प्रॉपर्टी का म्यूटेशन किस तरह होता है?

Update: 2024-09-24 04:13 GMT

किसी प्रॉपर्टी को केवल सेल डीड या अन्य कोई डीड के माध्यम से खरीद लेना ही नामांतरण या म्यूटेशन नहीं है बल्कि उसके बाद की शासकीय कार्यवाही के बाद ही किसी भी संपत्ति का म्यूटेशन होता है।

केवल सेल डीड से ही नहीं हो जाता है नामांतरण

सेल और नामांतरण दो अलग-अलग चीजें हैं। आमतौर पर लोग सेल और नामांतरण को एक ही समझ लेते हैं। ऐसा समझा जाता है कि रजिस्ट्री करवा ली और संपत्ति अपने नाम हो गई जबकि यह ठीक नहीं है। किसी भी संपत्ति को जब तक नामांतरण नहीं किया जाता है तब तक कोई भी व्यक्ति अपनी नहीं मान सकता भले ही उसने रजिस्ट्री करवा ली हो। फिर भी संपत्ति उसकी नहीं मानी जाती क्योंकि नामांतरण तो किसी दूसरे व्यक्ति के पास होता है।

इसलिए यहां पर यह ध्यान देना चाहिए कि जब भी किसी संपत्ति को सेल डीड के माध्यम से खरीदा जाए या फिर वसीयत का निष्पादन हो या फिर दान पत्र के माध्यम से लिया जाए उसका नामांतरण अवश्य रूप से करवाना चाहिए। यदि नामांतरण नहीं करवाया जाता है तो ऐसी संपत्ति के संबंध में भविष्य में दावे आपत्ति खड़ी की जा सकती है इसलिए खरीददार का यह कर्तव्य बनता है कि वे अपनी संपत्ति को खरीदने के बाद अपने सेल डीड के रजिस्ट्रेशन के बाद उसका नामांतरण भी करवा ले।

कैसे करवाएं नामांतरण

भारत में अचल संपत्ति मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है। पहला प्रकार खेती की जमीन, दूसरा प्रकार आवासीय जमीन, तीसरा प्रकार औद्योगिक जमीन इस जमीन के साथ मकान भी सम्मिलित हैं। इन तीन प्रकार से ऊपर कोई चौथा प्रकार शायद ही होता हो।

इन तीनों ही प्रकार की जमीनों का नामांतरण अलग-अलग प्रकार से अलग-अलग स्थानों पर किया जाता है। जब भी कभी किसी संपत्ति को सेल डीड के माध्यम से खरीदा जाए या फिर किसी अन्य साधन से अर्जित किया जाए तब उस दस्तावेज के साथ संबंधित कार्यालय पर उपस्थित होकर संपत्ति का नामांतरण करवा लेना चाहिए।

खेती की जमीन

जो जमीन खेती की जमीन के रूप में दर्ज होती है ऐसी जमीन का नामांतरण उस पटवारी हल्के के पटवारी द्वारा किया जाता है। सेल डीड के रजिस्ट्रेशन के बाद ऐसी डीड को लेकर एक एप्लीकेशन के साथ पटवारी के समक्ष उपस्थित हुआ जाता है। पटवारी सेल डीड में दिए गए आदेशों के अनुसार जमीन का सीमांकन करता है। वह जमीन की जांच करता है कि कितनी जमीन को खरीदने का सौदा किया गया है और कितनी जमीन का उल्लेख सेल डीड में लिखा गया है। बेचने और खरीदने वाले पक्षकारों को बुलवाकर पटवारी द्वारा कुछ हस्ताक्षर लिए जाते हैं और जमाबंदी तैयार की जाती है।

ऐसी जमाबंदी ऑनलाइन भी उपलब्ध होती है। आजकल सभी राज्यों में ऐसी जमाबंदी की ऑनलाइन व्यवस्था भी कर दी गई है बगैर पटवारी के पास जाएं घर बैठे भी ऐसा नामांतरण करवाया जा सकता है। दोनों पक्षकारों का अवलोकन करने के बाद सेल डीड का अवलोकन करने के बाद पटवारी नई जमाबंदी बनाता है और उसके अनुसार जिस व्यक्ति को संपत्ति बेची गई है उसके नाम पर उस संपत्ति का नामांतरण कर देता है।

फिर संपत्ति उस व्यक्ति के नाम पर दर्ज हो जाती है इस प्रक्रिया में कुछ 10 से 15 दिवस का समय लग सकता है क्योंकि यहां पर पटवारी को जांच करने के आदेश है। समस्त दस्तावेजों की जांच करता है जिससे यह मालूम हो कि जिस व्यक्ति ने संपत्ति को बेचा है क्या उस व्यक्ति के पास संपत्ति को बेचने का कोई अधिकार था भी या नहीं।

यहां पर यह ध्यान देना चाहिए कि यह नियम केवल खेती की जमीन के संबंध में लागू होता है। कोई भी ऐसी जमीन जिसे आवास क्षेत्र के अंतर्गत डाला गया है उस जमीन से संबंधित नामांतरण पटवारी के समक्ष नहीं होता है। जैसा कि एक गांव में कुछ घर भी होते हैं उन घरों में लोग रहते हैं ऐसे घर जब खरीदे जाते हैं तब उनका नामांतरण पटवारी द्वारा नहीं किया जाता है बल्कि उनका नामांतरण तो पंचायत में किया जाता है और खेती से जुड़ी भी जमीन का नामांतरण पटवारी द्वारा किया जाता है। पटवारी राजस्व अधिकारी नहीं होता है परंतु उसे राजस्व की कड़ी माना गया है।

आवासीय भूमि

दूसरा महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि आवासीय भूमि का नामांतरण कैसे किया जाए। आवासीय भूमि से संबंधित सभी दस्तावेजों का रिकॉर्ड उस क्षेत्र की नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद या फिर गांव के मामले में ग्राम पंचायत के पास होता है। यहां पर यह भी ध्यान देना होगा कि गांव की खेती की जमीन का नामांतरण पटवारी द्वारा किया जाता है और गांव के आवासीय मकानों का नामांतरण पंचायत द्वारा किया जाता है। भारत में अलग-अलग आबादी के लिए अलग-अलग स्थानीय निकाय होते हैं। बड़े शहरों के लिए नगर निगम होती है उनसे छोटे शहर जिन्हें कस्बे कहा जा सकता है के लिए नगरपालिका होती है और उनसे भी छोटे शहर जो तहसील स्तर से छोटे होते हैं उनके लिए नगर परिषद होती है। जहां की आबादी 10,000 लोगों से कम होती है।

ऐसी स्थानीय निकाय में जाकर वहां जलकर और संपत्ति कर के खातों की जांच करना चाहिए और यह मालूम करना चाहिए कि उस संपत्ति का जलकर या फिर संपत्ति कर किस व्यक्ति के नाम से भरा जा रहा है और किस व्यक्ति का नाम संबंधित दस्तावेजों पर अंकित है। जब कभी किसी मकान या जमीन को खरीदा जाए तब उसका रिकॉर्ड स्थानीय निकाय में जाकर चेक करने के बाद अपनी रजिस्टर्ड सेल डीड को वहां प्रस्तुत करके फ़ौरन नामांतरण खरीदने वाले व्यक्ति के नाम पर करवा देना चाहिए। इस काम में थोड़ी भी देरी नहीं करना चाहिए जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी नामांतरण करवा देना चाहिए भले ही ऐसा सौदा आपसी विश्वास में किया गया हो या फिर दो रिश्तेदारों के बीच किया गया हो।

औद्योगिक जमीन

भारत की तीसरी प्रमुख संपत्ति औद्योगिक जमीन होती है इस जमीन का रिकॉर्ड औद्योगिक विकास केंद्र जो प्रत्येक जिले में होता है उसके समक्ष रखा जाता है ऐसे औद्योगिक विकास केंद्र में जाकर यह जांच करना चाहिए कि सभी कार्य और शुल्क किस व्यक्ति द्वारा जमा किए जा रहे हैं और किस व्यक्ति के नाम पर संपत्ति रजिस्टर्ड है। जिस व्यक्ति से संपत्ति को खरीदा गया है उस व्यक्ति के नाम पर वे सभी दस्तावेज होना चाहिए और नामांतरण उसी के नाम होना चाहिए। ऐसा नहीं हो कि संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति से खरीदी गई है।

उसका नामांतरण किसी अन्य व्यक्ति के पास है। जिस व्यक्ति का नामांतरण है संपत्ति उस व्यक्ति से ही खरीदी जाना चाहिए फिर फौरन ऐसी संपत्ति का नामांतरण करवा देना चाहिए। औद्योगिक विकास केंद्र के अधिकारी ऐसी जमीन का निरीक्षण करते हैं उससे संबंधित दस्तावेजों का सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं फिर उस संपत्ति का नामांतरण उसे खरीदने वाले व्यक्ति के नाम पर कर देते हैं।

इस प्रकार नामांतरण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। तीनों ही जमीन के लिए अलग-अलग अथॉरिटी है जहां पर नामांकन की प्रक्रिया संपन्न की जाती है। सही व्यक्ति को सही स्थान पर उपस्थित होना चाहिए तथा नामांतरण की प्रक्रिया को संपन्न करना चाहिए।

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