
Amir Ahmad
23 Dec 2025 4:56 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि वह फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स एक्ट 2018 (FEO Act) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं तो उन्हें भारत लौटकर अदालत के अधिकार क्षेत्र के अधीन आना होगा।
अदालत ने माल्या से यह भी कहा कि वह एक हलफनामा दाखिल कर यह बताएँ कि वह भारत कब लौटने का प्रस्ताव रखते हैं।
चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखाड़ की खंडपीठ विजय माल्या द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
एक याचिका में FEO Act की वैधता को चुनौती दी गई, जबकि दूसरी में 5 जनवरी 2019 के उस आदेश को चुनौती दी गई, जिसके तहत विशेष अदालत ने माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया।
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि दोनों याचिकाएँ एक साथ नहीं चलाई जा सकतीं। अदालत ने कहा कि माल्या को इनमें से किसी एक याचिका को आगे बढ़ाने के लिए दूसरी वापस लेनी होगी।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि FEO Act की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका तब तक नहीं सुनी जाएगी, जब तक माल्या भारत लौटकर अदालत के अधिकार क्षेत्र में स्वयं को प्रस्तुत नहीं करते।
अदालत ने यह भी अंतर रेखांकित किया कि किसी कानून के तहत पारित आदेश को चुनौती देना और स्वयं कानून की वैधता को चुनौती देना दोनों अलग-अलग बातें हैं।
खंडपीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसके खिलाफ पारित आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन कानून की वैधता पर सवाल उठाने के लिए अदालत के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है।
विजय माल्या की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अमित देसाई ने इस शर्त का विरोध करते हुए तर्क दिया कि संबंधित कानून स्वयं भारत से बाहर रहकर भी कार्यवाही की अनुमति देता है।
हालांकि अदालत ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया और अपने रुख पर कायम रही।
सुनवाई के दौरान देसाई ने यह भी बताया कि माल्या सरकार के साथ विवाद का समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने माल्या की लगभग 14,000 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ कुर्क कर ली हैं, जबकि कथित देनदारी करीब 6,000 करोड़ रुपये की है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि इन संपत्तियों पर अब माल्या का कोई नियंत्रण नहीं है और इस संबंध में संसद में भी बयान दिया जा चुका है।
इस पर चीफ जस्टिस ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा,
“भारत लौटिए हम यहां समाधान देने के लिए मौजूद हैं। आपको इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में आना होगा।”
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि विजय माल्या के खिलाफ प्रत्यर्पण की कार्यवाही अलग से चल रही है और वह अंतिम चरण में है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को तय की। अदालत ने यह विकल्प खुला रखा कि विजय माल्या यह तय करें कि वह कौन-सी याचिका आगे बढ़ाना चाहते हैं और क्या वह भारत लौटने को लेकर हलफनामा दाखिल करेंगे या नहीं।

