मध्यस्थ का निवास स्थान मध्यस्थता की सीट का निर्धारण नहीं करेगा: तेलंगाना हाईकोर्ट

Update: 2022-06-27 04:36 GMT

तेलंगाना हाईकोर्ट (Telangana High Court) ने कहा कि मध्यस्थ (Arbitrator) का निवास स्थान मध्यस्थता (Arbitration) की सीट का निर्धारण नहीं करेगा।

जस्टिस पी. श्री सुधा की एकल पीठ ने कहा कि केवल इसलिए कि हैदराबाद में रहने वाले एक मध्यस्थ को नियुक्त किया गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि केवल हैदराबाद के कोर्ट्स के पास मध्यस्थता समझौते से उत्पन्न होने वाले सभी मामलों को तय करने का अधिकार क्षेत्र होगा।

मामला

पक्षों के बीच विवाद उत्पन्न होने के बाद, प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता को मध्यस्थ नामित करने वाला एक पत्र भेजा जो हैदराबाद में रह रहा था। याचिकाकर्ता ने अपने उक्त नोटिस का जवाब दिया और इस कारण से मध्यस्थ नियुक्त करने से इनकार कर दिया कि ऐसा कोई विवाद नहीं है जिसके लिए मध्यस्थ की नियुक्ति की आवश्यकता हो।

तदनुसार, प्रतिवादी ने स्थायी निषेधाज्ञा से राहत के लिए सातवीं अतिरिक्त जिला न्यायाधीश संगारेड्डी के समक्ष एक वाद दायर किया। इसमें याचिकाकर्ता ने ए एंड सी अधिनियम की धारा 8 के तहत एक आवेदन दायर किया और पार्टियों को मध्यस्थता के लिए भेजा गया।

इसके बाद, प्रतिवादी ने प्रधान जिला न्यायाधीश, संगारेड्डी के समक्ष ए एंड सी अधिनियम की धारा 9 के तहत एक आवेदन दायर किया। नतीजतन, याचिकाकर्ता ने आवेदन को संगारेड्डी कोर्ट से हैदराबाद कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए स्थानांतरण याचिका दायर की।

पक्षकारों का तर्क

याचिकाकर्ता ने निम्नलिखित आधारों पर आवेदन के हस्तांतरण की मांग की:

- प्रतिवादी ने हैदराबाद में रहने वाले एक मध्यस्थ को नामित किया था, इसलिए, केवल हैदराबाद के कोर्ट्स के पास मध्यस्थता से उत्पन्न होने वाले सभी मामलों को तय करने का अधिकार क्षेत्र होगा।

- हैदराबाद में रहने वाले एक मध्यस्थ का नामांकन हैदराबाद को मध्यस्थता की सीट के रूप में नामित करने के समान था।

प्रतिवादी ने निम्नलिखित आधारों पर याचिकाकर्ता के निवेदन का प्रतिवाद किया:

- याचिकाकर्ता ने संगारेड्डी में न्यायालय के समक्ष धारा 8 आवेदन दायर किया था। इसलिए, ए एंड सी अधिनियम की धारा 42 के संदर्भ में, केवल संगारेड्डी की अदालत के पास मध्यस्थता से उत्पन्न होने वाले सभी मामलों को तय करने का अधिकार क्षेत्र होगा।

कोर्ट का अवलोकन

कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थ का निवास स्थान मध्यस्थता की सीट का निर्धारण नहीं करेगा।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को खारिज कर दिया कि चूंकि प्रतिवादी ने शुरू में हैदराबाद में रहने वाले एक मध्यस्थ को नामित किया था, इसलिए हैदराबाद के कोर्ट का अधिकार क्षेत्र होगा।

कोर्ट ने माना कि केवल इसलिए कि एक पक्ष ने हैदराबाद में रहने वाले मध्यस्थ को नामित किया है, वही हैदराबाद को मध्यस्थता समझौते के तहत सीट के किसी भी पदनाम के अभाव में मध्यस्थता की सीट के रूप में नामित नहीं करेगा।

कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने संगारेड्डी कोर्ट के समक्ष धारा 8 आवेदन दायर किया था जिसके परिणामस्वरूप पक्षकारों को मध्यस्थता के लिए भेजा गया था। इसलिए, ए एंड सी अधिनियम की धारा 42 के संदर्भ में केवल उस न्यायालय का अधिकार क्षेत्र होगा।

इस आधार पर कोर्ट ने ट्रांसफर याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटल: मेसर्स एस स्क्वायर इंफ्रा बनाम गार्नेनी चलपति राव, ट्रांसफर सिविल विविध याचिका संख्या 122 ऑफ 2022

दिनांक: 21.06.2022

याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट वाई बालाजीक

प्रतिवादी के लिए वकील: एडवोकेट एस श्रीधर

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:



Tags:    

Similar News