आपराधिक मामलों में योगदान देने वाली लापरवाही का सिद्धांत लागू नहीं: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

Amir Ahmad

12 Sept 2025 3:28 PM IST

  • आपराधिक मामलों में योगदान देने वाली लापरवाही का सिद्धांत लागू नहीं: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

    आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया कि आपराधिक मामलों में योगदान देने वाली लापरवाही का सिद्धांत लागू नहीं होता। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई ड्राइवर लापरवाही से गाड़ी चलाकर किसी की मौत का कारण बनता है तो वह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304A के तहत दंडनीय होगा भले ही पीड़ित की ओर से भी कुछ लापरवाही रही हो।

    जस्टिस मल्लिकार्जुन राव की एकल पीठ ने आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (APSRTC) के एक बस चालक की अपील पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। बस चालक को एक 75 वर्षीय महिला को कुचलने के आरोप में दोषी ठहराया गया। ट्रायल कोर्ट और अपीलीय अदालत ने उसे दोषी मानते हुए साल के साधारण कारावास और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

    बस चालक ने अपनी याचिका में दलील दी कि महिला खुद जिम्मेदार थी, क्योंकि वह अचानक और लापरवाही से बस के सामने आ गई, जिससे उसे दुर्घटना से बचने का मौका नहीं मिला। उसने यह भी कहा कि बस को हॉर्न बजाए बिना या कंडक्टर से सलाह लिए बिना ही चला दिया गया।

    कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा,

    "योगदान देने वाली लापरवाही का सिद्धांत आपराधिक कृत्यों पर लागू नहीं होता। पीड़ित की लापरवाही IPC की धारा 304A के तहत लगाए गए आरोप के खिलाफ कोई बचाव नहीं है।"

    कोर्ट ने आगे कहा कि एक ड्राइवर को सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों के संभावित लापरवाही भरे कृत्यों का अनुमान लगाना चाहिए।

    न्यायालय ने ड्राइवर द्वारा हॉर्न न बजाना, पर्याप्त समय तक इंतजार न करना या बस को चलाने से पहले कंडक्टर की सहायता न लेना जैसी सावधानियां न बरतने को लापरवाही माना। कोर्ट ने कहा कि एक बस चालक का कर्तव्य है कि वह बस को चलाने से पहले अपने आस-पास के माहौल का सावधानीपूर्वक निरीक्षण करे खासकर बस स्टॉप पर जहां यात्रियों और पैदल यात्रियों की उपस्थिति के कारण अधिक सतर्कता की आवश्यकता होती है।

    याचिकाकर्ता की ओर से उसकी उम्र (26 साल) परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य होना और कोई आपराधिक इतिहास न होने के आधार पर सजा कम करने की मांग की गई।

    इस पर कोर्ट ने कहा कि हालांकि योगदान देने वाली लापरवाही आपराधिक कानून में बचाव नहीं है। हालांकि, इसे सजा तय करते समय एक कम करने वाले कारक के रूप में माना जा सकता है। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि आरोपी शराब के नशे में नहीं था। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता की एक साल की सजा को घटाकर तीन महीने कर दिया। आपराधिक संशोधन मामले को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया गया।

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