''दो वयस्कों की सहमति से प्यार पाने की लालसा में किसी अन्य के द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता" : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति-पत्नी को मिलवाया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एक जीवन साथी की पसंद, व्यक्तिगत अंतरंगता की इच्छा और दो सहमति वाले वयस्कों के बीच मानवीय संबंधों में प्यार और तृप्ति पाने की इच्छा में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने एक पति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हैबियस कार्पस) को स्वीकार कर लिया क्योंकि उसकी पत्नी / कार्पस ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह अपने पति के साथ जाने और अपना वैवाहिक जीवन शांतिपूर्वक जीने के लिए तैयार है।
याचिकाकर्ता (एक संदीप कुमार) ने अदालत के समक्ष अपनी पत्नी की उपस्थिति की मांग करते हुए यह याचिका दायर की थी, जिसने दावा किया था कि वह अपने परिवार के सदस्यों की अवैध कैद में है। कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी कर लड़की के परिजनों को उसे कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया।
इसके तुरंत बाद, याचिकाकर्ता पति के खिलाफ 22 जुलाई, 2022 को भारतीय दंड संहिता धारा 376/3/354 (सी) और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई गई। 13 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि एफआईआर 18 जुलाई, 2022 को कोर्ट द्वारा आदेश पारित करने के बाद दर्ज की गई है, जिसमें प्रतिवादियों को कार्पस को पेश करने का निर्देश दिया गया था।
14 अक्टूबर, 2022 को, याचिकाकर्ता नंबर 1 (संदीप कुमार) और याचिकाकर्ता नंबर 2/कार्पस (साक्षी पांचाल) व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए और न्यायालय को बताया कि दोनों याचिकाकर्ता बालिग हैं और उन्होंने एक मंदिर में शादी की है और नवंबर 2021 को उन्होंने अपनी शादी का पंजीकरण भी कराया था।
कोर्ट को आगे बताया गया कि वे पति-पत्नी के रूप में खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे, लेकिन नवंबर 2021 में कार्पस/याचिकाकर्ता नंबर 2 के परिवार के सदस्य उसे जबरदस्ती उसके पिता के घर ले गए और तब से वह प्रतिवादी नंबर 4-10 की कैद में है।
निचली अदालत के साथ-साथ हाईकोर्ट के समक्ष कार्पस द्वारा दर्ज किए गए बयानों को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने कहा कि चूंकि कार्पस याचिकाकर्ता नंबर 1 के साथ जाने और रहने के लिए तैयार है, इसलिए कोर्ट ने उसे उसके पति के साथ जाने की अनुमति दे दी।
कोर्ट ने कहा कि,
''एक जीवन साथी की पसंद, व्यक्तिगत अंतरंगता की इच्छा और प्यार पाने की लालसा और दो सहमति वाले वयस्कों के बीच मानवीय संबंधों की पूर्ति में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।''
उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, रिट याचिका की अनुमति देते हुए याचिकाकर्ता नंबर 1 के साथ कार्पस को जाने की अनुमति दे दी गई। वहीं रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया गया है कि वह 40000 रुपये की राशि वापस कर दी जाए,जो न्यायालय के 18 जुलाई, 2022 के आदेश के अनुसार याचिकाकर्ता नंबर 1 ने रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष जमा करवाई थी।
केस टाइटल- संदीप कुमार व अन्य बनाम यू.पी. राज्य व 9 अन्य,हैबियस कार्पस रिट याचिका संख्या - 536/2022
साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (एबी) 472
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