प्रतिवादी द्वारा वादी के स्वामित्व पर विवाद न किए जाने पर घोषणात्मक राहत के बिना निषेधाज्ञा मुकदमा कायम रखा जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-01-15 10:49 GMT
प्रतिवादी द्वारा वादी के स्वामित्व पर विवाद न किए जाने पर घोषणात्मक राहत के बिना निषेधाज्ञा मुकदमा कायम रखा जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल निषेधाज्ञा के लिए दायर किया गया मुकदमा केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963 (SRA) की धारा 34 के तहत घोषणात्मक राहत का अभाव है, खासकर तब जब प्रतिवादी वादी के स्वामित्व पर विवाद न करें।

न्यायालय ने कहा,

“कानून में यह अच्छी तरह से स्थापित है कि यदि प्रतिवादी वादी के स्वामित्व पर विवाद न करें तो मुकदमा केवल इस आधार पर विफल नहीं होना चाहिए कि मामला केवल निषेधाज्ञा के लिए दायर किया गया है और घोषणा के रूप में कोई मुख्य राहत नहीं मांगी गई।”

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ उड़ीसा हाईकोर्ट के उस निर्णय से उत्पन्न मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट ने दूसरी अपील में ट्रायल कोर्ट के आदेश को पलट दिया और कहा कि SRA की धारा 34 के तहत घोषणात्मक राहत मांगे बिना वादी द्वारा सरलीकृत मुकदमे में निषेधाज्ञा बनाए रखने योग्य नहीं होगी।

अपीलकर्ता/वादी के अनुसार, चूंकि प्रतिवादी ने मुकदमे की संपत्ति पर अपने स्वामित्व को लेकर विवाद नहीं किया था। इस तथ्य को हाईकोर्ट ने नजरअंदाज कर दिया, इसलिए हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित सुविचारित आदेश में हस्तक्षेप करके गलती की।

अपीलकर्ता के तर्क को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने कहा,

“हाईकोर्ट के संपूर्ण विवादित निर्णय में हमें संपत्ति के स्वामित्व से संबंधित विवाद के संबंध में कोई चर्चा नहीं मिलती है।”

न्यायालय के अनुसार, जब हाईकोर्ट ने मुकदमे की संपत्ति के टाइटल से संबंधित विवाद पर चर्चा नहीं की थी तो फिर वादी के मुकदमे को सिर्फ इसलिए खारिज कैसे कर दिया गया, क्योंकि यह घोषणात्मक राहत की मांग किए बिना निषेधाज्ञा के रूप में दायर किया गया था?

न्यायालय ने पाया कि हाईकोर्ट का निर्णय त्रुटिपूर्ण था, क्योंकि इसमें भौतिक मुद्दों और प्रासंगिक कानून पर विचार करने में विफलता थी। तीन महीने के भीतर मामले को पुनर्विचार के लिए हाईकोर्ट को भेज दिया गया।

केस टाइटल: कृष्ण चंद्र बेहरा और अन्य बनाम नारायण नायक और अन्य।

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