छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुचित अर्थिंग के कारण बिजली के झटके से हुई मौत के लिए राज्य विद्युत कंपनी को उत्तरदायी माना

Update: 2024-11-25 05:49 GMT

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (CSPDCL) की एक महिला की बिजली के झटके से हुई मौत के लिए देयता की पुष्टि की।

सुप्रीम कोर्ट के एम.पी. इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड बनाम शैल कुमारी और अन्य (2002) के मामले का हवाला देते हुए जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की पीठ ने सख्त दायित्व सिद्धांत को लागू किया, जहां यह माना गया कि किसी खतरनाक गतिविधि में शामिल व्यक्ति या संगठन किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है, चाहे उसकी गलती या लापरवाही कुछ भी हो।

यह मामला एक महिला की अपने घर पर बोर पंप का उपयोग करते समय बिजली के झटके से हुई मौत के इर्द-गिर्द घूमता है। वादी (उसके पति और बच्चे) ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (CSPDCL) की जिम्मेदारी का हवाला देते हुए 11 लाख के मुआवजे की मांग करते हुए सिविल मुकदमा दायर किया।

वादी ने तर्क दिया कि यह घटना CSPDCL द्वारा विद्युत सुरक्षा, विशेष रूप से अर्थिंग सिस्टम को बनाए रखने में लापरवाही के कारण हुई।

इसके विपरीत कंपनी-प्रतिवादी ने दायित्व से इनकार करते हुए कहा कि दुर्घटना गृहस्वामी की अनुचित आंतरिक वायरिंग और मृतक की लापरवाही के कारण हुई।

साक्ष्य के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने प्रतिवादियों को सख्त दायित्व के सिद्धांत के तहत उत्तरदायी पाया।

वादी को 10,37,680 रुपये का मुआवजा दिया गया, जिसमें आश्रित हानि के लिए 9,67,680 और मानसिक पीड़ा, संपत्ति की हानि और अंतिम संस्कार के खर्च के लिए 70,000 शामिल हैं, जिसमें घटना की तारीख से 9% वार्षिक ब्याज शामिल है।

विवादित निर्णय से व्यथित होकर प्रतिवादी कंपनी ने पहली अपील में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

जस्टिस रजनी दुबे द्वारा लिखित निर्णय ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय की पुष्टि की और प्रतिवादी कंपनी को मृतक को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी पाया। एम.पी. विद्युत बोर्ड के मामले का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा कि सख्त दायित्व के मामलों में प्रतिवादी को इस बात की परवाह किए बिना उत्तरदायी ठहराया जाता है कि क्या वह सावधानी बरतकर विशेष नुकसान से बच सकता था।

न्यायालय ने कहा,

"पर्युक्त निर्णय इस मामले में स्वीकार किए गए तथ्यों और रिकॉर्ड पर समग्र साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए जैसा कि ऊपर चर्चा की गई। इस न्यायालय को ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों में कोई अवैधता या दोष नहीं लगता है, जिसमें कहा गया कि अपीलकर्ता/प्रतिवादी नंबर 1 और 2 प्रतिवादी नंबर 2 से 10/वादी को पंचो बाई की बिजली के झटके से हुई मौत के लिए मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी हैं।"

तदनुसार अपील खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी और अन्य बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य


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