संयुक्त अपराधों पर मुकदमा: धारा 243 के प्रावधान - भाग 3

Update: 2024-11-04 16:29 GMT

परिचय: धारा 243 का सारांश

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita - BNSS) 2023 की धारा 243 का उद्देश्य उन मामलों को आसान बनाना है जहां एक व्यक्ति एक ही श्रृंखला में या संबंधित उद्देश्य के तहत कई अपराधों का आरोपित होता है। इसके प्रावधानों के अनुसार, एक ही मुकदमे में ऐसे सभी आरोपों पर विचार किया जा सकता है।

पहले के प्रावधानों का सारांश

• धारा 243(1): एक ही घटनाक्रम में यदि कोई व्यक्ति कई अपराध करता है, तो उन सभी अपराधों के लिए एक ही मुकदमे में आरोप लगाया जा सकता है। आप लेख का पहला भाग इस लिंक के माध्यम से पढ़ सकते हैं। https://hindi.livelaw.in/know-the-law/section-243-bnss-2023-joint-trial-of-multiple-offences-in-one-incident-part-1-274179

• धारा 243(2): अगर कोई व्यक्ति विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) या संपत्ति का गबन (Dishonest Misappropriation) जैसे अपराध करता है और उसे छुपाने या सुविधाजनक बनाने के लिए खातों की गलत जानकारी (Falsification of Accounts) देता है, तो इन सभी अपराधों पर एक ही मुकदमे में विचार हो सकता है।

• धारा 243(3): यदि कोई व्यक्ति एक ही घटनाक्रम में कई ऐसे कार्य करता है, जो अलग-अलग अपराधों के अंतर्गत आते हैं, तो इन सभी अपराधों के लिए भी एक ही मुकदमे में सुनवाई हो सकती है।

लेख का दूसरा भाग इस लिंक के माध्यम से पढ़िए

इस अंतिम भाग में, हम धारा 243 के उप-खंड (4) और (5) का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।

उप-खंड (4): संयोजित कार्यों से उत्पन्न अलग अपराध

धारा 243(4) का उद्देश्य उन मामलों को कवर करना है, जिनमें किसी व्यक्ति द्वारा किए गए कई कार्य, यदि अलग-अलग किए गए होते, तो वे अलग-अलग अपराधों के रूप में माने जाते, परंतु जब एक साथ किए गए, तो एक नया अपराध बनता है। ऐसे मामलों में, आरोपी पर उन सभी अलग-अलग अपराधों के साथ उस नए अपराध का भी आरोप लगाया जा सकता है जो इन कार्यों को मिलाकर बनता है।

उदाहरण (l): डकैती के साथ चोट पहुंचाना

मान लीजिए, A ने B पर डकैती (Robbery) की और इस दौरान उसे चोट भी पहुंचाई। यहां, चोट पहुँचाने का कार्य एक अपराध है और डकैती का कार्य दूसरा अपराध है, परंतु इन दोनों को मिलाने पर यह एक अलग प्रकार का अपराध बनता है, जैसे कि हिंसा के साथ डकैती।

इस मामले में, A पर अलग-अलग अपराधों जैसे चोट पहुँचाना (Hurt) और डकैती (Robbery) का आरोप एक ही मुकदमे में लगाया जा सकता है। साथ ही, एक नए बने अपराध का भी मुकदमा उसी कार्य से जोड़ा जा सकता है, जो इन सभी कार्यों को मिलाकर उत्पन्न होता है।

अधिक उदाहरण

1. उत्पीड़न और संपत्ति की चोरी: मान लीजिए A ने B का उत्पीड़न किया और उसी घटना में B की संपत्ति भी चुरा ली। यहाँ, संपत्ति की चोरी और उत्पीड़न दो अलग-अलग अपराध हैं। हालांकि, जब इन्हें संयोजित किया जाता है, तो यह एक नया अपराध बन सकता है, जैसे कि उग्र चोरी (Aggravated Theft)। इस स्थिति में, A पर दोनों अलग-अलग अपराधों और संयुक्त अपराध का आरोप लगाया जा सकता है।

2. झूठे साक्ष्य देना और धोखाधड़ी करना: मान लीजिए, A ने B के खिलाफ अदालत में झूठे दस्तावेज का उपयोग किया और इस तरह धोखाधड़ी भी की। यहां, दोनों कार्य अलग-अलग अपराध हो सकते हैं, परंतु जब संयोजित किए जाते हैं, तो ये न्यायालय को गुमराह करने का एक नया अपराध बन सकते हैं। ऐसे में, A पर झूठा साक्ष्य देना और धोखाधड़ी का आरोप एक ही मुकदमे में लगाया जा सकता है।

उप-खंड (5): धारा 9 पर प्रभाव नहीं

धारा 243(5) में यह स्पष्ट किया गया है कि धारा 243 के प्रावधानों का प्रभाव धारा 9 पर नहीं पड़ेगा। इसका अर्थ यह है कि जहां भी धारा 9 के अंतर्गत विशिष्ट प्रावधान लागू होते हैं, वहाँ धारा 243 के प्रावधानों के आधार पर कोई भी संशोधन नहीं किया जाएगा।

धारा 243 का संपूर्ण अवलोकन

धारा 243 के तहत कई अपराधों के एक ही मुकदमे में विचार का प्रावधान है, जो न्यायिक प्रक्रिया को सरल और कुशल बनाता है। इसके विभिन्न उप-खंड उन मामलों का स्पष्ट मार्गदर्शन करते हैं जहां किसी व्यक्ति द्वारा एक साथ किए गए कई कार्य अलग-अलग अपराध या संयुक्त अपराध बन सकते हैं।

यह प्रावधान न केवल न्यायिक समय की बचत करता है, बल्कि अभियुक्त और पीड़ित दोनों के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करता है।

धारा 243 के प्रावधान न केवल कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी अपराध को उचित रूप से दंडित किया जाए।

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