गवाह की सुरक्षा- "आश्चर्यजनक है कि जीवन के लिए खतरा स्वीकार करने के बावजूद गवाह की सुरक्षा कम की गई": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुरक्षा व्यवस्था बहाल की

Update: 2021-10-27 04:16 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक गवाह (एक आपराधिक मुकदमे में) को उसके जीवन के लिए खतरा स्वीकार करने के बावजूद उसे प्रदान की गई सुरक्षा को कम करने के जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक समिति के निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए गवाह/याचिकाकर्ता की सुरक्षा व्यवस्था आगे के आदेश तक बहाल कर दी है।

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता की पीठ एक आपराधिक मामले में गवाह व्रिजेंद्र प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे पहले आरोपी से उसके जीवन के लिए खतरे की धारणा के मद्देनजर चौबीसों घंटे एक गनर के साथ सुरक्षा प्रदान किया गया था।

गौरतलब है कि संबंधित आपराधिक मामले में याचिकाकर्ता/गवाह घायल गवाह है और अपराध का शिकार भी है। तदनुसार उन्हें 2 सितंबर, 2019 के अदालती आदेश के तहत सुरक्षा प्रदान की गई थी।

हालांकि, बाद में जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जिला स्तरीय सुरक्षा समिति ने याचिकाकर्ता/गवाह को सुरक्षा के स्तर को कम करने का आदेश दिया, यह स्वीकार करते हुए कि याचिकाकर्ता/गवाह के जीवन के लिए खतरा है।

अनिवार्य रूप से 23 मार्च को यह आदेश दिया गया था कि पहले की व्यवस्था के बजाय, जिसमें चौबीस घंटे एक गनर के साथ सुरक्षा प्रदान किया गया था, अब एक पुलिस स्टेशन द्वारा ट्रायल कोर्ट के लिए निर्धारित तिथि पर सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

तत्पश्चात, इसके बाद के आदेश के माध्यम से संशोधन किया गया था कि संबंधित पुलिस स्टेशन से एक सुरक्षा कर्मी निचली अदालत के समक्ष निर्धारित तिथि से एक दिन पहले याचिकाकर्ता को प्रदान करेगा।

कोर्ट ने कहा,

"जब याचिकाकर्ता के लिए एक स्वीकृत खतरे की धारणा होती है, तो कोई यह समझने में विफल कैसे रह सकता है कि यह व्यवस्था कैसे उसके जीवन को सुरक्षित करने जा रही है, क्या होगा यदि सुरक्षा कर्मियों को प्रदान नहीं किए जाने की अवधि के दौरान उसको मारने का प्रयास किया जाता है।"

न्यायालय ने यह भी आश्चर्य व्यक्त किया कि जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति इतने महत्व के मामले में उक्त निष्कर्ष पर कैसे पहुंची, जिसमें गवाह सुरक्षा योजना, 2018 द्वारा कवर किए गए गवाह की सुरक्षा शामिल है। यह महेंद्र चावला बनाम भारत संघ एंड अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया है।

अंत में, कोर्ट ने सुरक्षा व्यवस्था बहाल करते हुए चार सप्ताह के भीतर विरोधी पक्षों से जवाबी हलफनामा मांगा।

केस का शीर्षक - वृजेंद्र प्रताप सिंह बनाम यू.पी. राज्य के माध्यम से प्रधान सचिव एंड अन्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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