'सिर्फ मुकदमे के लिए उनकी शादीशुदा ज़िंदगी में खलल नहीं डाला जा सकता': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपी द्वारा 'पीड़िता' से शादी करने के बाद बलात्कार का मामला खारिज किया

Update: 2023-04-20 04:54 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच समझौते के आधार पर बलात्कार के मामले को रद्द करते हुए कहा कि एफआईआर में सुनवाई के लिए उनके विवाहित जीवन को परेशान नहीं किया जा सकता।

जस्टिस अमरजोत भट्टी ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (2) (एन), 506 के तहत अपराध गंभीर अपराध है और सीआरपीसी की धारा 320 के तहत गैर-समाधानीय है लेकिन पूर्ण न्याय करने और युगल के भविष्य की रक्षा के लिए समझौता उनके बीच पहुंचे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा,

"2007 (3) R.C.R. (क्रिमिनल) 1052 को कुलविंदर सिंह और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य के रूप में उद्धृत इस हाईकोर्ट के पांच न्यायाधीशों की बड़ी बेंच का अधिकार है, जहां यह समझाया गया कि 'कभी नहीं हो सकता कोई भी हार्ड एंड फ़ास्ट कैटेगरी हो, जिसे सीआरपीसी की धारा 482 के तहत किसी भी अदालत की प्रक्रिया या न्याय के सिरों को सुरक्षित करने के लिए अदालत को अपनी शक्ति का प्रयोग करने में सक्षम बनाने के लिए निर्धारित किया जा सकता है। 'मामले में याचिकाकर्ता और प्रतिवादी बालिग हैं और उन्होंने शादी की है।'

पीठ ने आईपीसी की धारा 376 (2) (एन) और 506 के तहत फरवरी 2020 में दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुनाया।

पीड़िता ने पहले अपने पहले पति से तलाक ले लिया था और उसके बाद वह याचिकाकर्ता-आरोपी के संपर्क में आई। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि जब भी वह अकेली होती थी तो आरोपी उसके घर आता था और उसके साथ दुष्कर्म करता था। एक बार मामले में समझौता हो गया और उनकी शादी होनी थी लेकिन आरोपी घर में ताला लगाकर भाग गया। इसी दौरान मामले की सूचना पुलिस को दी गई।

अदालत ने कहा कि आरोपी और शिकायतकर्ता के बयान दर्ज करने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मालेरकोटला की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि पक्षकारों के बीच बिना किसी दबाव, जबरदस्ती या अनुचित प्रभाव के समझौता किया गया।

अदालत ने कहा,

"मामले के तथ्य बताते हैं कि प्रतिवादी नंबर 2 ने पहले अपने पहले पति से तलाक ले लिया और उसके बाद वह याचिकाकर्ता के संपर्क में आई। वे एक-दूसरे के साथ रिश्ते में थे। उनकी शादी भी 27.02.2020 के लिए तय हुई थी लेकिन इससे पहले कि याचिकाकर्ता शादी से बचने के लिए अपने परिवार के साथ भाग गया। बाद में मामले में सुलह हो गई और उन्होंने 28.02.2020 को शादी कर ली। अब याचिकाकर्ता और प्रतिवादी नंबर 2 खुशहाल शादीशुदा जोड़े हैं। उन्होंने अपने सभी विवादों को सुलझा लिया है।"

खंडपीठ ने जतिन अग्रवाल बनाम तेलंगाना राज्य और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें उसने इसी तरह के मामले में बलात्कार की एफआईआर रद्द करने के लिए अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल किया। इसने हाईकोर्ट की समन्वय पीठ के फैसले का भी हवाला दिया।

अदालत ने एफआईआर और परिणामी कार्यवाही रद्द करते हुए कहा,

"इसलिए उपरोक्त निर्णयों के अनुपात पर भरोसा करके आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। उन्होंने अपने सभी विवादों को सुलझा लिया है और खुशी से रह रहे हैं।"

केस टाइटल: चंदन पासवान बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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