सिख आमतौर पर पहनते हैं 'कड़ा', व्यक्तिगत वस्तु: दिल्ली हाईकोर्ट ने कस्टम विभाग का जब्ती आदेश रद्द किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सिख लोग धार्मिक आस्था के तहत आमतौर पर कड़ा पहनते हैं। इस आधार पर दुबई निवासी एक यात्री के सोने के कड़े को कस्टम विभाग द्वारा जब्त किए जाने को रद्द कर दिया।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस रजनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने टिप्पणी की,
"स्पष्ट रूप से तस्वीरों को देखने और यह तथ्य जानने के बाद कि यह एक कड़ा है, जिसे आमतौर पर याचिकाकर्ता जैसे सिख लोग पहनते हैं। कोर्ट के मन में कोई संदेह नहीं रहा कि यह याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत वस्तु थी।"
याचिकाकर्ता एक पर्यटक हैं, जो दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनके सोने के कड़े को कस्टम विभाग द्वारा जब्त किए जाने से आहत थे।
उन्होंने कहा कि यह आभूषण उनकी व्यक्तिगत वस्तु के रूप में उपयोग में था और एक सिख होने के नाते वह हमेशा इसे पहनते हैं।
वहीं प्रतिवादी विभाग ने दलील दी कि याचिकाकर्ता को सुनवाई की तारीखें तय कर सूचित कर दी गई और इसलिए याचिका खारिज की जानी चाहिए।
प्रारंभ में हाईकोर्ट ने मखिंदर चोपड़ा बनाम कस्टम आयुक्त नई दिल्ली (2025) के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें कोर्ट ने पर्यटकों से सामान जब्त किए जाने के मामलों में उत्पन्न विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की थी, जिसमें व्यक्तिगत आभूषणों को बैगेज नियम 2016 के तहत व्यक्तिगत वस्तु माना जाना शामिल था।
उस फैसले में कोर्ट ने कहा था,
"जो आभूषण पर्यटक द्वारा वास्तविक रूप से व्यक्तिगत उपयोग में हैं, उन्हें व्यक्तिगत वस्तुओं की परिभाषा से बाहर नहीं किया जा सकता।"
यह देखते हुए कि जब्त किया गया सोने का कड़ा केवल याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत वस्तु है, कोर्ट ने कहा कि कड़ा जब्त करना कानून के विपरीत है।
तदनुसार, कोर्ट ने सोने के कड़े का जब्ती रद्द कर दिया और कस्टम विभाग को निर्देश दिया कि वे इसे चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को लौटा दें।
टाइटल: दलविंदर सिंह सूदन बनाम कस्टम आयुक्त