कलबुर्गी हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने जांच की निगरानी बंद की, कहा चार्जशीट दाखिल हो चुकी है
कन्नड़ लेखक और हंपी विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति एमएम कलबुर्गी की हत्या के मामले की निगरानी अब सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दी है।
शुक्रवार को जस्टिस आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा कि इस मामले में SIT चार्जशीट दाखिल कर चुकी है इसलिए सुप्रीम कोर्ट के लिए अब इस मामले में कुछ बचा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कुलबुर्गी की पत्नी की याचिका का निपटारा बंद कर दी।
पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक SIT को ट्रांसफर कर दिया था जो पहले ही गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच कर रही है।
जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने निर्देश जारी किया था कि दोनों मामलों में एक जैसी कड़ियां हैं इसलिए एक ही एजेंसी जांच करे।
पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ पीठ को जांच की निगरानी करने का निर्देश भी दिया। इससे पहले ये जांच CID कर रही थी।
पहले सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि क्या इस केस के तार नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पनसरे और गौरी लंकेश हत्याकांड से जुड़े हो सकते हैं ?
11 दिसंबर 2018 को सुनवाई करते हुए जस्टिस यू यू ललित की पीठ ने कहा था कि अगर प्रथम दृष्टया सीबीआई को लगता है कि इन सबकी कड़िया आपस में जुड़ी हो सकती हैं तो कोर्ट एक ही एजेंसी को सारे मामलों की जांच सौंप देगा और ये एजेंसी सीबीआई ही है।
पीठ ने कहा था कि दाभोलकर हत्याकांड की जांच पहले ही बॉम्बे हाईकोर्ट सीबीआई को सौंप चुका जबकि पनसरे मामले की जांच महाराष्ट्र ATS के पास है।
वहीं सीबीआई की ओर से पेश वकील ने कहा था कि वो एजेंसी से निर्देश लेकर जवाब दाखिल करेंगे। इस दौरान कर्नाटक सरकार की ओर से पेश देवदत्त कामत ने कहा कि पुलिस की जांच में कलबुर्गी मामले के तार गौरी लंकेश हत्याकांड से जुड़ रहे हैं। पुलिस इन पहलुओं की जांच कर रही है और तीन महीने में जांच पूरी कर अदालत में आरोप पत्र दाखिल करेगी।
27 नवंबर 2018 को कलबुर्गी हत्याकांड की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने सरकार को दो हफ्ते में बताने को कहा था कि इस मामले की जांच कब तक पूरी होगी।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस आरएफ नरीमन की पीठ ने कहा था कि कर्नाटक सरकार ने अभी तक जांच में कुछ नहीं किया है।
वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि वो इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को तैयार हैं।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट एसआइटी से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों एनआइए, सीबीआई, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक की सरकारों को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब मांगा था। कलबुर्गी की पत्नी उमादेवी कलबुर्गी ने सुप्रीम कोर्ट में दिवंगत पत्रकार की हत्या की जांच रिटायर जज की निगरानी में SIT से कराने के लिए याचिका दायर की थी। मार्च में केंद्र ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि NIA का इस हत्याकांड की जांच से कोई लेना- देना नहीं है क्योंकि इसमें आतंकवादी घटना नहीं हुई है।
गौरतलब है कि कलबुर्गी की पत्नी की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि उनके पति की हत्या के मामले में अब तक कोई ठोस जांच नहीं की गई है। हंपी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और जाने-माने विद्वान कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को कर्नाटक के धारवाड़ में उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह 77 वर्ष के थे। वह साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार थे।
याचिका में कलबुर्गी की पत्नी ने कहा है कि उनके पति, नरेंद्र दाभोलकर तथा गोविंद पनसरे की हत्या के तार आपस में जुड़े हुए हैं। दाभोलकर की अगस्त 2013 और पंसारे की फरवरी 2015 में हत्या कर दी गई थी। कलबुर्गी की पत्नी ने कहा है कि दाभोलकर और पनसरे हत्याकांड की जांच बहुत लचर तरीके से की जा रही है। हत्यारों की पकड़ने की दिशा में कोई प्रगति नहीं है। इसलिए इसकी जांच SIT से कराई जानी चाहिए।