यदि दुर्घटना सड़कों के खाइयों को बंद करने में विफलता के परिणामस्वरूप हुई है तो NHAI के अधिकारी धारा 28 के तहत सद्भावना खंड के तहत संरक्षित नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
सिवनी में NH-7 पर खाई में गिरने वाले दुर्घटना पीड़ित द्वारा शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पाया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) या उसके अधिकारियों ने राजमार्ग के रखरखाव के लिए प्रथम दृष्टया सद्भावना में काम नहीं किया।
जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि राजमार्ग के रखरखाव का मतलब है कि NHAI राजमार्ग को मोटर वाहन योग्य स्थिति में रखने के लिए पर्याप्त कदम उठाए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि NHAI को कोई राजमार्ग मोटर वाहन योग्य या असुरक्षित नहीं लगता है तो उसे सुधारने के लिए उपाय करने की जिम्मेदारी NHAI की है।
हाईकोर्ट के समक्ष NHAI (आवेदक) ने यह रुख अपनाया कि उन्हें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम 1988 की धारा 28 के तहत आपराधिक अभियोजन से संरक्षण प्राप्त है, क्योंकि उनके सभी कार्य सद्भावना में किए गए।
न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला,
“यदि राजमार्ग क्षतिग्रस्त था और उस पर वाहन नहीं चल सकते थे और फिर भी यदि आवेदकों ने उसे बनाए रखने के लिए कोई कदम नहीं उठाया या राजमार्ग या उसके किसी हिस्से को बंद करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया या वाहनों की संख्या और गति को सीमित करके यातायात को विनियमित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया तो इस न्यायालय की यह सुविचारित राय है कि प्रथम दृष्टया यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदकों ने सद्भावनापूर्वक कार्य किया।”
ऐसे मामलों में जहां क्षति के कारण वाहनों या पैदल यात्रियों के लिए खतरा हो सकता है NHAI राजमार्ग को पूरी तरह या आंशिक रूप से बंद कर सकता है। यातायात की आवाजाही और वाहनों के वर्ग को विनियमित कर सकता है, या राजमार्ग पर वाहनों की संख्या और गति को विनियमित कर सकता है, न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2002 की धारा 31, 33 और 34 का हवाला देते हुए स्पष्ट किया, जो प्राधिकरण को ऐसी शक्तियां प्रदान करता है।
न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आवेदक प्राधिकरण और उसके अधिकारियों ने यह रुख नहीं अपनाया कि सड़क पर खाई बंद कर दी गई या सड़क यातायात को 2002 अधिनियम की धारा 31 के अनुसार विनियमित किया गया। न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि अधिकारियों ने सद्भावना से काम किया या नहीं, यह तथ्य का प्रश्न है।
निचली अदालत को एक वर्ष के भीतर मामले का निपटारा करने का निर्देश देते हुए न्यायालय ने अपने स्वयं के आदेश के संबंध में निम्नलिखित चेतावनी भी दी,
“उपर्युक्त निष्कर्ष केवल इन कार्यवाहियों तक ही सीमित रहेगा, क्योंकि किसी व्यक्ति ने सद्भावना से काम किया या नहीं यह भी अनिवार्य रूप से तथ्य का प्रश्न होगा, जिसका निर्णय निचली अदालत साक्ष्य दर्ज करने के बाद कर सकती है।”
आवेदकों को 31.07.2024 को निचली अदालत के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है।
मामले की पृष्ठभूमि
NHAI इसके परियोजना निदेशक और तकनीकी प्रबंधक सहित आवेदकों ने आईपीसी की धारा 431, 283, 290, 336 और 427 के तहत अपराधों के लिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की।
शिकायतकर्ता अशोक कुमार तिवारी सिवनी जिले के धूमा गांव के निवासी थे। वर्ष 2013 में घटना के दिन वह काम से घर लौट रहा था, जब उसकी मोटरसाइकिल NH-7 पर खाई में गिर गई। उसके अंगों में चोटें आईं और उसने NHAI के अधिकारियों पर NH-7 का उचित रखरखाव न करने का आरोप लगाया।
शिकायतकर्ता का तर्क है कि यदि वह दुर्घटना के समय अपनी मोटरसाइकिल सावधानी से नहीं चला रहा होता तो उसकी जान जा सकती थी। तिवारी के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग वर्षों से जर्जर स्थिति में था और सड़क की सतह पर कोई समतलीकरण नहीं किया गया।
पुलिस ने मामले में जांच पूरी कर ली थी और आरोप पत्र दाखिल कर दिया। वर्ष 2014 में हाईकोर्ट ने JMFC लखनादौन के समक्ष आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए वर्तमान आवेदन पर अंतरिम आदेश दिया। तब से आपराधिक मामला लगभग 11 वर्षों से ट्रायल कोर्ट के समक्ष स्थगित है।
आगे की टिप्पणियां
धारा 28(2) में कहा गया कि सद्भावनापूर्वक किए गए किसी भी कार्य से होने वाले किसी भी नुकसान के लिए NHAI उसके अधिकारियों या उसके कर्मचारियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती। आवेदकों ने इकबाल मोहम्मद सिद्दीकी एवं अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य [एम.सी.आर.सी. संख्या 4197/2014] पर भी भरोसा किया, जिसने उनके तर्कों का समर्थन किया।
न्यायालय ने हाईकोर्ट की समन्वय पीठ द्वारा दिए गए निर्णय और आवेदकों द्वारा भरोसा किए गए निर्णय में अंतर किया।
एकल पीठ ने पाया कि सिद्दीकी (2014) ने सद्भावना से की गई कार्रवाई के बचाव को स्वीकार किया। जैसा भी हो, न्यायालय ने नीचे उल्लेख किया,
“मामले के तथ्यों पर विस्तार से विचार नहीं किया गया और इस बात का कोई निष्कर्ष नहीं निकला कि अधिकारियों की कार्रवाई सद्भाव से की गई थी या नहीं? इसलिए इस न्यायालय की यह सुविचारित राय है कि आवेदकों को इकबाल मोहम्मद सिद्दीकी में पारित आदेश का कोई लाभ नहीं मिलेगा।”
धारा 28 के तहत बचाव करने के लिए आवेदकों को यह साबित करना चाहिए कि उन्होंने किसी विशेष कार्य को करने से पहले उचित सावधानी और ध्यान बरता था। न्यायालय ने कहा की NH-7 पर दुर्घटना के तथ्य पर विवाद नहीं था।
NHAI Act की धारा 5 में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रखरखाव की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, जब तक कि इसे राज्य सरकार को न सौंप दिया जाए। इसी तरह धारा 16 एनएचएआई के कार्यों को निर्धारित करती है, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा उसे सौंपे गए राजमार्गों का रखरखाव और प्रबंधन शामिल है।
जबलपुर में बैठी पीठ ने आगे कहा,
“राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 7 का रखरखाव करना आवेदकों का कर्तव्य है। एफआईआर में यह विशेष रूप से उल्लेख किया गया कि सड़क में बड़ी खाईयां हैं, जिनकी आवेदकों द्वारा मरम्मत नहीं की गई।”
केस टाइटल: आई.एम. सिद्दीकी एवं अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य