चुनाव से संबंधित अपराध: भारतीय न्याय संहिता 2023 (धारा 175-177)

Update: 2024-09-05 13:00 GMT

भारतीय न्याय संहिता 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हो चुकी है, भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) का स्थान लेती है। इसमें चुनावों से संबंधित अपराधों के लिए विस्तृत और कठोर प्रावधान बनाए गए हैं। इस लेख में हम धारा 175 से 177 का सरल और स्पष्ट विश्लेषण करेंगे, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित करने के लिए गलत बयानबाजी, अनधिकृत खर्चे, और चुनावी खर्चों का लेखा-जोखा न रखने से जुड़े अपराधों को परिभाषित करती हैं। इससे पहले कि हम इन धाराओं पर चर्चा करें, आप पिछले लेख में धारा 169 से 174 के प्रावधानों को भी पढ़ सकते हैं। इसके लिए आप लाइव लॉ हिंदी की पिछली पोस्ट का संदर्भ ले सकते हैं।

भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत चुनाव से जुड़े अपराधों पर कठोर कार्रवाई की जाती है ताकि चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे। धारा 175 से 177 तक के प्रावधान चुनावी परिणामों को प्रभावित करने वाली झूठी बयानबाजी, अनधिकृत खर्चों और चुनावी खर्चों के लेखा-जोखा न रखने से जुड़े अपराधों को दंडित करते हैं। यह प्रावधान न केवल चुनावों की शुचिता बनाए रखने में मदद करते हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करते हैं कि चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने वाले सभी लोग कानून का पालन करें।

धारा 175: चुनावी परिणाम को प्रभावित करने के लिए झूठी बयानबाजी का अपराध (Offense of Making False Statements to Affect Election Results)

धारा 175 उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करती है जो चुनावी परिणामों को प्रभावित करने के इरादे से किसी उम्मीदवार के व्यक्तिगत चरित्र या आचरण के बारे में झूठी बयानबाजी (False Statement) करते हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसा बयान देता है जिसे वह जानता है कि वह झूठा है, या जिसे वह सही नहीं मानता, तो उसे इस अपराध का दोषी ठहराया जाएगा और उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।

उदाहरण: मान लीजिए कि एक उम्मीदवार, मोहन, अपने प्रतिद्वंदी, सुरेश, के खिलाफ झूठा बयान देता है कि सुरेश ने किसी अवैध गतिविधि में भाग लिया है, जबकि मोहन जानता है कि यह जानकारी गलत है। यह धारा 175 के तहत झूठी बयानबाजी का अपराध है और मोहन को इस अपराध के लिए जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।

धारा 176: अनधिकृत चुनावी खर्चों का अपराध (Offense of Unauthorized Election Expenses)

धारा 176 के अंतर्गत, अगर कोई व्यक्ति किसी उम्मीदवार के लिखित सामान्य या विशेष अधिकार के बिना चुनाव प्रचार के लिए सार्वजनिक सभा आयोजित करने, विज्ञापन जारी करने, या अन्य किसी प्रकार से खर्च करता है, तो उसे जुर्माने का सामना करना पड़ेगा, जो दस हजार रुपये तक हो सकता है।

हालांकि, अगर किसी ने दस रुपये से कम खर्च किया है और खर्च किए गए पैसे के लिए उम्मीदवार से दस दिन के अंदर लिखित स्वीकृति प्राप्त कर ली है, तो यह माना जाएगा कि उसने यह खर्च उम्मीदवार के अधिकार से किया है और उसे इस अपराध का दोषी नहीं ठहराया जाएगा।

उदाहरण: मान लीजिए कि रोहित ने अपने पसंदीदा उम्मीदवार के समर्थन में एक विज्ञापन जारी किया लेकिन इसके लिए उम्मीदवार से लिखित अनुमति नहीं ली। इस स्थिति में, रोहित को धारा 176 के तहत दस हजार रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। लेकिन अगर रोहित ने केवल पाँच रुपये खर्च किए और उम्मीदवार से लिखित स्वीकृति प्राप्त कर ली, तो वह अपराध से बच सकता है।

धारा 177: चुनावी खर्चों का लेखा-जोखा न रखने का अपराध (Offense of Failing to Keep Accounts of Election Expenses)

धारा 177 में यह प्रावधान है कि जो व्यक्ति किसी कानून या नियम के अनुसार चुनावी खर्चों का लेखा-जोखा (Accounts of Election Expenses) रखने के लिए बाध्य है, लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहता है, तो उसे पाँच हजार रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ेगा। चुनाव में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह नियम बहुत महत्वपूर्ण है।

उदाहरण: एक उम्मीदवार, रीना, चुनाव प्रचार के दौरान सभी खर्चों का हिसाब-किताब नहीं रखती। यह कानून का उल्लंघन है और रीना को धारा 177 के अंतर्गत पाँच हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

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