मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बालिग जोड़े को साथ रहने का रास्ता साफ किया, कम उम्र में लिव-इन रिलेशनशिप पर चिंता जताई

Update: 2025-01-02 10:58 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक बालिग जोड़े को बिना शादी के साथ रहने की अनुमति दी। कोर्ट ने उक्त अनुमति देते हुए इस तथ्य पर विचार किया कि दोनों याचिकाकर्ता 18 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और इस प्रकार उनकी पसंद को संरक्षित करने की आवश्यकता है।

हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ताओं द्वारा इतनी कम उम्र में लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करने के विकल्प पर चिंता व्यक्त की।

लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2006) 5 एससीसी 475 पर और नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ (2018) 7 एससीसी 192 पर भरोसा करते हुए जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा,

यह न्यायालय इस तथ्य के बावजूद वर्तमान याचिका को अनुमति देने के लिए इच्छुक है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 की आयु 21 वर्ष से कम है, क्योंकि दोनों याचिकाकर्ता 18 वर्ष से अधिक उम्र के होने के कारण बालिग बताए गए हैं। उनकी पसंद को बाहरी ताकतों से संरक्षित करने की आवश्यकता है। हालांकि, यह न्यायालय याचिकाकर्ताओं के लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के विकल्प पर अपनी चिंता व्यक्त करता है, क्योंकि इतनी कम उम्र में वे भावनात्मक रूप से पूरी तरह परिपक्व और आर्थिक रूप से पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हो सकते हैं। याचिकाकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे इस न्यायालय से ऐसी सुरक्षा प्राप्त करते समय परिपक्वता का प्रयोग करें।”

वर्तमान मामले में दोनों याचिकाकर्ता 18 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। यह प्रस्तुत किया गया कि भले ही याचिकाकर्ता नंबर 2/लड़का 21 वर्ष से कम आयु का था और विवाह करने के योग्य नहीं था। फिर भी दोनों याचिकाकर्ता बालिग हैं और एक दूसरे के साथ रह रहे हैं। यह भी प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता नंबर 1/लड़की की बायोलॉजिकल मां की मृत्यु हो चुकी है। उसके बाद याचिकाकर्ता नंबर 1 ने अपनी मर्जी से याचिकाकर्ता नंबर 2 के साथ रहना शुरू कर दिया, क्योंकि घर का माहौल उसके रहने के अनुकूल नहीं था।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने नंदकुमार बनाम केरल राज्य 2018 (16) एससीसी 602 का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया कि जब दोनों व्यक्ति बालिग हैं और भले ही विवाह करने के योग्य न हों तब भी उन्हें विवाह के बाहर एक साथ रहने का अधिकार है। यह प्रार्थना की गई कि वर्तमान याचिकाकर्ता जिन्होंने विवाह नहीं किया, उन्हें उनके माता-पिता सहित किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी उल्लंघन से संरक्षित किया जाना चाहिए। नंबर 2/लड़का विवाह करने के लिए सक्षम नहीं है और ऐसी सुरक्षा समाज के व्यापक हित में नहीं होगी।

दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि दोनों याचिकाकर्ता 18 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, इसलिए उनके पास पसंद की स्वतंत्रता है, जिसे बाहरी ताकतों से संरक्षित करने की आवश्यकता है।

इसके बाद अदालत ने प्रतिवादी नंबर 2 से 4 (पुलिस अधिकारियों) को याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई शिकायत पर गौर करने और उनके जीवन और स्वतंत्रता के बारे में याचिकाकर्ता की शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया।

इसलिए याचिका को अनुमति दी गई।

केस टाइटल: अंजलि कुशवाह और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य, रिट याचिका संख्या 41033/2024

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