सुप्रीम कोर्ट के एक और जज ने महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद की सुनवाई से खुद को अलग किया

Update: 2023-04-12 14:15 GMT

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश कर्नाटक के रहने वाले जस्टिस अरविंद कुमार ने बुधवार को महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीच सीमा विवाद से संबंधित मुकदमे की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

जस्टिस एसके कौल, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ के समक्ष यह मामला सूचीबद्ध किया गया था ।

सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने इस मामले का उल्लेख किया और पीठ को अवगत कराया कि अतीत में दो राज्यों (महाराष्ट्र और कर्नाटक) के कुछ न्यायाधीशों ने स्वयं सुनवाई से इनकार कर दिया था।

खंडपीठ ने वर्तमान याचिका को एक खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए कहा, जिसमें जस्टिस कुमार सदस्य नहीं हों।

यह नोट किया -

"एक बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करें जिसमें हम में से एक (जस्टिसकुमार) सदस्य नहीं हों।"

पहले तीन अन्य न्यायाधीशों, जस्टिस अब्दुल नज़ीर, जस्टिस एम. शांतनगौदर और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना (ये सभी कर्नाटक के रहने वाले ) ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

महाराष्ट्र राज्य ने 2004 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 को चुनौती देते हुए एक मुकदमा दायर किया था। यह अधिनियम भाषाई आधार पर सीमाओं का सीमांकन करता है। महाराष्ट्र का तर्क है कि कर्नाटक राज्य के कई गांवों में मराठी भाषी आबादी है, इसलिए, इसने दावा किया कि ये क्षेत्र, जिनमें बेलगावी शामिल है, महाराष्ट्र का हिस्सा होना चाहिए न कि कर्नाटक का।

दूसरी ओर, कर्नाटक राज्य ने तर्क दिया था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत केवल संसद ही राज्य की सीमाओं पर निर्णय ले सकती है। यह भी माना गया कि सीमाओं के सीमांकन का आधार न केवल भाषाई है, बल्कि वित्तीय, प्रशासनिक और आर्थिक पहलुओं को भी ध्यान में रखा गया।

[केस टाइटल: महाराष्ट्र राज्य बनाम भारत संघ मूल मुकदमा नंबर 4/2004]

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