COVID-19 को लेकर फ़र्ज़ी खबरों से बचाने के लिए पुलिस ने सोशल मीडिया के माध्यम से सूचनाओं के प्रसार पर लगा रोक : बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2020-04-17 03:45 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि COVID-19 के बारे में ग़लत और भ्रामक सूचनाओं के प्रसार को प्रथम दृष्टया रोकने के लिए ही पुलिस ने सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप, ट्विटर, फ़ेसबुक, टिकटोक, इंस्टाग्राम आदि से इनके प्रसार पर रोक लगाया है।

न्यायमूर्ति आरके देशपांडे ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पंकज राजमाचिकर की याचिका की सुनवाई की और कहा कि इस मामले की सुनवाई बहुत ज़रूरी नहीं थी और रजिस्ट्री से कहा कि इस मामले को नियमित सुनवाई में डाले।

वक़ील संदीप पारिख ने याचिककर्ता की पैरवी की जबकि सरकार की पैरवी पूर्णिमा कंठरिया और एजीपी केदार दिघे ने की।

बॉम्बे के पुलिस उपायुक्त (ऑपरेशंज़) प्रणय अशोक ने 10 अप्रैल 2020 को सीआरपीसी की धारा 144 के तहत आदेश जारी कर कहा था कि सोशल मीडिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर फ़र्ज़ी खबरों को प्रसारित किया जा रहा है।

आदेश में कहा गया कि ऐसी कोई भी फ़र्ज़ी खबर जिनमें एक विशेष समुदाय और धर्म के बारे में अपमानजनक और भेदभावपूर्ण बातें कही गई हैं जिसकी वजह से आम लगों में भ्रम और घबराहट फैल गई है; या सरकारी कर्मचारियों के ख़िलाफ़ और COVID-19 को रोकने के लिए उठाए जा रहे क़दमों के बारे में गलत सूचनाएँ फैलायी जा रही हैं, ऐसा करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी।

अदालत ने कहा,

"…प्रथम दृष्टया इस आदेश का उद्देश्य वास्तविक रूप से लोगों को COVID-19 के बारे में फ़र्ज़ी और ग़लत सूचनाएं जो हर ओर प्रसारित की जा रही हैं उससे सुरक्षित करना है।" 

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