'पुलिस पीड़ित महिला की मदद करने के बजाय उसके निजी जीवन में झांक रही है': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैवाहिक क्रूरता मामले में कहा

Update: 2021-07-19 04:24 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महिला को उसके पति द्वारा उसके ससुराल के घर से बाहर निकाल दिए जाने के मामले से निपटने के लिए पुलिस द्वारा कथित उत्पीड़न करने के मामले में कहा कि प्रथम दृष्टया पुलिस का आचरण एक असंवेदनशील दृष्टिकोण का प्रदर्शन करता है।

न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि,

"प्रथम दृष्टया परिस्थितियों से संकेत मिलता है कि पुलिस इस मामले में पहले याचिकाकर्ता के निजी जीवन में झांक रही है, बजाय इसके कि उसकी कुछ मदद करे।"

कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अलीगढ़ और कासगंज के पुलिस अधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा था कि एक महिला को उसके पति द्वारा प्रताड़ित और उसके ससुराल से क्यों निकाला गया और पुलिस द्वारा पति के पास वापस जाने को मजबूर क्यों किया गया।

महिला ने पुलिस स्टेशन दादन, जिला अलीगढ़ में एक लिखित शिकायत भी दर्ज कराई थी। हालांकि उसने दावा किया कि अब पुलिस ने भी उसे परेशान करना शुरू कर दिया है।

महिला का मामला है कि उसके पति ने उसे उसके ससुराल से बाहर निकाल दिया और उसने अपने दोस्त मुकेश के घर शरण मांगी, जब उसके भाइयों और चाचाओं ने उसे आश्रय देने से इनकार कर दिया।

अदालत के आदेश के अनुसार, कलानिधि नैथानी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अलीगढ़ द्वारा एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर किया गया और कहा गया कि यह पूरी तरह से निर्विवाद नहीं है कि पुलिस ने महिला की निजता और स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया है।

हलफनामे में स्वीकार किया गया कि गुमशुदगी की रिपोर्ट पर उपनिरीक्षक दिनेश चंद्र यादव जिला कासगंज के ग्राम प्रीतम नगर में गए तो पाया कि महिला अपनी मर्जी से मुकेश नाम के व्यक्ति के साथ रह रही है।

अदालत ने इस पर कहा कि सवाल यह है कि क्या पुलिस ने उसे परेशान किया है और उसे वापस जाने और अपने पति के साथ रहने में के लिए कहा है।

इस प्रकार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अलीगढ़ द्वारा एक और हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया, जो कि उनका व्यक्तिगत हलफनामा होगा और कासगंज के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सोनकर से एक हलफनामा भी मांगा गया है।

आदेश के अनुपालन में एक व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत किया गया, जिसमें कहा गया कि 11 जुलाई, 2021 को अंचल अधिकारी, अतरौली, अलीगढ़ द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अलीगढ़ को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी, जिसने महिला के इस रुख को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा धमकी दी गई थी। इसके साथ ही यह भी खारिज कर दिया गया कि पुलिस अधिकारी ने किसी भी तरह से या पुलिस ने उसे उसके दोस्त मुकेश के साथ रहने के दौरान परेशान किया।

अदालत ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का व्यक्तिगत हलफनामा एक जवाबी हलफनामा की प्रकृति का है और इस प्रकार, अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को एक जवाबी हलफनामा दाखिल करने की स्वतंत्रता दी और इस प्रकार, मामले को 26 जुलाई 2021 के लिए सूचीबद्ध किया गया।

केस का शीर्षक - बेबी एंड अदर बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. और छह अन्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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