बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऑक्ट्रॉय चोरी मामले में चंदा कोचर और ICICI बैंक अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन किया रद्द

Amir Ahmad

11 Dec 2025 5:55 PM IST

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऑक्ट्रॉय चोरी मामले में चंदा कोचर और ICICI बैंक अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन किया रद्द

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में पूर्व ICICI बैंक प्रमुख चंदा कोचर और बैंक के चार वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ 2009 में जारी समन और पूरे अभियोजन को रद्द कर दिया।

    यह मामला पुणे नगर निगम द्वारा सोने के सिक्कों और बुलियन पर ऑक्ट्रॉय न चुकाने के आरोपों से संबंधित था। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि बैंक के खिलाफ मुकदमा आगे बढ़ता रहेगा।

    जस्टिस नीला गोखले की एकल पीठ ने कहा कि पुणे नगर निगम (PMC) की शिकायत में अधिकारियों के किसी विशेष कृत्य का उल्लेख नहीं था, जिससे उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का कोई आधार नहीं बनता।

    अदालत ने बॉम्बे प्रांतीय नगरपालिकाएँ अधिनियम (BPMC Act) की धारा 398 की व्याख्या करते हुए कहा कि यह प्रावधान तभी लागू होता है जब ऑक्ट्रॉय योग्य सामान शहर की सीमा में लाया जाए उस पर शुल्क अदा न किया गया हो और यह गैर-अनुपालन निगम को धोखा देने की नीयत से किया गया हो।

    अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी कंपनी पर आरोप लगने मात्र से उसके निदेशकों, प्रबंधकों या अधिकारियों को जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि शिकायत में उनके खिलाफ कोई ठोस और अपराध से जुड़ी भूमिका का स्पष्ट उल्लेख न हो। यह स्थापित विधि है कि व्यक्तिगत आपराधिक दायित्व तभी बनता है जब आरोपित व्यक्ति की विशेष भागीदारी का वर्णन किया गया हो।

    पुणे नगर निगम की ओर से आरोप लगाया गया था कि अप्रैल 2006 से अगस्त 2009 के दौरान ICICI बैंक ने सोने के बुलियन और सिक्के पुणे में बिना ऑक्ट्रॉय चुकाए मंगवाए। निगम ने लगभग 1.27 करोड़ की देयता तय कर नोटिस जारी किए। इसके बाद एक शिकायत दायर की, जिस पर मजिस्ट्रेट ने चंदा कोचर, पूर्व डिप्टी एमडी नचिकेत मोर, एक विधि अधिकारी और बंड गार्डन शाखा प्रबंधक को समन जारी किया था।

    अधिकारियों का पक्ष था कि शिकायत अस्पष्ट थी और उसमें यह नहीं बताया गया था कि उनमें से किसी की क्या भूमिका थी। दूसरी ओर, PMC ने यह दावा किया कि बैंक ने ऑक्ट्रॉय योग्य सामान बिना शुल्क चुकाए आयात किया और इसलिए वह दायित्व से नहीं बच सकता।

    हाईकोर्ट ने पाया कि शिकायत में व्यक्तिगत अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए आवश्यक मूल तत्वों का अभाव था। अदालत ने कहा कि शिकायत का साधारण पठन भी यह नहीं दर्शाता कि याचिकाकर्ता संख्या 2 से 5 में से किसी के खिलाफ कोई विशिष्ट आरोप या भूमिका दर्ज है। ऐसे में इनके खिलाफ अभियोजन जारी रखना कानूनन संभव नहीं है।

    इस प्रकार अदालत ने चंदा कोचर और अन्य चार अधिकारियों के खिलाफ समन और अभियोजन रद्द कर दिया, जबकि बैंक के खिलाफ कार्यवाही को जारी रखने का निर्देश दिया।

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