
Lessee सम्पत्ति का और उसकी उपज का (यदि कोई हो) ऐसे उपयोग कर सकेगा जैसे एक मामूली प्रज्ञा वाला व्यक्ति करता है, यदि यह उसको अपनी होती, किन्तु सम्पत्ति का उस प्रयोजन से भिन्न, जिसके लिए वह पट्टे पर दी गयी थी, उपयोग न तो स्वयं करेगा न किसी अन्य को करने देगा, न काष्ठ काटेगा, न बेचेगा, न Lessor के निर्माणों को गिराएगा, न नुकसान पहुँचाएगा, न ऐसी खानों या खदानों को खुदवाएगा जो लीज़ देने के समय खुली नहीं थी, न कोई ऐसा अन्य कार्य करेगा जो उस सम्पत्ति के लिए नाशक हो स्थायी रूप से क्षतिकर हो।
यह प्रावधान एक साधारण पट्टे के मामले में Lessee के साधारण अधिकारों के सम्बन्ध में स्थिति को सुस्पष्ट करता है किन्तु इसके प्रावधान अभिव्यक्त रूप में प्रदत्त अधिकारों को सीमित नहीं करते हैं यदि कतिपय परिसर गोदाम हेतु पट्टे पर दिया गया हो तथा Lessee उसे उपपट्टे पर दे देता है एवं उपLessee उसे आवासीय परिसर के रूप में प्रयोग में लाता है। और वह परिसर आग से जलकर नष्ट हो जाता है तो Lessee प्रथमदृष्टया परिसर को कारित क्षति के लिए उत्तरदायी होगा और यह साबित करने का दायित्व Lessee पर होगा कि परिसर को होने वालों क्षति के लिए न तो वह और न ही उपLessee उपेक्षा का दोषी था।
यह उपबन्ध यह अपेक्षा करता है कि Lessee Lessor सम्पत्ति का उपभोग एक अच्छे Lessee के रूप में करे तथा सम्पत्ति को इस प्रकार मरम्मत करे जो सम्पत्ति को नष्ट होने से बचाने के लिए आवश्यक है या कम से कम Lessor को सम्पत्ति को होने वाली किसी गम्भीर खतरे के विषय में अवगत कराये साधारणतया एक Lessee अपनी लीज़धृति पर सुधार करने के लिए प्राधिकृत है किन्तु उसे यह अधिकार नहीं है कि वह सम्पत्ति का लीज़ से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए उपयोग करें।
यदि सम्पत्ति का लीज़ आवासीय प्रयोग के लिए था तथा Lessee उसका किसो अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग कर रहा था तो उसे व्यादेश के द्वारा अन्य प्रयोजन हेतु सम्पत्ति के उपयोग से रोका जा सकेगा। यदि एक भवन वस्त्र के विक्रय हेतु पट्टे पर लया गया है तथा लीज़ग्र होता उसी भवन में कपड़े संग्रह भी करता है तो कपड़े का संग्रह कपड़े के विक्रय से भिन्न प्रयोजन नहीं होगा।
यदि एक परिसर पट्टे पर गैराज के रूप में प्रयोग करने के लिए दिया गया था जिसमें गाड़ियाँ खड़ी की जानी थी और Lessee, गाड़ियाँ खड़ी करने के साथ ही साथ उसमें वर्कशाप भी चलाता है तो वर्कशाप का कार्य गैराज के कार्य से पृथक नहीं माना जाएगा। यदि एक दुकान वाणिज्यिक प्रयोजन के लिये पट्टे पर दी गयी थी पर Lessee उसमें आटे को चक्की लगा लेता है तो ऐसे कृत्य से पट्टे का प्रयोजन विफल हो जाएगा, पर यदि दुकान पट्टे पर देते समय कोई प्रयोजन निर्धारित नहीं किया गया है तो आटे की चक्की चलाना भिन्न प्रयोजन नहीं होगा।
एक Lessee संदत परिसर में आवश्यक व्यवस्था करने के लिए प्राधिकृत है। इसके माध्यम से यह सम्पति को अपने प्रयोजन हेतु उपयोगी बनाता है। Lessor को यह कहने का अधिकार नहीं है कि Lessee ऐसा क्यों कर रहा है और यह भी एक लम्बे अन्तराल के बाद जब प्रक्रिया के दौरान न कोई सारवान परिवर्तन किया गया हो और न हो परिसर को कोई सारवान् क्षति पहुँचो हो, फिर भी Lessee सम्पत्ति को वापस लौटाते समय इस बात के दायित्वाधीन होता है कि वह परिसर को उसी रूप में वापस लौटाए जिस रूप में उसने Lessor से प्राप्त किया था। ऐसा करने के लिए आने वाले खर्चे का भुगतान स्वयं Lessee को करना होगा ऐसी स्थिति में Lessee के विरुद्ध किसी प्रकार का आदेश पारित नहीं होगा।
लीज़ के प्रयोजनों से भिन्न उपयोग–जिस प्रयोजन हेतु सम्पत्ति के पट्टे पर दिया जाता है, Lessee का यह दायित्व होता है कि सम्पत्ति का उपयोग वह उसी प्रयोजन हेतु करे। यदि लीज़ के प्रयोजन से इतर सम्पत्ति का उपयोग किया जाता है तो ऐसा कृत्य लीज़ संविदा का उल्लंघन होगा। अतः यदि सम्पत्ति गन्ना की पेराई करने के कारोबार हेतु दी गयी थी किन्तु Lessee परिसर को रेडीमेड वस्त्र बेचने के लिए उपयोग में लाता है तो ऐसा उपयोग अवैध होगा तथा Lessee के विरुद्ध बेदखली की डिक्री पारित हो सकेगी।
Lessee द्वारा यह तर्क प्रस्तुत करना कि गन्ने की पेराई का कारोबार मौसमी प्रकृति का कारोबार है तथा शेष समय बन्द रहता है अतः केवल ऐसे समय ही वह रेडीमेड वस्त्र का कारोबार करता है मान्य नहीं होगा, क्योंकि पट्टे पर परिसर को लेते समय Lessee को इस तथ्य का ज्ञान था और उसे लीज़ को संविदा में इस तथ्य को सुनिश्चित करा लेना चाहिए था कि जब पेराई का मौसम समाप्त हो जाएगा तो वह परिसर का उपयोग वस्त्र बेचने हेतु करेगा।
यदि उसने ऐसा नहीं किया था तो परिसर का भिन्न प्रयोजन हेतु उपयोग पट्टे की संविदा का उल्लंघन माना जाएगा तथा बेदखली की कार्यवाही Lessee के विरुद्ध की जा सकेगी इस सिद्धान्त के प्रवर्तन के लिए यह आवश्यक है कि सम्पत्ति के प्रमुख या महत्वपूर्ण प्रयोजन को परिवर्तित किया जाए। यदि ऐसा नहीं है तो साधारणतया कोर्ट उपयोग के परिवर्तन या उपयोग में बदलाव का संज्ञान नहीं लेगा, पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने लक्ष्मणचन्द्र बनाम बंसरी मुखर्जी के वाद के भिन्न मत व्यक्त किया है।
कोर्ट ने कहा कि धारा 108 (ण) के प्रावधान को देखने एवं उसकी विवेचना करने के उपरान्त कोर्ट इस मत का है कि इस उपबन्ध का सारतत्व प्रयोजन की भिन्नता नहीं है, अपितु यह है कि भिन्न उपयोग के फलस्वरूप सम्पत्ति पर हानिकारक, क्षतिकारक या विनाशकारक प्रभाव पड़ा हो। यह निष्कर्ष पदावलि, जो उस सम्पत्ति के लिए नाशक हो या स्थायी रूप से क्षतिकर हो, निकलता है।
उक्त पदावलि को उपबन्ध में प्रयुक्त पदावलि पर सम्पत्ति का उस प्रयोजन से भिन्न, जिसके लिए वह पट्टे पर दी गयी थी उपयोग न तो स्वयं करेगा, न किसी अन्य को करने देगा, के सापेक्ष देखने पर स्थिति और भी सुस्पष्ट हो जाती है। Lessee उपयोग को इस प्रकार परिवर्तित नहीं करेगा जिससे कि भूस्वामी के लीज़ सम्पत्ति में हित प्रभावित हो या सम्पत्ति को भौतिक रूप में क्षति पहुँचे।
अतः यदि Lessee ने सम्पत्ति का उपयोग आफिस प्रयोजन हेतु न कर आवासीय प्रयोजन हेतु सम्पत्ति को प्रभावित किए बिना किया है तो ऐसा उपयोग इस उपबन्ध से प्रभावित नहीं होगा। पर यह ध्यान देने की बात है कि यह निर्णय उच्चतम कोर्ट द्वारा गुरुदयाल बनाम राजकुमाएं तथा दशरथ बाबू राव बनाम काशीनाथ के वाद में दिए गये निर्णयों से मेल नहीं खाता है। फलतः स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।
सम्पत्ति के उपयोग की भिन्नता उसके व्यापक अंश से सम्बद्ध होनी चाहिए। इस तथ्य को सुप्रीम कोर्ट ने प्रेम चन्द्र बनाम डिस्ट्रिक्ट जजों के वाद में सुस्पष्ट कर दिया है। इस मामले में Lessee ने अपनी लीज़ सम्पत्ति के एक कमरे में टेलरिंग शाप खोल रखी थी जिसे चुनौती दी गयी थी। इस उपबन्ध के आधार पर उच्चतम कोर्ट ने सुस्पष्ट किया कि इस प्रकृति को टेलरिंग शाप आवासीय प्रकृति के पट्टे को प्रभावित नहीं करेगा। भवन मात्र इस कारण से सभी इच्छाओं एवं प्रयोजनों हेतु आवासीय से अ-आवासीय नहीं होगा। यदि भवन का बड़ा हिस्सा आवासीय प्रयोजन हेतु उपयोग में लाया जा रहा है तो वह आवासीय ही बना रहेगा हो उसके एक अंश को अ-आवासीय प्रयोजन हेतु, जो तुच्छ प्रकृति का है, प्रयोग में लाया जा रह हो।
Lessee लीज़ को सम्मति के बिना लीज़ सम्पत्ति पर कोई स्थायी संरचना कृषि प्रयोजनों से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए खड़ी न करेगा, किन्तु यदि Lessee ऐसा करता है तो यह उस संरचना को खण्ड (ज) के अन्तर्गत हटाने के दायित्वाधीन होगा। यदि Lessee उस संरचना को नहीं हटाता है या हटाने में विफल रहता है तो वह Lessor की सम्पत्ति हो जाएगी। यदि Lessee लीज़ सम्पत्ति पर कोई स्थायी संरचना खड़ी करता है तो Lessor इस कार्य के सन्दर्भ में Lessee के विरुद्ध व्यादेश लेकर ऐसा कार्य करने से उसे स्थायी रूप से रोक सकेगा।
इस खण्ड में उल्लिखित उपबन्ध उस स्थिति में प्रवर्तनीय नहीं होगा जब पक्षकारों के बीच कोई प्रतिकूल संविदा हुई हो जिसके अन्तर्गत Lessee उक्त भूमि पर कोई आवासीय भवन या दुकान बनाने के लिए प्राधिकृत हो लीज़ सम्पत्ति में परिवर्तन महत्वपूर्ण होगा भले इससे परिसर को कोई क्षति न हो या सारवान रूप में उसके मूल्य में कमी हो।
यदि Lessee Lessor की अनुमति से कृषि भूमि पर निर्मित भवन को अन्तरित करता है तो अन्तरिती भवन सामग्री का अधिकारी होगा, पर उस भूमि का नहीं जिस पर भवन निर्मित हुआ था, क्योंकि भूमि का धारणाधिकार वैयक्तिक था। इस प्रयोजन हेतु एक ऐसा निर्माण जिसकी दीवारें ईंटों से बनी हो तथा छत नालीदार शीट से बनी हो, स्थायी निर्माण माना जाएगा।
कोई निर्माण स्थायी प्रकृति का है या नहीं यह एक तथ्य का विषय प्रश्न है तथा इसका निर्धारण निर्माण की प्रकृति एवं उस मंशा, जिससे वह निर्माण किया गया है, के आधार पर किया जाता है। लीज़ सम्पत्ति में अनधिकृत संवर्धन या परिवर्तन स्वयं इस खण्ड से आच्छादित नहीं है। इस खण्ड को आकर्षित करने के लिए यह साबित किया जाना आवश्यक होगा कि Lessee ने Lessor की अनुमति के बिना लीज़ सम्पत्ति पर एक स्थायी निर्माण किया है।