बॉम्बे हाईकोर्ट ने वकीलों के बिना तैयारी के कोर्ट आने पर आपत्ति जताई

Amir Ahmad

29 Jan 2025 5:01 AM

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने वकीलों के बिना तैयारी के कोर्ट आने पर आपत्ति जताई

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (28 जनवरी) को मौखिक रूप से वकीलों द्वारा अपने मामलों की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने के बावजूद तैयार होकर न आने पर आपत्ति जताई।

    जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा कि उचित तैयारी के बिना आने से ये वकील अपने मुवक्किलों के साथ-साथ उन वादियों के साथ भी अन्याय कर रहे है, जिनके मामले सूचीबद्ध हैं, लेकिन समय की कमी के कारण उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है।

    जस्टिस मोहिते-डेरे ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

    "यह क्या हो रहा है? हम देखते हैं कि बहुत से वकील बिना तैयारी के कोर्ट आ रहे हैं। कृपया आगे से पूरी तैयारी करके आएं। यदि आप पूरी तैयारी के साथ नहीं आ सकते तो हम इस तरह से कोर्ट का समय बर्बाद नहीं कर सकते।"

    पीठ ने बताया कि उसके रोस्टर में अन्य निश्चित मामलों और अंतिम सुनवाई के मामलों के अलावा मृत्युदंड की पुष्टि के कई मामले भी हैं। लेकिन वह ऐसे मामलों के कारण समय पर सुनवाई करने में असमर्थ है जिसमें वकील बिना तैयारी के बहस शुरू कर देते हैं और अदालत का समय बर्बाद करते हैं

    खंडपीठ ने कहा,

    "हम लगभग हर दिन ऐसे मामलों के कारण पुष्टिकरण मामलों, तय मामलों, अंतिम सुनवाई के मामलों की सुनवाई करने में असमर्थ हैं। हम यह स्पष्ट कर दें कि अच्छी तरह से तैयार न होकर और फिर भी अपने मामले पर बहस करके आप अपने मुवक्किल के साथ ही अन्याय नहीं कर रहे हैं, बल्कि अन्य वादियों या अन्य सूचीबद्ध मामलों के मुवक्किलों के साथ भी अन्याय कर रहे हैं, जिन पर सुनवाई नहीं हुई।”

    पीठ ने वकीलों को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि यदि यह स्थिति बनी रहती है तो वह लंच ब्रेक के बाद तय मामलों और अंतिम सुनवाई के मामलों पर ध्यान केंद्रित करेगी।

    पीठ ने मौखिक रूप से कहा,

    "यदि यह जारी रहा तो हम अब से दोपहर में अपने बोर्ड को छुट्टी दे देंगे। तय मामलों और अंतिम सुनवाई के मामलों पर सुनवाई करेंगे। हम इस तरह से नहीं चल सकते। हम उन मामलों के साथ अन्याय कर रहे हैं, इसलिए हम उन्हें सुनवाई के लिए लेंगे।”

    पीठ ने यह टिप्पणी आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमें एक वकील अदालत के सवालों का उचित जवाब नहीं दे पाया और उसे मामले के तथ्यों की भी ठीक से जानकारी नहीं थी।

    अदालत ने इस पर गौर करते हुए कुछ वकीलों के इस आचरण पर नाराजगी जताई। इसलिए खुली अदालत में यह टिप्पणी की।

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