पीआईएल के पीछे कोई गुप्त मंशा हो सकती है, बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुनवाई के लिए एक करोड़ रुपए जमा कराने को कहा

Update: 2020-05-31 08:36 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभिनव भारत कांग्रेस और उसके संस्थापक पंकज फडनिस को उनकी जनहित याचिका पर सुनवाई से पहले एक करोड़ रुपए जमा कराने को कहा। इस याचिका में उन्होंने अदालत से मुंबई के वाडिया अस्पताल ट्रस्ट के दो अस्पतालों बच्चों के बाई जेरबाइ वाडिया अस्पताल और नवरोसजी वाडिया मटर्निटी हॉस्पिटल के प्रबंधन को COVID-19 महामारी को देखते हुए अपने हाथ में ले लेने का आदेश राज्य और नगर निगम को देने को कहा है।

न्यायमूर्ति दीपंकर दत्ता और न्यायमूर्ति केके ताटेड की पीठ ने कहा कि याचिककर्ता की प्रामाणिकता पर उसे संदेह है। अभिनव भारत ट्रस्ट जिसने याचिका दायर की है वह पंजीकृत नहीं है।

शुरू में ही प्रतिवादी ने इस पीआईएल के औचित्य पर प्रश्न उठाया और कहा कि किसी ग़ैर पंजीकृत संस्था को ऐसा करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।

अदालत ने पाया कि यह संदेह ठोस है पर यह पीआईएल को ख़ारिज करने का इस समय ठोस आधार नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता नंबर 2 (फडनिस) ख़ुद को आम हितों से भरा हुआ बताता है और निजी रूप में वह सही हो सकता है ताकि इस याचिका को आगे बढ़ाया जा सके।

याचिकाकर्ता की पैरवी मोहन परासरन ने की, सरकार की पैरवी पीपी काकड़े ने और एमसीजीएम की पैरवी एवाई सखारे ने की। अस्पतालों की पैरवी रफ़ीक दादा ने की।

अस्पताल के वक़ील ने कहा कि यह याचिका निजी हितों को साधने के लिए दायर की गई है। हलफ़नामा में कहा गया है कि फडनिस ने अमरीका में वाडिया के ख़िलाफ़ मुक़दमा दायर करने की असफल कोशिश की और यह मामला भी अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

इसके बाद पीठ ने ग़ौर किया कि याचिकाकर्ता वाडिया के साथ काम करता था पर इस बात की जानकारी याचिका में नहीं दी गई है।

"…प्रथम दृष्टया हमें यह विश्वास करने का पूरा कारण है कि हो सकता है कि यह पीआईएल जनहित में नहीं दायर किया गया हो और इसके पीछे कोई गुप्त मंशा हो और याचिकाकर्ता नंबर 2 की प्रामाणिकता संदिग्ध है।

इसे देखते हुए हम पीआईएल नियमों के तहत नियम 7A के तहत मिले अधिकारों का प्रयोग करते हुए यह आदेश देते हैं कि अगर वह इस मामले की आगे सुनवाई चाहता है तो याचिकाकर्ता नंबर 2 अगले वृहस्पतिवार तक एक करोड़ रुपये सिक्योरिटी के रूप में जमा करे। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो यह पीआईएल पीठ के किसी संदर्भ के बिना ख़ारिज माना जाएगा"।

अगर यह राशि जमा कर दी जाती है तो इस मामले की अगली सुनवाई 29 मई 2020 को होगी।



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