2012 में मानसिक रूप से विकलांग बच्चियों के साथ 'न्यू ईयर पार्टी' पर कार्रवाई नहीं होने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई
Amir Ahmad
16 Jun 2025 5:23 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार और उसके अधिकारियों को खुद पर 'शर्म' आनी चाहिए कि वे 11 साल बाद भी यह नहीं बता पाए कि क्या उन्होंने दिसंबर 2012 में 'चौंकाने वाली' न्यू ईयर पार्टी के लिए चिल्ड्रन एड सोसाइटी (CAS) और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है, जिसमें मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए बने गृह में 20 मानसिक रूप से विकलांग लड़कियों को 'कम कपड़ों में' डांसरों के साथ नाचने के लिए मजबूर किया गया था।
याचिका के अनुसार मुंबई के मानखुर्द में मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के गृह में शराब बार डांसरों और बाहरी लोगों के साथ एक चौंकाने वाली पार्टी आयोजित की गई, जिसमें उक्त गृह की लगभग 20 लड़कियों को सुबह 3 बजे तक अर्ध-नग्न डांसरों के साथ नाचने के लिए मजबूर किया गया।
घटना के लगभग 11 महीने बाद यह मामला प्रकाश में आया, जब CAS द्वारा संचालित होम के कर्मचारियों ने CAS की गवर्निंग काउंसिल को एक पत्र लिखकर इस घटना को उजागर किया और यह सुनिश्चित करने की मांग की कि भविष्य में ऐसी कोई घटना न दोहराई जाए।
2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें विभिन्न राहतों की मांग की गई, जिसमें उक्त होम के एक दानदाता द्वारा आयोजित पार्टी की अनुमति देने के लिए CWC और CAS अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी शामिल थी।
इस मामले में विभिन्न खंडपीठों ने समय-समय पर आदेश पारित किए हैं और जनहित याचिका अभी भी लंबित है।
सोमवार को मामले की सुनवाई हुई तो चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की खंडपीठ ने कहा कि वे जनहित याचिका को इसके दाखिल होने के 11 साल बाद भी लंबित नहीं रहने दे सकते, क्योंकि राज्य के अधिकारी इस बारे में अनिश्चित हैं कि कोई कार्रवाई की गई है या नहीं।
सीजे आराधे ने सरकारी वकील से पूछा,
"हम जनहित याचिका को हमेशा के लिए लंबित नहीं रहने दे सकते... कोई कार्रवाई की गई है या नहीं? हम नहीं चाहते कि यह जनहित याचिका अनावश्यक रूप से लंबित रहे। बस इतना बताइए कि कार्रवाई की गई या नहीं।”
सरकारी वकील ने यह सत्यापित करने के लिए कुछ समय मांगा कि क्या कोई कार्रवाई की गई।
इस जवाब से नाराज चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की,
"आपको अपने अधिकारियों और खुद पर शर्म आनी चाहिए अगर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। अगर आप इस अदालत में कहते हैं कि आपको मामले में जो कुछ हुआ है उसकी जांच करनी होगी... क्या आप ऐसे संवेदनशील मामलों में ऐसा करते हैं। यह एक जनहित याचिका है, जिसमें जनहित शामिल है और आपको इस बात की जानकारी नहीं है कि कोई कार्रवाई की गई या नहीं।"
वकील द्वारा अतिरिक्त समय के लिए अनुरोध करने पर पीठ ने आदेश में दर्ज किया,
"पूछे जाने पर सरकारी वकील यह स्पष्ट करने में असमर्थ है कि कोई कार्रवाई की गई है या नहीं और वह समय मांगता है। हम नहीं चाहते कि यह जनहित याचिका लंबित रहे। इस प्रकार, हम उक्त जनहित याचिका का निपटारा करते हैं, जिसमें 31 दिसंबर, 2012 की घटना की गहन जांच की मांग की गई है, जिसमें कथित तौर पर शराब परोसी गई थी और उक्त गृह में अर्धनग्न लड़कियां नाच रही थीं।"
खंडपीठ ने शारीरिक विकलांग व्यक्तियों के आयुक्त को घटना की जांच शुरू करने का निर्देश जारी किया।
जजों ने आदेश दिया,
"यह ध्यान देने योग्य है कि CWC के अध्यक्ष और बाल एवं महिला कल्याण समिति के अध्यक्ष ने भी घटना की जांच की थी, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। हमें यह जानकर आश्चर्य हो रहा है। खासकर इसलिए, क्योंकि यह जनहित याचिका पिछले 11 वर्षों से लंबित है। इसलिए शारीरिक विकलांग व्यक्तियों के आयुक्त को घटना की नए सिरे से जांच करने का निर्देश दिया जाता है। वह आज से छह सप्ताह के भीतर जांच करेंगे और इसकी एक रिपोर्ट हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को सौंपी जाएगी।"

