बॉम्बे हाईकोर्ट ने डिप्रेशन और इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर के इलाज के कारण HSC इम्प्रूवमेंट परीक्षा में शामिल न हो पाने वाले स्टूडेंट को दोबारा परीक्षा देने की अनुमति दी
Amir Ahmad
8 July 2024 1:00 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में स्टूडेंट को जुलाई 2024 में हायर सेकेंडरी सर्टिफिकेट (HSC) इम्प्रूवमेंट परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी, जबकि संबंधित नियमों के तहत उसे ऐसा करने से रोका गया है।
जस्टिस एएस चंदुरकर और जस्टिस राजेश एस पाटिल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अनुमति दी, जो पिछले साल जुलाई में परीक्षा नहीं दे सका था क्योंकि वह डिप्रेशन और इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर के इलाज से गुजर रहा था।
अदालत ने कहा,
"भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट सहित रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों से पता चलता है कि याचिकाकर्ता कम से कम दिसंबर 2023 के अंत तक इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर का इलाज करवा रहा था। मामले के अजीबोगरीब तथ्यों में हम पाते हैं कि याचिकाकर्ता को अपने अंकों में सुधार करने का अवसर दिया जाना चाहिए, क्योंकि उसे पहले मेडिकल कारणों से ऐसा करने से रोका गया था।"
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह होनहार स्टूडेंट है, जिसने 11वीं कक्षा तक 85% से 93% के बीच अंक प्राप्त किए। हालांकि मार्च 2023 में आयोजित अपनी HSC परीक्षा में उसने 600 में से केवल 319 अंक प्राप्त किए, क्योंकि वह डिप्रेशन से पीड़ित थी।
याचिकाकर्ता ने जुलाई 2023 से दिसंबर 2023 तक भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र अस्पताल में डिप्रेशन और चिंता के लिए मेडिकल उपचार करवाया, जहां उसे इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर का भी पता चला। माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के नियमों के अनुसार स्टूडेंट्स को तत्काल आगामी परीक्षा में अपने अंकों में सुधार करने का प्रयास करने की अनुमति है। यह अवसर केवल एक बार ही उपलब्ध है।
याचिकाकर्ता के अनुसार अपने चल रहे उपचार के कारण वह जुलाई 2023 की परीक्षा में इस अवसर का लाभ नहीं उठा सकी।
याचिकाकर्ता ने मार्च 2024 की परीक्षा में बैठने के लिए फरवरी 2024 में अपने कॉलेज से अनुमति मांगी लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। नतीजतन, उसने राहत की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने प्रस्तुत किया कि सुधार परीक्षाओं को नियंत्रित करने वाले प्रासंगिक नियमों के खंड 92.6 के अनुसार याचिकाकर्ता को सुधार की मांग करने से रोक दिया गया, क्योंकि वह जुलाई 2023 और मार्च 2024 की सुधार परीक्षाओं में उपस्थित नहीं हुआ था।
अदालत ने नोट किया कि याचिकाकर्ता अपने मेडिकल उपचार के कारण परीक्षाओं में भाग लेने में असमर्थ था, जिसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट से हुई।
न्यायालय ने फैसला सुनाया कि न्याय के हित में याचिकाकर्ता को 16 जुलाई, 2024 से शुरू होने वाली जुलाई 2024 की एचएससी परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। यह अनुमति याचिकाकर्ता द्वारा अपेक्षित आवेदन करने और अपने स्कूल को आवश्यक विलंब शुल्क का भुगतान करने पर निर्भर है।
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि यह फैसला मामले के अनूठे तथ्यों और याचिकाकर्ता के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर विचार करते हुए किया गया। इसलिए इस निर्णय को भविष्य के मामलों के लिए मिसाल के तौर पर नहीं माना जाना चाहिए।
केस टाइटल- आराध्या अरविंद सिंह बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।