मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने धारदार हथियारों के निर्माण और बिक्री के लिए लाइसेंस प्रक्रिया की मांग करने वाली याचिका खारिज की

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने धारदार हथियारों के निर्माण और बिक्री के लिए लाइसेंस प्रक्रिया तैयार करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज की।
न्यायालय ने कहा कि धारदार हथियारों के निर्माण के लिए नीति बनाने के लिए सरकार को बाध्य करने के लिए न्यायालय का उपयोग नहीं किया जा सकता, जिसका उपयोग केवल बेईमान व्यक्ति ही कर सकते हैं।
जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा,
"उचित विचार करने पर यह न्यायालय यह समझने में पूरी तरह असमर्थ है कि याचिकाकर्ता धारदार हथियारों के निर्माण और बिक्री तथा धारदार हथियारों के लिए लाइसेंस प्रक्रिया को वैध क्यों बनाना चाहता है। यह भी पाया गया कि इससे पहले याचिकाकर्ता द्वारा व्यक्तिगत हित का हवाला देते हुए रिट याचिका संख्या 5566/2022 नामक जनहित याचिका दायर की गई, लेकिन इसे इस न्यायालय की खंडपीठ ने दिनांक 10.05.2025 के आदेश के माध्यम से खारिज कर दिया और वैकल्पिक उपाय का लाभ उठाने की अनुमति दी।"
संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक याचिका दायर की गई, जिसमें प्रतिवादियों को धारदार हथियारों के निर्माण और बिक्री के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई। मांगी गई राहतों पर विचार करने पर न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता प्रतिवादियों की किसी भी कार्रवाई या निष्क्रियता से व्यथित नहीं है, जिससे उसके कानूनी या मौलिक अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
इसके अलावा रिट याचिका पर विचार करने पर न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया कि उसके कानूनी या मौलिक अधिकार प्रभावित हुए हैं। याचिकाकर्ता याचिका के माध्यम से केवल यह चाहता है कि प्रतिवादी धारदार हथियारों के निर्माण और बिक्री के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया तैयार करें।
न्यायालय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि याचिकाकर्ता धारदार हथियारों के निर्माण और बिक्री तथा धारदार हथियारों के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया को वैध क्यों बनाना चाहता है।
न्यायालय ने कहा,
"ऐसी परिस्थितियों में इस न्यायालय का विचार है कि इस न्यायालय के फोरम का उपयोग राज्य सरकार को धारदार हथियारों के निर्माण के लिए नीति बनाने के लिए बाध्य करने के लिए नहीं किया जा सकता है, जिसका उपयोग केवल बेईमान व्यक्तियों द्वारा किया जा सकता है।"
इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: सुभाष सिंह तोमर बनाम भारत संघ अपने सचिव और अन्य के माध्यम से, रिट याचिका संख्या 12562/2025