रेप और एसिड अटैक विक्टिम का इलाज न करने पर सजा और अनिवार्य चिकित्सा सहायता : BNS 2023 की धारा 200 और BNSS 2023 की धारा 397

Update: 2024-09-18 12:41 GMT

भारतीय न्याय संहिता, 2023 ने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित किया है और यह 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी होगी। इस नए कानून का मुख्य उद्देश्य है कि देश के कानून को आधुनिक समाज की ज़रूरतों के अनुसार बदला जाए, और साथ ही पीड़ितों (Victims) के संरक्षण (Protection) पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाए। इस संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान धारा 200 (Section 200) है, जो पीड़ितों को चिकित्सा सहायता (Medical Assistance) न देने पर सजा का प्रावधान करता है।

इस लेख में हम धारा 200 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 397 (Section 397) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें अस्पतालों (Hospitals) के लिए कुछ अपराधों के पीड़ितों का इलाज अनिवार्य (Mandatory) किया गया है।

धारा 200: पीड़ित का इलाज न करने पर सजा (Punishment for Non-Treatment of Victims)

सारांश (Overview)

धारा 200 भारतीय न्याय संहिता, 2023 में स्पष्ट रूप से कहता है कि अगर कोई अस्पताल, चाहे वह केंद्रीय सरकार (Central Government), राज्य सरकार (State Government), स्थानीय निकाय (Local Bodies), या किसी निजी व्यक्ति द्वारा चलाया जा रहा हो, धारा 397 के तहत निर्धारित चिकित्सा उपचार (Medical Treatment) की अनिवार्यता का पालन नहीं करता है, तो उसे एक वर्ष तक की सजा, जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।

व्याख्या और उदाहरण (Explanation and Illustration)

अगर किसी गंभीर अपराध, जैसे बलात्कार (Rape) या तेजाब हमला (Acid Attack) के पीड़ित को अस्पताल लाया जाता है, और अस्पताल प्रशासन (Hospital Administration) किसी कारणवश, जैसे पैसे की कमी या अन्य किसी कारण, उनका इलाज करने से मना कर देता है, तो यह धारा 200 के तहत एक अपराध (Offense) होगा। उदाहरण के लिए, अगर कोई निजी अस्पताल बलात्कार पीड़िता का इलाज इसलिए नहीं करता क्योंकि उसके पास बीमा (Insurance) नहीं है, तो अस्पताल के जिम्मेदार व्यक्ति को एक साल तक की सजा हो सकती है।

यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी अस्पताल को गंभीर अपराधों के पीड़ितों का इलाज करने से इनकार नहीं करना चाहिए, और पीड़ितों की सुरक्षा के लिए यह कानूनी ढांचा (Legal Framework) और मजबूत बनाता है।

धारा 397: मुफ्त चिकित्सा उपचार की अनिवार्यता (Obligation to Provide Free Medical Treatment)

सारांश (Overview)

धारा 397 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अनुसार सभी अस्पतालों, चाहे वे सार्वजनिक (Public) हों या निजी (Private), को कुछ गंभीर अपराधों के पीड़ितों को तुरंत मुफ्त इलाज (Free Treatment) देना अनिवार्य (Mandatory) किया गया है। इस प्रावधान में उन अपराधों के पीड़ित शामिल हैं जो यौन हिंसा (Sexual Violence), तेजाब हमला, और गंभीर शारीरिक नुकसान (Serious Physical Harm) से जुड़े हुए हैं।

कवर किए गए अपराध (Offenses Covered)

इस प्रावधान में कई विशेष अपराधों (Specific Offenses) का उल्लेख है, जिनके पीड़ितों को मुफ्त चिकित्सा उपचार मिलना चाहिए:

1. धारा 64 (Section 64: बलात्कार - Rape)

जो भी व्यक्ति बलात्कार करता है, उसे कम से कम 10 साल की कठोर सजा (Rigorous Imprisonment) दी जाएगी, जो आजीवन कारावास (Life Imprisonment) तक बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, अगर कोई महिला बलात्कार की शिकायत करती है, तो अस्पतालों को उसे मुफ्त चिकित्सा सुविधा (Free Medical Care) प्रदान करना अनिवार्य होगा।

2. धारा 65 (Section 65: नाबालिग पर बलात्कार - Rape of a Minor)

यदि पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम है, तो अपराधी को 20 वर्ष से कम की सजा नहीं होगी। यदि पीड़िता की उम्र 12 वर्ष से कम है, तो सजा में आजीवन कारावास या मृत्युदंड (Death Penalty) भी हो सकता है। ऐसे मामलों में, पीड़ित को बिना किसी शुल्क के तुरंत चिकित्सा सेवा मिलनी चाहिए।

3. धारा 66 (Section 66: मृत्यु या शारीरिक हानि - Injury Leading to Death or Vegetative State)

यदि बलात्कार के दौरान पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह कोमा (Coma) में चली जाती है, तो अपराधी को कम से कम 20 साल की सजा दी जाएगी। ऐसे मामलों में अस्पताल को तुरंत मुफ्त इलाज प्रदान करना आवश्यक है।

4. धारा 67 (Section 67: वैवाहिक बलात्कार - Marital Rape)

यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी से, जो अलग रह रही है, उसकी सहमति के बिना शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे कम से कम दो साल की सजा होगी। वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) के पीड़ितों को भी मुफ्त चिकित्सा सहायता मिलनी चाहिए।

5. धारा 68 (Section 68: पद या संबंध का दुरुपयोग - Abuse of Authority or Fiduciary Relationship)

यह धारा उन लोगों से संबंधित है जो अपने पद या संबंध का दुरुपयोग करके किसी महिला को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करते हैं। ऐसे पीड़ितों को भी तुरंत मुफ्त चिकित्सा उपचार मिलना चाहिए।

6. धारा 70 (Section 70: सामूहिक बलात्कार - Gang Rape)

यदि किसी महिला के साथ सामूहिक रूप से बलात्कार किया जाता है, तो सभी अपराधियों को कम से कम 20 साल की सजा दी जाएगी। ऐसे मामलों में, अस्पताल को तुरंत मुफ्त चिकित्सा सहायता प्रदान करनी होगी।

7. धारा 71 (Section 71: पुनरावृत्ति अपराधी - Repeat Offenders of Rape)

यदि कोई व्यक्ति पहले से ही बलात्कार या इसी प्रकार के किसी अपराध का दोषी है और फिर से वही अपराध करता है, तो उसे आजीवन कारावास की सजा होगी। ऐसे मामलों में पीड़ित को तुरंत इलाज मिलना चाहिए।

8. धारा 124 (Section 124: तेजाब हमला - Acid Attack)

जो व्यक्ति किसी अन्य पर तेजाब फेंककर स्थायी या आंशिक रूप से नुकसान पहुंचाता है, उसे कड़ी सजा दी जाएगी। तेजाब हमले के पीड़ितों को मुफ्त चिकित्सा सेवा, जिसमें सर्जरी (Surgery) और पुनर्वास (Rehabilitation) शामिल हैं, मिलनी चाहिए।

व्यावहारिक उदाहरण (Practical Example)

मान लीजिए कि किसी महिला पर तेजाब हमला किया गया है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। धारा 397 के तहत, अस्पताल को उसका इलाज तुरंत और बिना किसी शुल्क के करना होगा। यदि अस्पताल प्रशासन इलाज में देरी करता है तो जिम्मेदार व्यक्ति को धारा 200 के तहत सजा दी जा सकती है।

धारा 200 और 397 का महत्व (Significance of Sections 200 and 397)

ये प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि गंभीर अपराधों के पीड़ितों को समय पर और मुफ्त चिकित्सा सहायता मिल सके। कई मामलों में, पीड़ित को मिलने वाली चिकित्सा सहायता जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर साबित हो सकती है। अस्पतालों द्वारा इलाज न करने पर सजा का प्रावधान करके, भारतीय न्याय संहिता पीड़ितों के अधिकारों (Rights) और सम्मान (Dignity) की रक्षा करती है।

चिकित्सा संस्थानों पर प्रभाव (Impact on Medical Institutions)

सार्वजनिक और निजी दोनों अस्पतालों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इन कानूनी आवश्यकताओं का पालन करें। अस्पतालों को पीड़ितों के इलाज के लिए प्रशिक्षण और संसाधनों (Resources) में निवेश भी करना पड़ सकता है, खासकर तब जब इलाज न करने पर कड़ी सजा का प्रावधान हो।

व्यापक प्रभाव (Broader Implications)

यह प्रावधान एक बड़े सामाजिक बदलाव (Societal Shift) को दर्शाता है, जिसमें पीड़ितों के समर्थन और संरक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि गंभीर अपराधों के पीड़ितों को तुरंत और मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिले, जिससे पीड़ितों की देखभाल को एक मौलिक अधिकार (Fundamental Right) के रूप में देखा जा सके।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 200 और 397 पीड़ितों को तुरंत और मुफ्त चिकित्सा सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। ये प्रावधान अस्पतालों की जिम्मेदारी तय करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि पीड़ितों के लिए न्याय और सम्मान के सिद्धांतों का पालन हो। इन प्रावधानों के साथ, भारत का कानूनी ढांचा (Legal Framework) गंभीर अपराधों के पीड़ितों के लिए सुरक्षा और सहायता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।

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