पति और ससुराल वालों को पत्नी ने गलत तरीके से फंसाया, दोनों पक्षों के बीच वैवाहिक विवाद के मद्देनजर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार, दहेज के मामले में दर्ज FIR खारिज की
एक पति और उसके परिजनों के खिलाफ बलात्कार और दहेज के मामले में दर्ज FIR खारिज करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों को गलत तरीके से फंसाया गया। साथ ही कहा कि पत्नी के कहने पर प्राथमिकी दर्ज कराना बदला लेने की कोशिश' प्रतीत होता है।
अदालत ने यह टिप्पणी इस बात पर गौर करने के बाद की कि याचिकाकर्ता पति द्वारा शिकायतकर्ता पत्नी और अन्य व्यक्ति के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग करते हुए एक लंबित दीवानी मुकदमा दायर किया गया। इस प्रकार, न्यायालय ने कहा कि पत्नी के कहने पर दर्ज प्राथमिकी केवल पक्षों के बीच मौजूद दीवानी मुकदमे का मुकाबला करने के लिए दायर की गई प्रतीत होती है।
जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा,
"चूंकि दोनों पक्षों के बीच वैवाहिक विवाद मौजूद है, क्योंकि याचिकाकर्ता नंबर 1 ने पहले ही प्रतिवादी नंबर 2/शिकायतकर्ता के खिलाफ 16.02.2021 को तलाक की याचिका दायर कर दी है, जबकि वर्तमान FIR शिकायतकर्ता द्वारा 04.03.2021 को दर्ज की गई, जो कि आरोपी/याचिकाकर्ताओं पर बदला लेने की कार्रवाई प्रतीत होती है। केवल दीवानी मामलों के जवाब के रूप में मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के तहत यह न्यायालय संतुष्ट है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 और उसकी पत्नी, प्रतिवादी नंबर 2 के बीच वैवाहिक विवाद के कारण याचिकाकर्ता नंबर 1 और उसके परिवार के सदस्यों को आपराधिक मामले में झूठा फंसाया गया है। उनके खिलाफ मुकदमा जारी रखना केवल न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।"
अदालत याचिकाकर्ता पति और उसके परिवार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आईपीसी की धारा 354 (ए), 354 (बी), 376, 323, 294, 506, 34 और 498ए और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई। प्रतिवादी संख्या 2-शिकायतकर्ता पत्नी के कहने पर FIR दर्ज की गई, जिसमें उसने आरोप लगाया कि पर्याप्त दहेज न लाने के कारण याचिकाकर्ता उसे परेशान कर रहे थे। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसके साथ अप्राकृतिक संभोग किया गया और उसके देवर ने भी उसकी शील भंग की। उसके साथ दुर्व्यवहार किया तथा मारपीट की।
उसने आगे आरोप लगाया कि उसका पति उसके निजी वीडियो बनाता था। उसे धमकी देता था कि वह उन्हें वायरल कर देगा, जिसके आधार पर FIR दर्ज की गई। हालांकि, यह आरोप लगाया गया कि जमानत मिलने पर याचिकाकर्ताओं ने उसे फिर से परेशान करना शुरू कर दिया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ पूरी तरह से झूठा मामला दर्ज किया गया, जो एक सुशिक्षित परिवार से हैं। यह भी प्रस्तुत किया गया कि पूरे आरोप-पत्र में पुलिस द्वारा ऐसी कोई वीडियो क्लिप या फोटो जब्त नहीं की गई, जो प्रतिवादी नंबर 2-शिकायतकर्ता के अनुसार याचिकाकर्ता पति द्वारा ली गई।
वकील ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता पति ने प्रतिवादी संख्या 2/शिकायतकर्ता के खिलाफ पहले ही तलाक की याचिका दायर कर दी और उपरोक्त दीवानी मामलों के जवाब में ही शिकायतकर्ता द्वारा झूठा मामला दर्ज कराया गया। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने प्रेम विवाह किया था, इसलिए दहेज आदि की मांग का कोई सवाल ही नहीं उठता।
इसके विपरीत प्रतिवादी पत्नी के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने उस पर बहुत अत्याचार किए, जिसके कारण उसे FIR दर्ज करानी पड़ी। यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता आरोपी अपनी पत्नी को अपनी वासना को संतुष्ट करने के लिए अन्य व्यक्तियों के पास ले जाता था, जबकि देवर/याचिकाकर्ता संख्या 4 भी प्रतिवादी संख्या 2 की शील भंग करता था।
वर्तमान याचिका स्वीकार की गई तथा FIR और उससे उत्पन्न परिणामी कार्यवाही को निरस्त कर दिया गया।
केस टाइटल: अमन एवं अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य