जानिए पासपोर्ट अधिनियम 1967, कौन सी परिस्थितियों में पासपोर्ट हो सकता है ज़ब्त

Update: 2020-01-14 07:00 GMT

पासपोर्ट एक बड़ा दस्तावेज है जो विदेशों में किसी देश के नागरिकों की नागरिकता और पहचान साबित करता है। सभी देश अपने नागरिकों को अलग-अलग तरह के पासपोर्ट प्रदान करते हैं। नागरिक इन पासपोर्ट के माध्यम से विश्व भर के अलग-अलग देशों की यात्रा करते हैं।

भारत में भी इस तरह के यात्रा दस्तावेज या पासपोर्ट का निर्धारण किया गया है। सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले पासपोर्ट के माध्यम से भारत के नागरिकों को एवं भारत के बाहर रह रहे भारत के नागरिकों को पहचान दी जाती है।

यह पहचान विश्व भर में उन लोगों को प्राप्त होती है जो विश्व के अलग-अलग राष्ट्रों में जाते हैं। पासपोर्ट अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, इस दस्तावेज को विश्व भर के सभी देशों द्वारा बहुत एहतियात के बाद जारी किया जाता है।भारत में भी पासपोर्ट से संबंधित सारी सावधानियों को देखा जाता है।

भारतीय पार्लियामेंट में वर्ष 1967 में पासपोर्ट संबंधित विधानों को बनाया गया है। इन विधानों में पासपोर्ट अधिनियम 1967 है। यह केंद्रीय कानून है जो भारत की संसद द्वारा बनाया गया है इसका विस्तार संपूर्ण भारत पर है।भारत के उन नागरिकों को भी लागू है जो भारत से बाहर है।

यह अधिनियम भारत के नागरिकों तथा अन्य व्यक्तियों के भारत से प्रस्थान करने का विनियमन करने के लिए पासपोर्ट और यात्रा दस्तावेज जारी करने का और उनसे अनुषांगिक या संबंध विषयों का उपबंध करने उद्देश्य से बनाया गया है।

पासपोर्ट के प्रकार-

अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत निम्नलिखित वर्ग के पासपोर्ट जारी किए जा सकते हैं-

साधारण पासपोर्ट-

साधारण पासपोर्ट वह पासपोर्ट है जो देश के नागरिकों को साधारण तौर पर जारी किया जाता है। इस पासपोर्ट को जारी करने की प्रक्रिया समय-समय पर विहित की गई प्रक्रिया होती है।

शासकीय पासपोर्ट-

इस प्रकार के पासपोर्ट अधिकांश सरकारी कार्यों को करते समय शासकीय अधिकारियों को जारी किए जाते हैं।

राजनयिक पासपोर्ट-

यह पासपोर्ट अन्य देशों के राजनयिक एवं राजदूतों को जारी किए जाते हैं।

पासपोर्ट अधिकारी-

अधिनियम की धारा 2 (ग) के अनुसार पासपोर्ट अधिकारी से ऐसा प्राधिकारी या अधिकारी अभिप्रेरित है, जिसे पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज जारी करने के लिए उन नियमों के अधीन सशक्त किया गया है जो इस अधिनियम के अधीन बनाए जाएं और इसके अंतर्गत केंद्र सरकार भी है।

पासपोर्ट अधिकारी वह व्यक्ति होगा, जिसे इस अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए नियमों के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। यह अधिनियम पासपोर्ट अधिकारी पद के जन्म के लिए जननी है। यह केंद्र सरकार और इस अधिनियम के अधीन बने नियमों से सशक्त होता है।

पासपोर्ट के आवेदन-

अधिनियम की धारा 5 के अंतर्गत विदेशों के दर्शन के लिए या भारत की सीमा से बाहर प्रस्थान करने के लिए पासपोर्ट जारी करने हेतु पासपोर्ट अधिकारी को आवेदन किया जाएगा।उसके साथ वह फीस दी जाएगी जो पासपोर्ट और अन्य दस्तावेजों को जारी करने में विशेष सुरक्षा,कागज,मुद्रण, पटन और अन्य संबंधित सेवाओं पर ख़र्चों की पूर्ति हो सके। सरकार द्वारा तय की गई फीस की अदायगी करने पर पासपोर्ट के लिए आवेदन किया जा सकता है।

आवेदन की प्राप्ति पर पासपोर्ट अधिकारी ऐसी कोई जांच जिसे आवश्यक समझता है, कर लेने के बाद पासपोर्ट जारी करेगा, यदि पासपोर्ट जारी करने से पासपोर्ट अधिकारी द्वारा इनकार किया जाता है तो वह अपने इंकार करने के कारणों को अपनी जांच में लिखेगा।

पासपोर्ट जारी करने से इंकार-

पासपोर्ट जारी करने से इंकार किए जाने के कुछ कारणों को निर्धारित किया गया है इन कारणों को पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6 में बताया गया है जो निम्न है-

1-आवेदन ऐसे देश में ऐसे क्रियाकलाप में लग सकता है या उनमें उसका लगना संभाव्य है जो भारत की प्रभुता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हों।

2- ऐसे देश में आवेदन की उपस्थिति भारत की सुरक्षा के लिए अहितकर हो सकती है या होनी संभाव्य है।

3-  ऐसे देश में आवेदक की उपस्थिति से उस या किसी अन्य देश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है या पड़ना संभाव्य है।

4- आवेदक कि ऐसे देश में उपस्थिति केंद्र सरकार की राय में लोकहित में नहीं है।

पासपोर्ट जारी करने से इंकार के कुछ विशेष कारण-

अधिकारी द्वारा पासपोर्ट जारी करने से इंकार करने के विशेष कारण भी हो सकते है जो निम्न हैं-

आवेदक भारत का नागरिक नहीं है।

आवेदक भारत से बाहर ऐसे क्रियाकलाप में लग सकता है या उनमें उसका लगना संभव है जो भारत की प्रभुता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हो।

आवेदक का भारत से प्रस्थान भारत की सुरक्षा के लिए अहितकर हो सकता है यह होना संभव है। आवेदक की भारत से बाहर उपस्थिति से किसी भी देश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है या पड़ना संभव है।

आवेदक अपने आवेदन की तारीख से ठीक पहले की 5 वर्ष की कालावधि के दौरान किसी भी समय भारत के किसी न्यायालय द्वारा नैतिक अधमता करने वाले किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है और उसकी बाबत 2 वर्षों से कम नहीं के कारावास से दंड किया गया है।

किसी ऐसे अपराध की बाबत जिसका आवेदक द्वारा किया जाना अभिकथित है।उस अपराध की कार्यवाही भारत के किसी दंड न्यायालय के समक्ष लंबित है।

आवेदक की हाजिरी के लिए कोई वारंट समन या उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई वारंट किसी तत्समय  जारी विधि के अधीन किसी न्यायालय द्वारा जारी किया गया है।आवेदक का भारत से प्रस्थान प्रतिषिद्ध करने का कोई आदेश ऐसे किसी न्यायालय द्वारा किया गया है।

आवेदक संप्रत्यावर्तित किया जा चुका है उसने उस व्यय की प्रतिपूर्ति नहीं की है जो ऐसे संपरिवर्तन  के संबंध में उपगत हुआ है।

आवेदक को पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज जारी करना केंद्र सरकार की राय में लोकहित में ना होगा।

पासपोर्ट की अवधि-

पासपोर्ट ऐसे समय तक वैध रह सकता है जिस समय को सरकार द्वारा समय समय पर विहित किया जाता रहे।

अगर आवेदक चाहे तो भी पासपोर्ट को विहित की गई अवधि से कम अवधि के लिए जारी किया जा सकता है एवं यदि पासपोर्ट अधिकारी को किसी मामले में पासपोर्ट को कम समय अवधि के लिए जारी करना प्रतीत होता है तो वह ऐसा कर सकता है।

पासपोर्ट का ज़प्त किया जाना-

यह इस अधिनियम की महत्वपूर्ण धारा है। अधिनियम की धारा 10 के अंतर्गत पासपोर्ट यात्रा दस्तावेजों में फेरफार और उनका परिबद्ध किया जाना और प्रतिसंहरण-

यह धारा पासपोर्ट अधिकारियों को शक्ति प्रदान करती है।पासपोर्ट अधिकारियों को यह शक्ति होती है कि वह किसी भी नियम में फेरफार कर सकें तथा पासपोर्ट को निरस्त कर सके उन्हें रद्द कर सके तथा उन्हें जप्त कर सके।

पासपोर्ट अधिकारी पासपोर्ट धारक के आवेदन पर केंद्र सरकार के पूर्व अनुमोदन से पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज की शर्तों में फेरफार या उन शर्तों को रद्द भी कर सकेगा।

पासपोर्ट अधिकारी पासपोर्ट रद्द करना, जप्त करना, परिबद्ध करना और कराना, कर सकेगा।

जिन कारणों पर वह यह कार्यवाही करेगा वह कारण यह होंगे-

यदि पासपोर्ट अधिकारी को इस बात का समाधान हो जाए कि पासपोर्ट यह यात्रा दस्तावेज का धारक उसे सदोष कब्जे में रखे हुए है।

यदि पासपोर्ट यह यात्रा दस्तावेज तात्विक जानकारी को दबाकर अथवा पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज के धारक द्वारा अथवा उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई गलत जानकारी के आधार पर अभिप्राप्त किया गया था।

यदि पासपोर्ट प्राधिकारी ऐसा करना भारत की प्रभुता और अखंडता भारत की सुरक्षा या किसी भी देश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों के हित में या जनसाधारण के हित में आवश्यक समझे।

यदि पासपोर्ट का यात्रा दस्तावेज जारी करने के पश्चात किसी भी समय पासपोर्ट की यात्रा दस्तावेज का धारक भारत में कि किसी न्यायालय द्वारा नैतिक अधमता करने के किसी अपराध के लिए सिद्ध दोष ठहराया गया हो उसकी बाबत 2 वर्ष से ज्यादा के कारावास से दंडित किया गया हो।

यदि किसी ऐसे अपराध की बाबत जिसका पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज के धारक द्वारा किया जाना अभिकथित हो कार्यवाही भारत में किसी दंड न्यायालय के समक्ष लंबित हो।

यदि पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज की शर्तों में से किसी का उल्लंघन किया गया हो

यदि पासपोर्ट के यात्रा दस्तावेज का धारक को धारा 1 के अधीन की सूचना का अनुपालन करने में असफल रहा हो जिसमें उससे व पासपोर्ट ऐसा दस्तावेज समर्पित करने की अपेक्षा की गई हो।

यदि पासपोर्ट प्राधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया हो कि पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज के धारक की हाजिरी के लिए कोई वारंट या सम्मन उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई वारंट किसी तत्समय प्रवृत विधि के अधीन किसी न्यायालय द्वारा जारी किया गया है।यदि पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज से धारक का भारत से प्रस्थान प्रतिबद्ध करने का कोई आदेश ऐसे किसी न्यायालय द्वारा दिया गया है,पासपोर्ट अधिकारी का समाधान हो गया हो की वारंट समन इस प्रकार जारी किया गया है या कोई आदेश इस प्रकार किया गया है।

पासपोर्ट अधिकारी पासपोर्ट का निलंबन भी कर सकता है-

यदि पासपोर्ट अधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि किसी धारक का पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज निलंबन करना लोकहित के अंदर आवश्यक है तो वह तुरंत धारक का पासपोर्ट निलंबित कर सकता है ऐसा निलंबन करने की अवधि 4 सप्ताह तक की हो सकेगी।

अपील-

अधिनियम के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति यदि पासपोर्ट अधिकारी के किसी आदेश से व्यथित है तो वह इसकी अपील इस अधिनियम के अधीन बनाए गए अपीलीय अधिकारी को कर सकता है, परंतु कोई भी अपील केंद्र सरकार के आदेश की अपील नहीं हो सकेगी। अपील केवल पासपोर्ट अधिकारी और उसके सहायक पासपोर्ट अधिकारी द्वारा दिए गए आदेश की ही की जा सकती है।

यदि वह पासपोर्ट के आवेदन पर पासपोर्ट जारी नहीं करने का आदेश देता है या फिर पासपोर्ट को जप्त करता है या परिरुद्ध करता है तो इस आदेश के विरुद्ध अपील की जा सकती है। अपील अधिकारी द्वारा दिया गया कोई भी आदेश अंतिम आदेश होगा उसकी अपील भारत के किसी न्यायालय में नहीं की जा सकेगी।

अपराध एंव दंड-

इस अधिनियम के भीतर ही कुछ अपराध और उनके लिए दंड रखा गया है। यह अपराध और दंड अधिनियम को सार्थक बनाने हेतु रखा गया है अधिनियम की धारा 12 इसका उल्लेख करती है।

अधिनियम की धारा 3 के उपबंध के अंतर्गत यदि कोई भारत से बाहर प्रस्थान बगैर पासपोर्ट के करेगा या फिर ऐसा करने का प्रयास करेगा तो वह इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध माना गया है।

इस अधिनियम के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज प्राप्त करने के उद्देश्य से कोई गलत जानकारी देगा या फिर किसी जानकारी को परिवर्तित करवाएगा और वह गलत और मिथ्या जानकारी है तो यह भी इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध है।

यदि पासपोर्ट को पासपोर्ट अधिकारी द्वारा निरीक्षण हेतु पेश करने का आदेश दिया गया है और धारक पासपोर्ट को पेश नहीं करता है तो यह भी एक्ट के अंतर्गत अपराध है।

किसी अन्य व्यक्ति को जारी किए गए पासपोर्ट को या जानते हुए कि वह अन्य व्यक्ति का पासपोर्ट है उपयोग में लाना भी अपराध है। पासपोर्ट अधिकारी द्वारा अपने को जारी किए गए पासपोर्ट को यह जानते हुए भी कि अपनों को पासपोर्ट जारी किया गया है वह किसी अन्य व्यक्ति को पासपोर्ट देगा उपयोग करने हेतु तो यह भी अपराध है।

इनमें से कोई भी अपराध करने के परिणाम स्वरूप अपराधी को 2 वर्ष तक का कारावास और जुर्माने से जो ₹5000 तक का हो सकेगा दंडित किए जाने का प्रावधान रखा गया है।

यदि कोई ऐसा व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है। अपनी राष्ट्रीयता के बारे में कोई जानकारी दबाकर किसी पासपोर्ट के लिए आवेदन करेगा या उसे अभिप्राप्त करेगा। कोई कूट रचित पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज धारण करेगा। उसे कम से कम 1 वर्ष तक का कारावास और ज्यादा से ज्यादा 5 वर्ष तक का कारावास और ₹10000 तक का जुर्माना अधिकतम ₹50000 तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा।

इन अपराधों का दुष्प्रेरण करने के लिए उतना ही दंड रखा गया है, जितना दंड दुष्प्रेरित अपराध के लिए होगा। इस अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए नियम और  विनियमों का उल्लंघन करने हेतु भी दंड रखा गया है यदि उन नियमों के उल्लंघन करने हेतु कोई निर्धारित दंड नहीं है तो 3 माह तक का कारावास रखा गया है।

यदि कोई व्यक्ति इन अपराधों में से कोई अपराध पुनः करता है तो उसे अपराध की दंड का दुगना दंड दिया जाएगा।

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