उर्दू भाषा व्यापक रूप से प्रचलित नहीं, निकाहनामा को समझने योग्य बनाने के लिए उसमें हिंदी/अंग्रेजी भी होनी चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2024-12-04 06:01 GMT

मुस्लिम विवाहों के संबंध में राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को ऐसे दस्तावेज द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए, जो सुस्पष्ट स्पष्ट, सुस्पष्ट और पारदर्शी हो। इसे उर्दू जैसी भाषा में जारी नहीं किया जाना चाहिए, जो समाज में व्यापक रूप से खासकर लोक सेवकों और न्यायालय के अधिकारियों के लिए ज्ञात न हो ।

जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने कहा कि यदि निकाहनामा के मुद्रित प्रोफार्मा में हिंदी या अंग्रेजी हो तो इससे जटिलताओं को हल करने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रत्येक शहर के जिला मजिस्ट्रेट/कलेक्टर को उन व्यक्तियों का रिकॉर्ड रखने के लिए रजिस्टर रखना चाहिए, जो निकाहनामा कर सकते हैं। केवल ऐसे लोग ही निकाह की रस्म अदा करने के पात्र होंगे।

“इस समय यह सोचा गया कि निकाहनामा करने वाले व्यक्तियों को ऐसी भाषा में प्रमाण पत्र जारी नहीं करना चाहिए, जो समाज में व्यापक रूप से ज्ञात न हो। खासकर लोक सेवकों और न्यायालय के अधिकारियों को। इस न्यायालय का दृष्टिकोण है कि प्रत्येक शहर के जिला मजिस्ट्रेट/जिला कलेक्टर को उन व्यक्तियों का रिकॉर्ड रखना चाहिए, जो निकाहनामा कर सकते हैं। उन्हें एक अलग फ़ाइल में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। केवल वे लोग ही निकाह की रस्म अदा करने के पात्र होंगे हर कोई टॉम, डिक और हैरी नहीं।”

न्यायालय FIR दर्ज करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। फ़ाइल को देखते हुए न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने निकाहनामा पर भरोसा किया, जो उर्दू में है और कहा कि उर्दू के ज्ञान के अभाव में यह समझ में नहीं आता है।

इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा कि निकाहनामा को साक्ष्य के रूप में लिया जा सकता है लेकिन जब ऐसे निकाहनामा की विषय-वस्तु सरकारी कर्मचारियों, सार्वजनिक/निजी संस्थानों, कई अन्य विभागों आदि के लिए समझ से बाहर हो तो इससे समस्याएं पैदा होंगी और जटिलताएं बढ़ सकती हैं। इसलिए इसके लिए विनियमन की आवश्यकता है।

यह कहा गया कि सबसे पहले प्रत्येक जिले के कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट को उन व्यक्तियों का रिकॉर्ड रखना चाहिए, जो निकाहनामा पढ़ सकते हैं। केवल ऐसे व्यक्ति ही निकाह करने के पात्र होने चाहिए। दूसरी बात, निकाह करने वाले व्यक्तियों को ऐसी भाषा में निकाहनामा जारी नहीं करना चाहिए, जो व्यापक रूप से ज्ञात न हो। यदि प्रमाण पत्र में हिंदी या अंग्रेजी हो तो इससे मदद मिलेगी।

तदनुसार, न्यायालय ने मामले में राज्य की ओर से उपस्थित होने वाले वकील को अल्पसंख्यक मामलों के विभाग के सीनियर अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने और अगली सुनवाई में न्यायालय को परिणाम से अवगत कराने का निर्देश दिया। गृह विभाग के सचिव को भी अगली सुनवाई में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया।

टाइटल: अदनान अली एवं अन्य बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य

Tags:    

Similar News