हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत पर आधारित संगीत रचनाएं, राग और ताल के समान होने के बावजूद हो सकती हैं मौलिक: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2025-04-26 06:15 GMT
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत पर आधारित संगीत रचनाएं, राग और ताल के समान होने के बावजूद हो सकती हैं मौलिक: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कॉपीराइट कानून और भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत पर आधारित कोई भी संगीत रचना, भले ही वह समान शैली (Genre), राग और ताल से संबंधित हो, फिर भी वह मौलिक (Original) रचना हो सकती है।

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि यदि किसी संगीत रचना की रचना मूल रूप से संगीतकार द्वारा की गई है तो वह कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत संरक्षण प्राप्त करने की हकदार है।

कोर्ट ने कहा,

संगीतकार उस रचना के संबंध में कॉपीराइट अधिनियम के तहत सभी अधिकारों, जिसमें नैतिक अधिकार (Moral Rights) भी शामिल हैं, का दावा कर सकता है।”

यह फैसला प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय गायक उस्ताद फैयाज वासिफुद्दीन डागर द्वारा दायर मुकदमे में आया, जिसमें उन्होंने तमिल फिल्म 'पोन्नियिन सेलवन 2' के गीत 'वीर राजा वीर' में अपनी मौलिक रचना "शिव स्तुति" की कॉपीराइट उल्लंघन की शिकायत की थी। इस गीत के संगीतकार ए.आर. रहमान और अन्य निर्माता पक्षकार थे।

कोर्ट ने डागर के पक्ष में अंतरिम निषेधाज्ञा (Interim Injunction) पारित करते हुए कहा कि "शिव स्तुति" मौलिक रचना है। इसे उसकी मौलिकता से वंचित नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने माना कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और कॉपीराइट कानून के बीच एक लंबा और जटिल रिश्ता रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत में कॉपीराइट कानून समय के साथ पारंपरिक रचनात्मक कार्यों, जैसे कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत पर आधारित रचनाओं को भी संरक्षण देने के लिए विकसित हुआ है।

कोर्ट ने कहा कि किसी राग की संरचना के भीतर संगीतकार के पास कई प्रकार की रचनात्मक संभावनाएं होती हैं। भले ही रचना एक ही राग या ताल पर आधारित हो फिर भी यदि वह किसी मौजूदा रचना से कॉपी नहीं की गई है तो वह एक मौलिक रचना मानी जाएगी।

कोर्ट का अवलोकन:

“जैसे एक ही वर्णमाला और व्याकरण के नियमों से असंख्य साहित्यिक कृतियां लिखी जा सकती हैं। वैसे ही आठ स्वरों और राग के सिद्धांतों पर आधारित असंख्य संगीत रचनाएं बन सकती हैं। वर्णमाला सार्वजनिक डोमेन में होने का मतलब यह नहीं कि किताबें और लेख आदि पर कॉपीराइट नहीं होगा। ठीक वैसे ही प्रत्येक मौलिक संगीत रचना को भी कॉपीराइट प्राप्त हो सकता है।”

कोर्ट ने माना कि वीर राजा वीर गीत केवल "शिव स्तुति" से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह स्वर (Notes), भाव (Emotion) और श्रवण प्रभाव (Aural Impact) में एक समान है।

न्यायालय ने कहा,

“इस मामले में यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी का गीत मूल रचना से सिर्फ प्रेरित नहीं है, बल्कि उसका मुख्य संगीत भाग हूबहू समान है। केवल बोल बदल दिए गए। इसलिए यह कॉपीराइट का उल्लंघन है।”

केस टाइटल- उस्ताद फैयाज वासिफुद्दीन डागर बनाम ए.आर. रहमान व अन्य

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