जानिए हिंदू विधि में तलाक लेने के क्या आधार हैं? देखिए वीडियो

Grounds for Divorce, Hindu Marriage Act, 1955

Update: 2022-08-17 15:23 GMT

विवाह विच्छेद की शक्ति वैवाहिक अधिकार का स्वाभाविक परिणाम है। हिंदू धर्म में विवाह को भी आवश्यक संस्कार के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। विवाह जीवन का आवश्यक अंग माना गया है। विवाह एक प्रेममय गृहस्थ जीवन के लिए है परंतु यदि यह विवाह जीवन में कलेश का कारण बन जाए तथा यह विवाह के पक्षकारों के भीतर उन्माद को भर के रख दे और दोनों के भीतर नफरत की आग जलने लगे तो ऐसी परिस्थिति में विवाह के संबंध को रखना कदापि औचित्यपूर्ण नहीं है।

यदि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत 2 हिंदुओं के मध्य विवाह का अनुष्ठान किया गया है तो ऐसे विवाह का विच्छेद न्यायालयीन प्रक्रिया के माध्यम से होगा। हिंदू विवाह का विघटन न्यायालय की डिक्री के माध्यम से होता है। डायवोर्स की डिक्री हिंदू विवाह अधिनियम 1955 धारा 13 के अंतर्गत प्रदान की जाती है।

इस वीडियो में हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अधीन दिए गए उन आधारों का उल्लेख किया जा रहा है जिन आधारों पर विवाह विच्छेद की अर्जी विवाह के दोनों पक्षकारों में से किसी पक्षकार द्वारा प्रस्तुत की जा सकती है।

आइए जानते हैं कि हिंदू विधि में तलाक लेने के क्या आधार हैं। देखिए वीडियो।

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