बॉम्बे हाईकोर्ट ने गृहिणी के खिलाफ पुनर्मूल्यांकन आदेश खारिज किया, कहा- संपत्ति उसके पति द्वारा खरीदी गई

Amir Ahmad

9 April 2024 12:10 PM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने गृहिणी के खिलाफ पुनर्मूल्यांकन आदेश खारिज किया, कहा- संपत्ति उसके पति द्वारा खरीदी गई

    Bombay High Court 

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गृहिणी के खिलाफ पुनर्मूल्यांकन आदेश खारिज किया। कोर्ट ने कहा कि कथित निवेश उसके पति द्वारा किया गया।

    जस्टिस के.आर. श्रीराम और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा,

    "हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि आश्चर्यजनक रूप से आयकर के प्रधान मुख्य आयुक्त ने भी याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही को छोड़ने के लिए AO को निर्देश देने के बजाय इस आदेश को जारी करने की मंजूरी दी।"

    याचिकाकर्ता/करदाता गृहिणी है, जिसकी कोई आय नहीं है। इसलिए वह कोई आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर रही, उसको आयकर अधिकारी से आयकर अधिनियम 1961 की धारा 148ए(बी) के तहत नोटिस मिला। नोटिस में कहा गया कि अधिकारी के पास ऐसी जानकारी है, जो बताती है कि कर निर्धारण वर्ष 2016-2017 के लिए कर योग्य आय कर निर्धारण से बच गई।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि संपत्ति उसके पति प्रवीण पाटिल द्वारा खरीदी गई और सभी भुगतान उन्होंने ही किए। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता का नाम बिक्री के लिए समझौते में संयुक्त धारक के रूप में शामिल किया गया, लेकिन याचिकाकर्ता द्वारा कोई भुगतान नहीं किया गया। संपत्ति के लिए रजिस्टर्ड समझौते की एक कॉपी पति के बैंक विवरण आदि उपलब्ध कराए गए।

    अधिनियम की धारा 148ए(डी) के तहत आदेश पारित किया गया। आदेश में कहा गया कि कर निर्धारण अधिकारी (AO) ने जांच की कि क्या कर निर्धारण की आवश्यकता है तथा कर निर्धारण अधिकारी द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण और दस्तावेज उपलब्ध सूचना के आधार पर इस सुझाव को निर्णायक रूप से नहीं रोकते हैं कि कर योग्य आय कर निर्धारण से बच गई।

    आदेश पारित करने का एकमात्र आधार यह है कि कर निर्धारण अधिकारी ने अपने पति द्वारा संपत्ति की खरीद के लिए भुगतान किए गए 88,75,000 रुपए के स्रोत, स्रोत और रिश्तेदारों से प्राप्त राशि का विवरण प्रस्तुत नहीं किया, जबकि पति की आय केवल 18,49,980 रुपए है।

    विभाग ने याचिका का विरोध किया, लेकिन अंत में वह इस बात पर सहमत हो गया कि पति के कर निर्धारण के लिए वह विवरण पति से मांगा जाना चाहिए, न कि याचिकाकर्ता से, क्योंकि AO ने स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता ने संपत्ति की खरीद के लिए कोई भुगतान नहीं किया।

    न्यायालय ने अधिनियम की धारा 148ए(डी) के तहत पारित आदेश रद्द कर दिया और उसे अलग रखा, क्योंकि यह याचिकाकर्ता के मामले में कर निर्धारण को फिर से खोलने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है।

    केस टाइटल- कल्पिता अरुण लांजेकर बनाम आयकर अधिकारी

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