दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय दीर्घकालिक वीजा के लिए पाकिस्तानी महिला की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

Update: 2025-04-28 08:55 GMT
दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय दीर्घकालिक वीजा के लिए पाकिस्तानी महिला की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी महिला द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई से इनकार किया। इसमें उसने एक भारतीय नागरिक से विवाह करने के बाद भारत में दीर्घकालिक वीजा जारी करने और नागरिकता मिलने तक उसे नियमित करने की मांग की थी।

महिला ने भारत के ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के समक्ष दीर्घकालिक वीजा के लिए आवेदन किया था।

इसके बाद गृह मंत्रालय द्वारा विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 3(1) के तहत एक आदेश जारी किया गया। इस आदेश के तहत सूचित किया गया कि सरकार ने तत्काल प्रभाव से पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को निलंबित करने का निर्णय लिया है। यह फैसला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर लिया गया था।

जस्टिस सचिन दत्ता ने प्रारंभिक दृष्टि से यह माना कि विदेशी अधिनियम की धारा 3(1) के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से प्रेरित था। इसलिए उसमें न्यायिक समीक्षा का कोई औचित्य नहीं बनता।

जैसे ही अदालत ने याचिका पर सुनवाई से इंकार करने का संकेत दिया, महिला के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।

अदालत ने कहा,

"याचिका को वापस लिया गया मानते हुए खारिज किया जाता है।"

महिला ने यह भी मांग की थी कि संबंधित प्राधिकारी उसके निवासी परमिट (जो 26 मार्च से 9 मई तक वैध था) को रद्द या निलंबित न करें और समय-समय पर इसे बढ़ाया जाए। यह परमिट विदेशी नागरिकों के पंजीकरण नियम, 1992 के नियम 6 के तहत जारी किया गया था।

सरकारी आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि भारत सरकार द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को जारी सभी वैध वीजा — मेडिकल वीजा, दीर्घकालिक वीजा, राजनयिक और आधिकारिक वीजा को छोड़कर- 27 अप्रैल से तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। साथ ही, चिकित्सा वीजा भी केवल 29 अप्रैल तक वैध रहेगा।

अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि इस मामले में न्यायिक समीक्षा का कोई आधार नहीं है और यह अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है कि वह इस मामले में कोई अपवाद बनाए।

टाइटल: शीना नाज़ एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य

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