'मोदी-चोर' टिप्पणी : सूरत सत्र न्यायालय ने मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने की राहुल गांधी की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

Update: 2023-04-13 14:12 GMT

सूरत सत्र न्यायालय ने अप्रैल 2019 में कोलार में एक राजनीतिक अभियान के दौरान की गई अपनी टिप्पणी " सभी चोर मोदी सरनेम क्यों साझा करते हैं " पर मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने की राहुल गांधी की अर्जी पर गुरुवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया ।

सूरत सत्र न्यायालय के न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा ने गांधी और शिकायतकर्ता भाजपा के पूर्णेश मोदी को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा।

यदि उनके आवेदन की अनुमति दी जाती है तो इस संबंध में लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना जारी करने के अधीन, लोकसभा की उनकी सदस्यता बहाल कर दी जाएगी।

गौरतलब है कि 23 मार्च को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने गांधी को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। हालांकि, उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया था और उन्हें 30 दिनों के भीतर अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर करने में सक्षम बनाने के लिए जमानत भी दी गई थी।

सत्र न्यायालय ने 3 अप्रैल को मानहानि के मामले में राहुल गांधी को (उनकी अपील के निस्तारण तक) जमानत दे दी थी।

मामला संक्षेप में

भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में उनकी कथित टिप्पणी के लिए शिकायत दर्ज की थी जिसमें कहा गया था कि उन्होंने कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए 'मोदी' सरनेम वाले सभी लोगों को बदनाम किया है।

उपायुक्त और जिला चुनाव अधिकारी, कोलार जिले के कार्यालय द्वारा विधिवत अधिसूचित वीडियो निगरानी टीम और वीडियो देखने वाली टीम द्वारा टिप्पणियों की वीडियोग्राफी की गई थी।

गुजरात हाईकोर्ट ने इस साल फरवरी में आपराधिक मानहानि मामले में मुकदमे पर रोक हटा दी थी। अदालत ने जब फैसला सुनाया तब गांधी राहुल गांधी अदालत में मौजूद रहे। इससे पहले भी वह तीन बार कोर्ट के सामने पेश हुए थे।

गांधी ने कहा है कि जब उन्होंने प्रश्नगत बयान दिया तो उनकी ओर से कोई दुर्भावना नहीं थी।

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