जेल में बैठकर भी नामांकन दाखिल किया जा सकता है': विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन द्वारा 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के एक मामले में अंतरिम जमानत की मांग करने वाली याचिका को कल के लिए सूचीबद्ध किया, जिससे वह मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनावों में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के सदस्य के रूप में भाग ले सकें।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि वह अंतरिम जमानत याचिका में दलीलें कल यानी बुधवार को सुनेंगे, जब हुसैन की नियमित जमानत भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगी।
हुसैन की ओर से पेश हुए वकील राजीव मोहन ने कहा कि नामांकन दाखिल करने और चुनाव प्रचार करने के लिए 25 दिनों की अंतरिम जमानत मांगी जा रही है।
इस पर जस्टिस कृष्णा ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि जेल में रहते हुए भी नामांकन दाखिल किया जा सकता है।
न्यायाधीश ने मोहन से कहा,
"जेल में रहते हुए भी नामांकन दाखिल किया जा सकता है।"
दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी चेतन शर्मा पेश हुए और कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां जेल से नामांकन दाखिल किए गए हैं। उन्होंने खालिस्तानी अलगाववादी अमृतपाल सिंह के मामले का जिक्र किया, जिन्होंने पिछले साल असम के डिब्रूगढ़ से खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव में अपना नामांकन दाखिल किया था।
इसके बाद मोहन ने कहा कि चूंकि AIMIM मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है, इसलिए हुसैन को अपनी सभी संपत्तियों का सही हिसाब-किताब दाखिल करना होगा और नामांकन के लिए एक प्रस्ताव होना चाहिए।
उन्होंने कहा,
"मैं 16 मार्च, 2020 से हिरासत में हूं। मैं अपनी सभी संपत्तियों का सही हिसाब-किताब दाखिल करना चाहता हूं। मुझे एक प्रस्ताव चुनना होगा 11 मामलों में से मैं 8 मामलों में जमानत पर हूं।"
उन्होंने इंजीनियर राशिद के मामले का भी जिक्र किया, जिन्हें पिछले साल जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में प्रचार करने के लिए ट्रायल कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी।
मोहन ने कोर्ट को यह भी बताया कि हुसैन ने UAPA मामले में ट्रायल कोर्ट के समक्ष अंतरिम जमानत के लिए आवेदन किया है। साथ ही दिल्ली दंगों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी जिसमें वह जेल में है।
दंगों के दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में हाईकोर्ट के समक्ष अंतरिम जमानत याचिका दायर की गई।
समन्वय पीठ ने पिछले साल 24 दिसंबर को मामले में हुसैन की नियमित जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया था।
परिस्थितियों में भौतिक परिवर्तन की कमी के कारण 03 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट ने हुसैन को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
मृतक के पिता द्वारा की गई शिकायत के आधार पर दयालपुर पुलिस स्टेशन में FIR 65/2020 दर्ज की गई।
दंगों के दौरान अपने बेटे के लापता होने पर उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अंकित का शव बाद में एक नाले से बरामद किया गया था। जीटीबी अस्पताल ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
शिकायतकर्ता का बेटा अंकित शर्मा, जो इंटेलिजेंस ब्यूरो में कार्यरत है, किराने का सामान और सामान्य घरेलू सामान खरीदने के लिए उक्त तिथि को शाम करीब 5 बजे अपने घर से निकला था। हालांकि वह कई घंटों के बाद भी घर नहीं लौटा।
बाद में उसका शव चांद बाग पुलिया के पास एक नाले में पड़ा मिला। उसके सिर, चेहरे, छाती, पीठ और कमर पर तेज चोटें आई थीं।
इसके बाद शिकायतकर्ता ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि उसे पक्का संदेह है कि उसके बेटे की हत्या मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन और उसके साथियों ने की है।
मृतक अंकित शर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि धारदार हथियार और कुंद बल के कारण 51 चोटें आई थीं।
पिछले साल मार्च में ट्रायल कोर्ट ने ताहिर हुसैन, हसीन, नाजिम, कासिम, समीर खान, अनस, फिरोज, जावेद, गुलफाम, शोएब आलम और मुंतजिम के खिलाफ आरोप तय किए।
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 147, 148, 153ए, 302, 365, 120बी, 149, 188 और 153ए के तहत आरोप तय किए गए।
हुसैन पर आईपीसी की धारा 505, 109 और 114 के तहत भी आरोप लगाए गए। आरोपी नाजिम पर आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत भी आरोप लगाए गए।
केस टाइटल: ताहिर हुसैन बनाम राज्य