[NIA Act] अभियुक्त को जमानत देने से इनकार करने या देने के आदेश को धारा 21(4) के तहत अपील योग्य माना जा सकता है, CrPc के तहत याचिका के रूप में नहीं: मणिपुर हाईकोर्ट

Update: 2024-07-02 07:02 GMT
Manipur High Court

मणिपुर हाईकोर्ट ने माना कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम 2008 (NIA Act) के तहत अपराधों के लिए अभियुक्त को जमानत देने या देने से इनकार करने के आदेश को अधिनियम की धारा 21(4) के तहत अपील के रूप में चुनौती दी जा सकती है न कि धारा 439(2)/482 सीआरपीसी के तहत दायर याचिका के रूप में सकती है।

इसके अलावा यह माना गया कि राज्य सरकार द्वारा गठित एजेंसी द्वारा की गई मामले की जांच अधिनियम की धारा 21 के दायरे में आती है।

जस्टिस गोलमेई गैफुलशिलु इस बात पर विचार कर रहे थे कि याचिकाकर्ता/राज्य द्वारा विशेष न्यायालय (NIA) के आदेश के खिलाफ धारा 439(2) सीआरपीसी के तहत धारा 482 सीआरपीसी के तहत याचिका दायर की गई थी जिसमें प्रतिवादियों/अभियुक्तों को जमानत दी गई।

प्रतिवादियों ने याचिका की स्वीकार्यता पर विवाद किया और तर्क दिया कि आवेदन को NIA Act की धारा 21(4) के तहत अपील के रूप में दायर किया जाना चाहिए, न कि धारा 482 सीआरपीसी के तहत याचिका के रूप में।

याचिकाकर्ता/राज्य ने तर्क दिया कि विशेष न्यायालय का जमानत आदेश अंतरिम आदेश है, इसलिए NIA Act के तहत अपील नहीं की जा सकती, क्योंकि धारा 21(1) अंतरिम आदेश के खिलाफ किसी भी अपील पर रोक लगाती है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि धारा 21 NIA Act केवल तभी लागू होती है, जब जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा की जाती है। वर्तमान मामले में जांच राज्य एजेंसी द्वारा की गई थी इसलिए धारा 21 लागू नहीं हो सकती। इसलिए याचिका धारा 482 सीआरपीसी के तहत स्वीकार्य है।

हाईकोर्ट ने वर्तमान मामले के लिए तीन मुद्दों पर निर्णय लिया:

(ए) क्या जमानत आदेश को अपील में चुनौती दी जानी चाहिए या वर्तमान याचिका (धारा 439(2) सीआरपीसी के तहत धारा 482 सीआरपीसी) के तहत? (ख) यदि इसे अपील में चुनौती दी जानी चाहिए, चाहे वह NIA Act की धारा 21(1) या धारा 21(4) के अंतर्गत हो (ग) क्या धारा 21(1)/(4) केवल केंद्र सरकार द्वारा गठित एजेंसी द्वारा की गई जांच पर लागू होती है या राज्य एजेंसी पर भी लागू होती है?

जमानत आदेश को चुनौती देना

हाईकोर्ट ने NIA Act की धारा 21(1) का हवाला दिया, जिसमें प्रावधान है कि विशेष न्यायालय के अंतरिम आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील नहीं की जा सकती। यद्यपि जमानत देना या अस्वीकार करना अंतरिम आदेश है, फिर भी NIA Act की धारा 21(4) विशेष न्यायालय के जमानत आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील करने का प्रावधान करती है।

इसलिए न्यायालय ने कहा कि यदि जमानत आदेश अंतरिम आदेश है तो भी उस पर NIA Act की धारा 21(4) के अनुसार अपील की जा सकती है।

कोर्ट ने कहा:

“यह स्पष्ट है कि अंतरिम आदेश होने के बावजूद, विशेष न्यायालय द्वारा जमानत देने या अस्वीकार करने का आदेश अपील पर दायर किया जाएगा।”

हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश राज्य के IG NIA बनाम मोहम्मद हुसैन अलियास सलीम (2013 ए.आई.आर. एस.सी.डब्लू. 5676) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया कि NIA Act के तहत अपराध के मामले में जमानत देने या न देने का आदेश धारा 21(4) के तहत अपील योग्य है और यह धारा 21(1) का अपवाद है क्योंकि यह अभियुक्त की स्वतंत्रता से संबंधित है।

राज्य एजेंसी द्वारा जांच

न्यायालय ने कहा कि न तो धारा 21 और न ही अधिनियम के अन्य प्रावधान यह निर्दिष्ट करते हैं कि क्या धारा 21 केवल तब लागू होती है, जब जांच केंद्र सरकार द्वारा की जाती है और राज्य सरकार द्वारा गठित एजेंसी द्वारा नहीं। चूंकि धारा 21 इस मुद्दे के बारे में चुप है, इसलिए यह माना जाना चाहिए कि यह केंद्र और राज्य सरकार दोनों की एजेंसियों द्वारा की गई जांच पर लागू होती है।

उन्होंने कहा:

"यदि धारा 21 को केवल केंद्र सरकार द्वारा गठित एजेंसी पर लागू किया जाना है तो विधानसभाओं को राज्य द्वारा गठित एजेंसी के लिए अलग से प्रावधान रखना चाहिए। इसलिए धारा 21 एजेंसियों की प्रयोज्यता के बारे में चुप है। न्यायालय ने कहा कि यह माना जाता है कि धारा 21(1) और 21(4) दोनों ही केंद्र सरकार द्वारा की गई जांच के साथ-साथ राज्य सरकार (राज्य एजेंसी) द्वारा गठित एजेंसी पर भी लागू होती हैं।”

न्यायालय का मानना ​​था कि केंद्रीय या राज्य एजेंसी द्वारा की गई जांच अधिनियम की धारा 21 के अंतर्गत आएगी। वर्तमान मामले में, न्यायालय ने टिप्पणी की कि मणिपुर सरकार द्वारा मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के परामर्श के बाद दिनांक 10.06.2022 की अधिसूचना के माध्यम से NIA Act की धारा 22(1) के तहत विशेष न्यायालय का गठन किया गया। इसलिए धारा 21 मणिपुर की जांच एजेंसी द्वारा की गई जांच पर भी लागू होती है।

निष्कर्ष में न्यायालय ने कहा कि अधिनियम की धारा 21(1) और धारा 21(4) के संयुक्त वाचन पर यह स्पष्ट है कि राज्य द्वारा दायर वर्तमान आवेदन धारा 21(4) के अंतर्गत आते हैं।

इस प्रकार, न्यायालय ने माना कि याचिकाकर्ता/राज्य द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 439(2) के तहत धारा 482 के तहत दायर किया गया आवेदन सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि इसे NIA Act की धारा 21(4) के तहत दायर किया जाना चाहिए था।

केस टाइटल- मणिपुर राज्य बनाम ल्हेनिकिम ल्होवुम@ किकिम (क्रिल. पेट्न. संख्या 33/2024)

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